विविध
|
नानाजी देशमुख की द्वितीय पुण्यतिथि पर चित्रकूट में कार्यक्रम
-मदनदास, अ.भा. प्रचारक प्रमुख, रा.स्व.संघ
“आंकड़ों से देश की प्रगति नहीं हो सकती, देश की प्रगति देहातों की प्रगति पर निर्भर है। देहातों का विकास ही सर्वोपरि है। आने वाला हर व्यक्ति, जीने वाला हर तरुण अपनों के लिए जीए, अपने लिए नहीं, ऐसा हर एक को करना होगा”। उक्त विचार रा.स्व.संघ के अ.भा. प्रचारक प्रमुख श्री मदनदास ने गत 27 फरवरी को चित्रकूट में राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख की द्वितीय पुण्यतिथि पर आयोजित तीन दिवसीय सहयोगी कार्यकर्ता सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। कार्यक्रम में श्री मदनदास के अलावा भारतीय जनता पार्टी, मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष श्री प्रभात झा, दीनदयाल शोध संस्थान के अध्यक्ष श्री वीरेन्द्रजीत सिंह, उपाध्यक्ष श्री प्रभाकरराव मुण्डले, कोषाध्यक्ष श्री नितिन सांवले, मध्य प्रदेश योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री बाबूलाल जैन, संस्थान के प्रधान सचिव डा. भरत पाठक, संगठन सचिव श्री अभय महाजन व निर्मोही अखाड़ा के महंत ओंकार दास महाराज विशेष रूप से उपस्थित थे। इस अवसर पर गण्यमान्य अतिथियों की उपस्थिति में राष्ट्रऋषि नानाजी के विचार एवं आत्मकथा की चित्रमय पुस्तिका “विलक्षण नानाजी” एवं पं. दीनदयाल उपाध्याय व नानाजी के चित्रों का लोकार्पण किया गया।
श्री प्रभात झा ने अपने उद्बोधन में कहा कि हम नानाजी के विकल्प नहीं हो सकते, लेकिन हम उनके दिखाये मार्ग का अनुसरण अवश्य कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि मर्यादाहीन राजनीति से भारत का भविष्य उज्ज्वल नहीं हो सकता। राजनीतिक क्षेत्र ठीक करना है तो सामाजिक जीवन ठीक रखना होगा, जिसकी प्रेरणा दीनदयाल शोध संस्थान निरन्तर दे रहा है।
मंचासीन अतिथियों का परिचय श्री अमिताभ वशिष्ठ ने कराया। कार्यक्रम का संचालन डा. नंदिता पाठक ने किया। धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के संगठन सचिव श्री अभय महाजन ने किया। कार्यक्रम में 12 प्रदेशों के 271 प्रतिनिधियों की सहभागिता रही, जिनमें 37 बहनें भी शामिल थीं। द प्रतिनिधि
दमोह में संघ का विशाल एकत्रीकरण
भारतीय जीवन दर्शन में हर समस्या का समाधान
-सुरेश सोनी, सह-सरकार्यवाह, रा.स्व.संघ
भारतीय जीवन दर्शन में हर समस्या का समाधान है। इस प्रकार का दर्शन विश्व के किसी भी देश के पास नहीं है। उक्त विचार रा.स्व.संघ के सह-सरकार्यवाह श्री सुरेश सोनी ने गत दिनों दमोह (म.प्र.) में संघ के विशाल एकत्रीकरण को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
श्री सोनी ने कहा कि देश इस समय संक्रमण काल से गुजर रहा है और यह समय थोड़ा भ्रमित करने वाला होता है। ऐसे में धैर्य से कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि देश में उच्च शिक्षा के संस्थानों की संख्या बढ़ रही है। आने वाले समय में भारत के ज्ञान का प्रकाश दोबारा विश्व को राह दिखाने वाला है। संघ के संबंध में बोलते हुए श्री सोनी ने कहा कि देश ही नहीं, अपितु विश्व के अनेक देशों में संघ का कार्य चल रहा है। करीब डेढ़ लाख से अधिक सेवा कार्य स्वयंसेवकों द्वारा संचालित हैं। राष्ट्रोत्थान के संकल्प को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्य कर रहा है। देश में व्याप्त समस्याओं के संबंध में बोलते हुए उन्होंने कहा कि आज हर व्यक्ति में असीमित उपभोग की प्रवृति बढ़ी है। जबकि हमारे दर्शन में कहा गया है कि जितनी आवश्यकता है, उतना ही उपभोग करो। हमें देश की युवा पीढ़ी को संस्कार एवं दिशा देने की आवश्यकता है। साथ ही संयुक्त परिवार की अवधारणा को पुन: जीवित करना होगा।
भ्रष्टाचार के संबंध में बोलते हुए श्री सोनी ने कहा कि आंदोलन और कानून इस समस्या का समाधान नहीं है। इसके लिए लोगों को संस्कारवान बनाना होगा। उन्होंने कहा कि अण्णा हजारे और बाबा रामदेव के आंदोलन से पहले भी एक बड़ा आंदोलन हो चुका है। जयप्रकाश नारायण के आंदोलन के संबंध में विस्तार से बताते हुए श्री सोनी ने स्वयंसेवकों के समक्ष अनेक प्रश्न रखे।
इस अवसर पर श्री सोनी के साथ मंच पर मध्यभारत क्षेत्र संघचालक श्री श्रीकृष्ण माहेश्वरी, महाकौशल प्रांत संघचालक श्री शंकर प्रसाद ताम्रकार एवं जिला संघचालक श्री किशन साहू भी आसीन थे। कार्यक्रम में स्वयंसेवकों ने विभिन्न प्रकार के शारीरिक कार्यक्रमों का प्रदर्शन किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में गणवेशधारी स्वयंसेवकों के साथ-साथ स्थानीय गण्यमान्य नागरिक भी उपस्थित थे। द डा. लक्ष्मी नारायण वैष्णव
पं बंगाल में संस्कृत सम्मेलन में उठी
संस्कृत को पाठ्यसूची में शामिल करने की मांग
संस्कृत भारती, दक्षिणबंग प्रांत के तत्वावधान में गत 26 फरवरी को कोलकाता में विशाल संस्कृत सम्मेलन सम्पन्न हुआ। सम्मेलन का मुख्य विषय संस्कृत को सम्पूर्ण पश्चिम बंगाल में माध्यमिक स्तर पर आवश्यक बनाकर पाठ्यसूची में शामिल करना था। इसमें प्रांत के अलग-अलग हिस्सों से आए छात्र, शिक्षक, प्राध्यापक एवं संस्कृतप्रेमियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात शिक्षाविद् प्रो. सुनन्द सान्याल ने की, जबकि मुख्य वक्ता संस्कृत भारती के अ.भा. प्रकाशन प्रमुख श्री चमू कृष्ण शास्त्री थे। श्री शास्त्री अपने उद्बोधन में पश्चिम बंगाल सरकार पर संस्कृत की अनदेखी करने के लिए जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि शासकीय कार्यों में अभी भी अंग्रेजी का वर्चस्व है। अंग्रेजी को इस तरह महत्व देने से भारत अमरीका की तरह एक भाषा वाला देश हो जाएगा, जो बिल्कुल नहीं होना चाहिए।
प्रो. सुनंद सान्याल ने कहा कि बेहतर शिक्षा एवं भाषा की शिक्षा के लिए एक सांस्कृतिक भाषा की शिक्षा जरूरी है और उसमें भारत, विशेष रूप से बंगाल के लिए संस्कृत ही एकमात्र ग्रहणीय विकल्प है। इसलिए माध्यमिक स्तर की शिक्षा पाठ्यसूची में संस्कृत अवश्य रहनी चाहिए। द बासुदेब पाल
विकलांगों को सक्षम बनाने के लिए समाज का आह्वान
सक्षम का प्रथम प्रांतीय अधिवेशन गत 19 फरवरी को पटना में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए बिहार सरकार के पथ निर्माण मंत्री श्री नंद किशोर यादव ने कहा कि विकलांगों को सक्षम बनाने की दिशा में समाज को आगे आना होगा। इस उद्देश्य के पूर्ति के लिए जन-जागरण की आवश्यकता है।
मुख्य अतिथि सक्षम के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डा. कमलेश कुमार ने कहा कि हमारी मान्यता है कि विकलांग परिवार व समाज पर बोझ नहीं हैं। विशिष्ट अतिथि बिहार सरकार के श्रम संसाधन मंत्री श्री जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने बिहार सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि बिहार को विकलांगमुक्त करने की दिशा में सरकार प्रयासरत है। सक्षम के राष्ट्रीय महामंत्री श्री रामगुप्त ने कहा कि आगामी वित्तीय वर्ष (2012-13) को सक्षम ने विकलांग सशक्तिकरण वर्ष घोषित किया है। इस दौरान विकलांगों के लिए पूरे देश में अनेक प्रकार के कार्यक्रम होंगे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता सक्षम के प्रांतीय अध्यक्ष श्री अनिरुद्ध मिश्र ने की। कार्यक्रम में कुल 155 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। द संजीव कुमार
“सम्पादक के नाम पत्र”
लेखन का प्रशिक्षण
विश्व संवाद केन्द्र, कोलकाता के तत्वावधान में गत दिनों एक दिवसीय “सम्पादक के नाम पत्र” कार्यशाला का आयोजन किया गया। कुल 55 लोगों ने इसमें भाग लिया, जिनमें से 26 को आयोजकों ने नारद प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया। वरिष्ठ पत्रकार श्री रतीन्द्र मोहन बनर्जी एवं श्री रंजीत राय ने कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को “सम्पादक के नाम पत्र” लेखन से संबंधित बारीकियों को समझाया। उद्घाटन सत्र में श्री राय ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाओं के जरिए एक आम नागरिक अपने विचारों को लेख रूप में लिखना सीख जाता है। उन्होंने कहा कि मीडिया तथा प्रकाशन समूहों को समय-समय पर विभिन्न विषयों पर पाठकों की प्रतिक्रिया की आवश्यकता रहती है, जिन्हें वे प्रकाशित-प्रसारित करते हैं।
कार्यशाला में रा.स्व.संघ के सह-प्रांत प्रचारक श्री विद्युत बनर्जी, वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. जिशनु बसु, विश्व संवाद केन्द्र के अध्यक्ष डा. शिवाजी भट्टाचार्य विशेष रूप से उपस्थित थे। द प्रतिनिधि
टिप्पणियाँ