दृष्टिपात
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दृष्टिपात
आलोक गोस्वामी
Ïक्लटन से की सांसदों ने शिकायत
अमरीकी सांसदों में इस बात को लेकर गुस्सा बढ़ता जा रहा है कि अमरीका ने जो पैसा पाकिस्तानी जनता की सहूलियतों में लगाने के लिए भेजा था वह पाकिस्तानी हुकूमत फौजी और परमाणु हथियारों पर खर्च कर रही है। सांसद जिम वेब ने जब पूछा कि पाकिस्तान को जाने वाली राहत राशि के दुरुपयोग को रोकने के लिए क्या कोई व्यवस्था की गई है? तो इसके जवाब में अमरीकी विदेश मंत्री हिलेरी Ïक्लटन ने कहा कि, व्यवस्था तो बनाई हुई है। पर जो पैसा स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा आदि के लिए गया वह उनके परमाणु कार्यक्रम को बढ़ाने में खपाया जा रहा है। Ïक्लटन ने कहा, यह चिंता की बात है। यह एक तरह से भारत में उभरने वाली चिंताओं की ही पुष्टि है कि पाकिस्तान अमरीकी पैसे से हथियार और परमाणु अस्त्र खड़े कर रहा है, जिसका बस एक ही उद्देश्य है कि चीन के उकसावे पर भारत को घुड़काए। अब यही बात अमरीकी संसद में गूंजी है, भले दूसरे शब्दों में। Ïक्लटन ने कहा कि पिछले कुछ सालों के दौरान पाकिस्तान ने सेना पर काफी पैसा खर्चा है। यह वही पैसा था जो उसे स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली और दूसरी बुनियादी जरूरतों पर खर्च करना था। सांसद वेब ने यह चिंता भी जाहिर की कि 2013 के लिए ओबामा प्रशासन ने पाकिस्तान को 2.4 अरब डालर की वित्तीय सहायता देनी तय की है, जिसके मायने हैं कि पिछले साल की तुलना में पाकिस्तान अपनी फौज पर और पैसा लगाएगा।थ्
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में चिंता
सीरिया में 7,500 से ज्यादा मरे
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में एक बड़े वाले अधिकारी ने खुलासा किया कि सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद के खिलाफ पिछले एक साल से चल रहे जनांदोलन के दौरान 7,500 से ज्यादा नागरिक मारे जा चुके हैं। उसके अनुसार, 100 नागरिक प्रतिदिन की औसत से मारे जा रहे हैं। इसमें महिलाएं और बच्चे भी बड़ी तादाद में शामिल हैं। करीब 25 हजार शरणार्थी पड़ोसी देशों में पहुंच चुके हैं, जबकि एक से दो लाख सीरियाई अपने ही देश में दर-बदर हो चुके हैं। वहां ज्यादातर शहरों में न पानी है, न बिजली, न दवा, न खाना। लोग बेहाल हैं जबकि उनके ही देश के फौजी उन पर गोले बरसा रहे हैं। होम्स शहर बुरी तरह बर्बाद हो चुका है। महीने भर से वहां के रिहायशी इलाकों पर राकेट दागे जा रहे हैं। सीरियाई फौजी लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने से रोक रहे हैं। असद सरकार, संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी के अनुसार, अपने ही देशवासियों को सुरक्षा देने की जिम्मेदारी नहीं निभा रही है। असद से अपील की जा रही है कि वह इंसानियत के नाते गोलाबारी रोक दें और अंतरराष्ट्रीय तंत्र के साथ सहयोग करें। वैसे संयुक्त राष्ट्र और अरब लीग ने सीरिया संकट के लिए कोफी अन्नान को संयुक्त विशेष राजदूत बनाया है। देखना है कि अन्नान असद पर कितना प्रभाव डाल पाएंगे और सीरिया वालों को हिंसा से कब मुक्ति मिलेगी। थ्
“शबाब” का हथियार ट्विटर
पश्चिमी पहनावे, भाषा, फिल्म, संगीत और यहां तक कि सूखा पीड़ितों के लिए आने वाली पश्चिमी सहायता पर भी पाबंदी लगाने वाले सोमालिया के इस्लामी उग्रवादी गुट “शबाब” ने आधुनिक, इंटरनेट से जुड़े ट्विटर को अपनाया है। यह वही बर्बर उग्रवादी गुट है जिसकी बर्बरता की मिसालें सोमालिया से मोगादीशू होती हुईं अफ्रीकी देशों में सुनाई देती हैं, जो अपने ही लोगों के हाथ काट डालने और भूखों मार देने के लिए कुख्यात है। “शबाब” ने ट्विटर पर खाता खोलकर अपने दुश्मनों पर ताने कसने, अपने उग्र कारनामों का बढ़-चढ़कर बखान करने और धमकियां भेजने का सिलसिला शुरू किया है। केन्या की फौज को लिखे संदेश में “शबाब” लिखता है-” तुम्हारे नौसिखिए लड़के मौत सामने देखकर मैदान छोड़कर भाग गए।”
हर तरह से जर्जरहाल सोमालिया को और खोखला बनाने में लगे “शबाब” ने उन लोगों पर हर पश्चिमी चीज का बहिष्कार करने का फतवा लागू किया हुआ है, जो पेट से भूखे और तन से फटेहाल हैं। उसे सूखा पीड़ितों को दी जाने वाली पश्चिमी सहायता तक से चिढ़ है, भले लोग भूखे मर जाएं। और यह सब इस्लाम के नाम पर!
आतंकवादी हरकतों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि अल कायदा से जुड़े कई उग्रवादी/जिहादी गुटों ने ट्विटर को आतंक फैलाने का नया शगल बनाया है। “शबाब” भी कुछ साल पहले अपने को अल कायदा से जुड़ा बता चुका है। विशेषज्ञ मानते हैं कि जिहादी अब खुलकर ट्विटर, फेसबुक, माई स्पेस, यू ट्यूब जैसे “सोशल मीडिया” का इस्तेमाल कर रहे हैं। इनके जरिए वे रंगरूट पाते हैं, चंदा उगाहते हैं और उल्टी-सीधी बातें फैलाते हैं। भारत के संदर्भ में इंडियन मुजाहिद्दीन और लश्करे तोयबा जैसे जिहादी गुट इंटरनेट के जरिए कितना जिहादी दुष्प्रचार करते हैं, यह विशेषज्ञों की जानकारी में है।द
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