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इलाहाबाद/हरिमंगल
विधानसभा चुनाव के मतदान से ठीक पहले समाजवादी पार्टी के कार्यकत्र्ताओं द्वारा फैलाई गई एक अफवाह ने शिक्षित बेरोजगारों और रोजगार कार्यालय के साथ-साथ स्थानीय पुलिस-प्रशासन के भी सामने खासी मुसीबत खड़ी कर दी है। सामान्य दिनों में सुनसान दिखने वाले इलाहाबाद रोजगार कार्यालय में प्रतिदिन कई हजार लोग अपना पंजीकरण कराने के लिए जमा हो रहे हैं। भीड़ की आपा-धापी रोकने के लिए पुलिस को लाठी भांजनी पड़ रही है। इस जिले में मतदान की तिथि के ठीक पहले इलाहाबाद दक्षिणी विधानसभा क्षेत्र के मुस्लिम बहुल इलाके में सपा कार्यकर्ताओं ने अफवाह फैलायी कि स्थानीय रोजगार कार्यालय में “लैपटाप” पंजीकरण के लिए फार्म मिल रहे हैं। जो लोग पंजीकरण कराएंगे उन्हें सरकार बनते ही लैपटाप मिल जाएगा। इस अफवाह ने बेरोजगारों को रातों-रात रोजगार कार्यालय में पंजीकरण के लिए लाइन लगाने के लिए मजबूर कर दिया। उल्लेखनीय है कि सपा ने विधानसभा चुनावों के लिए अपने घोषणा पत्र में युवाओं को लैपटाप, गैजेट्स तथा भत्ता दिये जाने की बात कही है।
लैपटाप के लिए पंजीकरण की अफवाह का असर 15 दिन बाद भी खत्म होने की बजाय बढ़ता जा रहा है। प्रतिदिन दो से तीन हजार युवक और युवतियां पंजीकरण के लिए आ रहे हैं। सीमित संख्या में कर्मचारी होने तथा पंजीकरण पहले कराने की होड़ में भारी अव्यवस्था हो रही हैं। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस अपने तरीके से निपट रही हैं। हालात यह हैं कि लगभग रोज ही पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ रहा है।
उल्लेखनीय यह भी है कि इस बार पंजीकरण कराने में महिलाएं भी आगे हैं। इन महिलाओं में लगभग 70 प्रतिशत तक मुस्लिम वर्ग से हैं। अफवाहों का इतना गहरा असर है कि तमाम लोग आसपास के जनपदों में स्थित अपने सगे-संबंधियों को बुलाकर यहां पंजीकरण करा रहे हैं, क्योंकि यह भी अफवाह है कि लैपटाप सबसे पहले प्रयाग में ही मिलेगा। क्षेत्रीय सेवायोजन अधिकारी मनोज सिंह कहते हैं कि फरवरी में कुल 44,000 लोगों ने पंजीकरण कराया है जो अब तक का रिकार्ड है। इसमें 24000 लोगों ने यहां आकर तथा 20000 लोगों ने “आनलाइन” पंजीकरण कराया है।
शिक्षित बेरोजगारों को लैपटाप मिलेगा या नहीं?” यह तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन फिलहाल रोज सुबह हजारों लोग लैपटाप मिलने की लालसा लिए पंजीकरण कराने के लिए लाइन लगा रहे हैं। यहां उनको पुलिस की गाली और लाठी मिल रही है। व्यवस्था के नाम पर पुलिस ने दर्जनों लोगों को चोटिल कर दिया है। द
कोलकाता/प्रतिनिधि
-चमूकृष्ण शास्त्री, अ.भा. प्रकाशन प्रमुख, संस्कृत भारती
“भविष्य में ज्ञान संपदा ही महाशक्ति (सुपर पावर) होगी, भारत के आर्ष ग्रंथ ज्ञान के मौलिक स्रोत हैं। हमें अपने धर्म ग्रंथों को केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं, वैज्ञानिक तरीके से अध्ययन करने की आवश्यकता है। संस्कृत के बिना इस देश की मौलिकता स्पष्ट नहीं होती। प्राचीन ग्रंथों का अनुवाद हम पढ़ते हैं, परंतु मूल भाषा की उपेक्षा करते हैं। हम यदि संस्कृत नहीं सीखेंगे तो आने वाली पीढ़ी मूल्यवान ग्रंथों से कट जाएगी। संस्कृत से अलग होना अपनी जड़ों से कटना है। संस्कृत के प्रति केवल श्रद्धा नहीं, प्रीति की आवश्यकता है।” ये विचार हैं संस्कृत भाषा के उन्नयन हेतु समर्पित, संस्कृत भारती के अ.भा. प्रकाशन प्रमुख श्री चमूकृष्ण शास्त्री के। वे गत 25 फरवरी को श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
संस्कृत में आपसी वार्तालाप पर बल देते हुए श्री चमूकृष्ण शास्त्री ने कहा कि संभाषण की संस्कृत सरल है। शिक्षित, अनुभवी, समर्थ लोग जड़ों की ओर लौट रहे हैं, प्रबंधन एवं नेतृत्व के प्रशिक्षण में प्राचीन संस्कृत ग्रंथों का सहारा ले रहे हैं, यह संतोष की बात है। योग, आयुर्वेद, प्राणायाम इत्यादि से भी संस्कृत की ओर झुकाव बढ़ रहा है। सारे विश्व में यह माना जाने लगा है कि संस्कृत ज्ञान का भण्डार है। उन्होंने कहा कि जाति, धर्म एवं वर्ग आदि भेदों को मिटाकर ऐक्य स्थापित करने में संस्कृत समर्थ है तथा समाज परिवर्तन का सर्वोत्तम माध्यम बन सकती है।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए पुस्तकालय के पूर्व अध्यक्ष श्री जुगल किशोर जैथलिया ने कहा कि संस्कृत बचेगी तो संस्कृति बचेगी। कार्यक्रम का संचालन किया पुस्तकालय के अध्यक्ष डा. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने। श्री चमूकृष्ण शास्त्री का माल्यार्पण कर अभिनंदन किया पुस्तकालय के मंत्री श्री महावीर बजाज ने। द
लखनऊ/ शशी सिंह
खुल गयी माया की कलई
मंत्री नसीमुद्दीन पर कार्रवाई से किया इनकार
सीबीआइ जांच की नहीं करेंगी सिफारिश
यूं तो उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती पर भ्रष्टाचार में नख-शिख डूबने के पुख्ता आरोप हैं। उनके खिलाफ ताज कारिडोर से लेकर आय से अधिक संपत्ति का मामला गंभीर जांच के दौर से गुजर रहा है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) में हुए भारी घोटाले की आंच भी उन तक पहुंच गई है। इसके बावजूद वह अपने को ईमानदार और सख्त प्रशासक के तौर पर प्रचारित करती रही हैं। विभिन्न घोटालों और अनियमितताओं में फंसे कई मंत्रियों और नेताओं को उन्होंने लोकायुक्त की जांच में दोषी पाए जाने पर बाहर का रास्ता दिखा दिया और दावा किया कि वह भ्रष्टाचारियों को बर्दाश्त नहीं करने वाली हैं। लेकिन जब भ्रष्टाचार के केंद्र बिंदु रहे वरिष्ठ मंत्री नसीमुद्दीन सिंद्दीकी की बारी आयी तो मायावती पलट गईं। उन्होंने कहा कि नसीमुद्दीन के खिलाफ लोकायुक्त द्वारा केंद्रीय जांच ब्यूरो से सिफारिश का प्रकरण उनके अधिकार क्षेत्र के बाहर है। लोकायुक्त ऐसी जांच की सिफारिश नहीं कर सकते।
जिस मुख्यमंत्री ने लोकायुक्त की रपट पर आधा दर्जन मंत्रियों को मंत्रिमंडल से हटा दिया हो, वह एक मंत्री के पक्ष में खुलकर आ जाए, इस बात पर पूरे प्रदेश में यही चर्चा हो रही है कि मायावती अपना हित साधने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं। उन्होंने जिन मंत्रियों को हटाया, शायद वे अब उनके काम के नहीं रहे। लेकिन नसीमुद्दीन मायावती की बसपा में एकमात्र मुस्लिम चेहरा हैं जिनके बल पर वह इस वोट बैंक को रिझाने की कोशिश करती रही हैं। यानी माया के लिए वोट प्रमुख है, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई नहीं। दरअसल नसीमुद्दीन पर शुरू से ही भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं।
लेकिन मायावती के अति करीब होने के कारण कोई उनकी ओर अंगुली नहीं उठा पा रहा था। भ्रष्टाचार केवल चर्चाओं तक सीमित रहा। जैसे-जैसे भष्टाचार के आरोप गहराते गए, मायावती उन्हें और महत्वपूर्ण बनाने में जुट गईं। मंत्रिमंडल में सबसे अधिक और महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर रही। यही नहीं, भ्रष्टाचार के आरोप में कई मंत्री हटाये गए तो उनका मंत्रिमंडलीय जिम्मा भी अधिकतर नसीमुद्दीन को ही दिया गया। अब लोकायुक्त की जांच में वह दोषी पाए गए हैं। नसीमुद्दीन सिद्दीकी पर पद का दुरुपयोग कर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने, क्यू एफ एजुकेशन ट्रस्ट के नाम पर बाराबंकी में कृषि भूमि दर्शाते हुए अकूत संपत्ति खरीदने, ट्रस्ट के नाम पर करोड़ों का दान लेने, संपत्ति को छिपाते हुए झूठा शपथ पत्र देने, परिवारीजन एवं रिश्तेदारों को पहाड़ और बालू के पट्टे दिलवाने, नुजूल भूमि को अवैध तरीके से फ्री होल्ड कराने और बुंदेलखंड पैकेज से रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाने के आरोप लगाए गए हैं। ऐसी शिकायतों का पुलिंदा सप्रमाण लोकायुक्त को दिया गया था।
कई महीनों की जांच में वह दोषी पाए गए। अब लोकायुक्त ने सारे आरोपों की विस्तृत जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की है। उनके खिलाफ कार्रवाई की अपेक्षा की है। लोकायुक्त का पत्र जैसे ही मुख्यमंत्री के पास पहुंचा, पूरी सरकार हिल सी गई। मुख्यमंत्री की ओर से कहा गया कि सरकार न तो नसीमुद्दीन को हटाएगी और न ही आरोपों की जांच सीबीआई से कराएगी। उसकी नजर में नसीमुद्दीन बेदाग हैं। लेकिन इन्हीं मायावती ने अन्य दागी मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई करने में तत्परता दिखाई थी। कुछ ऐसे ही आरोप तत्कालीन मंत्री राजेश त्रिपाठी, बादशाह सिंह, रंगनाथ मिश्र, अवधपाल यादव, रतनलाल अहिरवार, चंद्रदेव राम यादव पर भी लगे थे। लोकायुक्त की जांच में जब वे दोषी पाए गए और उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए मायावती को लिखा गया तो उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। कहा गया कि सरकार किसी भी तरह का भ्रष्टाचार और अनियमितता को बर्दाश्त नहीं करेगी। वही बात नसीमुद्दीन पर सरकार ने क्यों नहीं लागू की, यह समझ से परे नहीं है। मुस्लिम वोटों का लालच सबसे बड़ा कारण है। द
हरियाणा/ डा. गणेश दत्त वत्स
मजहबी आरक्षण के नाम पर देश को बांटने की साजिश
-महंत नृत्य गोपाल दास
श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपालदास महाराज ने कहा कि देश की जनता चाहती है कि अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण हो। जो निर्णय आए हैं वे इसे पुष्ट करते हैं और भविष्य में भी निर्णय जनहित में होगा और देशवासी वहां रामलला का एक भव्य मंदिर निर्माण करेंगे। मंहत जी ने कहा कि पहले जातिवाद व मजहब के कारण देश का बंटवारा हुआ, अब मजहब के नाम पर आरक्षण का लालच देकर एक नया षडयंत्र रचा जा रहा है। अगर इस पर देश की जनता ने गंभीरता से विचार नहीं किया और इस साजिश को अंजाम देने वालों को सबक नहीं सिखाया तो आपसी भाईचारा खराब होने के साथ देश पर एक नया संकट खड़ा हो जाएगा। वे पिछले दिनों कुरुक्षेत्र के श्री तिरुपति बालाजी मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में प्रेस प्रतिनिधियों से रूबरू थे।
स्वामी जी ने कहा कि देश में तनाव पैदा करने के लिए राजनीति की गहरी साजिश रची जा रही है, वोट के लिए ही राष्ट्रहित दांव पर लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश केवल राजनीति से नहीं चलता, राजधर्म का पालन करने से चलता है तभी राजनीति जनहित के लिए काम करती है, नहीं तो राजनीति तोड़ती है और लोगों का अहित होने लगता है। उन्होंने कहा कि धर्म जोड़ता है इसलिए राजनीति में धर्म का संसर्ग होने से राजधर्म मुख्य बन जाता है। धर्माचार्यों ने हमेशा से समाज को जोड़ने का काम किया है, तोड़ने का नहीं। देश में धर्माचार्यों का अनुशासन ही राष्ट्र को बचा रहा है।
उन्होने सीधे शब्दों में कहा कि राजनेता स्वार्थ में अंधे हो रहे हैं। भारत देश को पहले जातिवाद ने तोड़ा और अब मजहबी आरक्षण तोड़ रहा है। राजनीतिज्ञों का ध्यान केवल वोट बैंक बढ़ाने की ओर रहता है। राष्ट्र धर्म का पालन तो प्रत्येक भारतवासी को करना होगा, तभी हमारा देश संगठित रह सकेगा, अन्यथा मजहबी आरक्षण की बाढ़ में सब कुछ बह जाएगा। देश को जाति व आरक्षण के नाम पर बांटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि गरीब तो हर जाति में होते हैं, गरीबों को सुविधाएं दी जाएं, आरक्षण नहीं। गरीबी हटाने वाले नेता अब गरीबों को हटा रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि दिल्ली में 8 मार्च को देश के धर्माचार्यों का एक विशाल महासम्मेलन आयोजित होगा, जिसमें आरक्षण व जातिवाद का मुद्दा प्रमुखता से उठाया जाएगा। इस मौके पर श्री तिरुपति बालाजी मंदिर के महंत बाबा सीताराम दास, मंदिर सभा के प्रधान धीरज गुलाटी, आशीष सभरवाल, राज अरोड़ा, धर्मपाल शर्मा, प्रेम थापर, पवन कौशिक, कृष्णानंद पांडे, व सतपाल शर्मा मौजूद थे।द
बिहार/ संजीव कुमार
रचा गया इतिहास
बिहार के स्थापना वर्ष पर बिहार विधान परिषद में एक इतिहास रचा गया। विधान परिषद के इतिहास में यह पहला अवसर है कि राज्यपाल के अभिभाषण को विपक्ष ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया। विपक्ष की ओर से सात संशोधन दिए गए थे, परन्तु मुख्यमंत्री के भाषण के बाद विपक्ष ने अपने सभी संशोधन वापस ले लिए और बिहार विधान परिषद में 24 फरवरी, 2012 को एक इतिहास रच दिया गया।
मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि बिहार सरकार बिहार की 10 करोड़ जनता के सर्वांगीण विकास के लिए कृत-संकल्प है। उन्होंने ध्यान दिलाया कि शिक्षा के पूर्ण विकास हेतु सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। वित्तरहित शिक्षण संस्थानों को अब गुणवत्ता के आधार पर राज्य द्वारा अनुदान दिया जा रहा है, जिसकी अधिकतम सीमा निर्धारित नहीं है। प्रारंभिक शिक्षा में अधिक से अधिक बच्चों को प्रवेश दिलाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। बिहार में पुलिस बल को भी इस कार्य में लगाया गया है। इन सब प्रयासों से एक माहौल बना है जिसके कारण स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों की संख्या 12 प्रतिशत से घटकर 3 प्रतिशत हो गई है। अब ध्यान स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या पर है। इसलिए राज्य सरकार ने स्कूलों को प्राप्त होनेवाली सभी सुविधाओं को उपस्थिति के साथ संबद्ध किया है। छात्रवृत्ति की राशि बढ़ाई गई है तथा इसमें अति पिछड़े वर्ग के छात्रों को भी शामिल किया गया है। छात्रवृत्ति बांटने के लिए एक “कैलेण्डर” भी बनाने की योजना है।
विपक्ष द्वारा सरकार की आबकारी नीति की आलोचना पर ध्यान दिलाते हुए श्री नीतीश कुमार ने कहा कि पहले इस क्षेत्र में एक प्रकार का एकाधिकार था। मिलावटी शराब बेची जाती थी तथा सरकार को राजस्व की प्राप्ति भी नहीं होती थी। सरकार ने बिहार राज्य बैवरेज निगम की स्थापना कर इन समस्याओं से मुक्ति पाई है। बिहार के बंटवारे के समय सन् 2000 में राज्य को 213.66 करोड़ के राजस्व की प्राप्ति होती थी। जो कि गत वर्ष बढ़कर 1542.25 करोड़ हो गई है। मुख्यमंत्री ने सरकार के संकल्प को दुहराते हुए कहा कि सरकार की नीति मद्य निषेध की है।
धान और रबी की अधिप्राप्ति के लिए भी विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार की योजना है कि किसानों को अधिक से अधिक खरीद मूल्य प्राप्त हो जिससे उत्साहित होकर किसान ज्यादा खाद्यान का उत्पादन कर सकें। इसी प्रकार गांवों के विकास के लिए 250 तक की आबादी पर ग्रामीण सड़क बनाने की योजना है। बुनकरों व तसर सिल्क के लिए भी विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।
चर्चा के पूर्व राज्य के उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री श्री सुशील कुमार मोदी ने बिहार सरकार का आगामी बजट (2012-13) सदन के समक्ष प्रस्तुत किया। बजट में कृषि व ग्रामीण कार्य के बजटीय प्रावधान में 38 प्रतिशत का इजाफा किया गया। इससे गांवों की खुशहाली लाने का दावा भी किया गया। कृषि क्षेत्र में 38.91 तथा ग्रामीण सड़कों के निर्माण में 38.43 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। इसके अलावा शिक्षा एवं समाज कल्याण के क्षेत्र में 21.77 प्रतिशत तथा ऊर्जा के क्षेत्र में 19 प्रतिशत की बजट राशि बढ़ाई गई है। बजट का आकार 78686.82 करोड़ का है। उपमुख्यमंत्री ने सदन के अंदर अपने भाषण में कहा कि यह “रेवेन्यू सरप्लस” बजट है। सरकार के इन प्रयासों से ऐसा दिखता है कि वित्तीय प्रबंधन में बिहार आत्मनिर्भर बन रहा है।
अपने बजटीय भाषण में उपमुख्यमंत्री ने बताया कि बिहार के 530 प्रखंडों में 1-1 मॉडल स्कूल खोले जाएंगे। इसी प्रकार पावापुरी और बेतिया में मेडिकल कॉलेज रोहतास व मुंगेर में इंजिनियरिंग कॉलेज जमुई, सुपौल व कैमूर में पॉलिटेक्निक कॉलेज तथा राज्य में छ: नए नर्सिंग कॉलेज खोले जाएंगे। दरभंगा व गया में तारामंडल तथा पटना में गंगा किनारे दीघा से लेकर दीदारगंज तक 21 किलोमीटर लंबा गंगा ड्राइव वे बनाया जाएगा। इस ड्राइव वे पर 2234 करोड़ रुपए खर्च होंगे। बिहार दिवस के अवसर पर 504 एम्बुलेंस की नि:शुल्क सेवा भी प्रारंभ की जाएगी।द
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