पाठकीय
|
पाठकीय
अंक-सन्दर्भ
थ्29 जनवरी,2012
गणतंत्र दिवस विशेषांक “जगें, जगाएं भारत!” में भारत-हित से जुड़े कई मुद्दों पर सार्थक विचार पढ़ने को मिले। आज देश की सबसे बड़ी समस्या है लोगों में जागरूकता लाने की। लोग किस पर भरोसा करें। एक ही मुद्दे पर समाचार-पत्रों और टी.वी. चैनलों में कई तरह की विरोधाभाषी खबरें आती हैं। इस कारण आम आदमी यह तय नहीं कर पाता है कि सच क्या है और झूठ क्या है?
-गोपाल
विवेकानन्द मिशन, गांधीग्राम, जिला-गोड्डा (झारखण्ड)
द “संवाद” में आजादी से लेकर अब तक की राजनीति का मूल्यांकन किया गया है। देश एक बार फिर संकट के दौर से गुजर रहा है। राजनीति में भ्रष्टाचारियों और अपराधियों की पकड़ मजबूत होती जा रही है। देशहित की बात तो कोई करने को राजी नहीं है। दूसरी ओर जो लोग देशहित की बात करते हैं, उन्हें साम्प्रदायिक कहा जा रहा है। देश को जगाने के लिए निरन्तर प्रयास करने की जरूरत है।
-देशबंधु
आर.जेड.-127, सन्तोष पार्क, उत्तम नगर, नई दिल्ली-110059
द विशेषांक संग्रहणीय रहा। कुछ ऐसी जानकारी मिली जिससे पता चलता है कि कांग्रेस के साथ “राष्ट्रीय” शब्द लगाना एक प्रकार से राष्ट्रद्रोह है। कांग्रेस की कलुषित भावनाएं हमेशा देशभक्ति के विरुद्ध रही हैं। पं. नेहरू के समय से ही देश के साथ गद्दारी करने वालों और अंग्रेजों के चाटुकारों को प्रश्रय मिला। देशभक्तों को जान गंवानी पड़ी और गद्दारों को रेवड़ियां मिलीं। यही सब समस्याओं की जड़ हैं।
-कालीमोहन सिंह
मंगलबाग, आरा (बिहार)
द विशेषांक तो प्रभावी बन गया है। आलेख आशा और आस्था संचारित करते हैं। डा. देवेन्द्र दीपक और श्री दयाकृष्ण विजयवर्गीय की कविताएं प्रभावी व प्रेरक हैं। कहानी ने नई दिशा की ओर संकेतित किया है। अंत में आपातकाल के कुछ प्रमुख संस्मरण संघर्ष एवं विजय का स्मरण दिला देते हैं।
-डा. शत्रुघ्न प्रसाद
बी-3, त्रिभुवन विनायक रेजीडेंसी
श्रीराम अपार्ट.
बुद्ध कालोनी, पटना-800001 (बिहार)
द स्वामी विवेकानन्द के विचारों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने से ही हम भारत विरोधियों को परास्त कर पाएंगे। स्वामी विवेकानन्द गरीबों और अशिक्षितों के लिए सदैव चिन्तित रहते थे। इनके उत्थान के लिए उन्होंने अनेक कार्य भी शुरू किए। किन्तु सरकारें गरीब विरोधी कार्य ही करती हैं।
-रामावतार
कालकाजी, नई दिल्ली
द विशेषांक की अधिकांश रचनाएं देशव्यापी समस्याओं पर सीधा प्रहार करती दिखाई पड़ीं। परन्तु विडम्बना तो यह है कि जिस देश का प्रधानमंत्री देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का बताए और भ्रष्टाचार को गठबंधन धर्म की मजबूरी मानकर राष्ट्रहित और राष्ट्रवाद की बलि चढ़ा दे, वह देश उन्नति करेगा तो कैसे? इसलिए यह अति आवश्यक है कि देश की राष्ट्रवादी शक्तियां एक मंच पर आकर सेकुलरवाद के इन झंडाबरदारों द्वारा राष्ट्र के विरुद्ध छेड़ी गई इस अनिष्टकारी मुहिम को पूरी ताकत से पराजित करें, तभी देश बच पाएगा।
-आर.सी. गुप्ता
द्वितीय ए-201, नेहरू नगर, गाजियाबाद-201001 (उ.प्र.)
द डा. बजरंगलाल गुप्त, श्री नरेन्द्र सहगल आदि लेखकों के लेख झकझोरने वाले हैं। अल्पसंख्यकवाद को बढ़ावा देना, राष्ट्रघातक समझौते करना कांग्रेस की आदत है। दरअसल, कांग्रेस का इतिहास ही समाज को बांटने का रहा है। तुष्टीकरण की राजनीति की वजह से ही कांग्रेस वर्षों से देश पर राज कर रही है। अल्पसंख्यक आरक्षण से कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ सकता है, किन्तु इससे देश कमजोर होगा। किन्तु इसकी चिन्ता कांग्रेस को नहीं है।
-राममोहन चंद्रवंशी
विट्ठल नगर, स्टेशन रोड, टिमरनी, जिला-हरदा (म.प्र.)
द श्री देवेन्द्र स्वरूप का लेख “संगठन से सेवा, सेवा से संगठन” हिन्दू समाज को स्वामी विवेकानन्द जी की देन बताने में सफल रहा। स्वामी जी ने उस हिन्दू समाज को जगाया, जो अपने उच्चादर्शों से भटका हुआ था। स्वामी विवेकानन्द कहते थे, “सेवा कार्य बौद्धिक पाण्डित्य से नहीं, संवेदनशील हृदय से ही हो सकता है। जितना अधिक तुम हृदय का विकास करोगे, उतनी अधिक तुम्हारी विजय होगी।”
-प्रमोद प्रभाकर वालसंगकर
1-10-81, रोड नं.-8 बी, द्वारकापुरम, दिलसुखनगर
हैदराबाद-500060 (आं.प्र.)
द डा. विशेष गुप्ता का लेख “राष्ट्रीय जनजागरण में युवाओं की भूमिका” पढ़ा। वास्तव में युवा वर्ग को राज्य ने अस्त्र-शस्त्र के रूप में, आर्थिक बाजार ने मूल स्रोत के रूप में और राष्ट्र व समाज ने एक सजग शक्ति के रूप में स्वीकार करके यह सिद्ध कर दिया है कि युवाओं का कितना महत्व है। युवा वर्ग की पहचान आयु से होती है। देश को पूर्ण विकसित बनाने के लिए युवा वर्ग को राष्ट्रीय चिन्तन में महत्वपूर्ण समय देना होगा। प्रत्येक युवा को राष्ट्र के प्रति समर्पित रहना चाहिए।
-निमित जायसवाल
ग-39, ई.डब्ल्यू, एस., रामगंगा विहार फेस-प्रथम, मुरादाबाद (उ.प्र.)
राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत शिक्षा
आज हमें ऐसी शिक्षा की आवश्यकता है, जो हमारे अन्दर एक प्रकार की राष्ट्रीय सोच विकसित कर सके। हम जो भी कार्य करें उस समय अपने हिन्दू राष्ट्र का ध्यान रखते हुए सोचें कि हमारे इस कार्य से देश को लाभ होगा या नुकसान। ऐसी शिक्षा होगी तो एक साहसी, निडर और संस्कारशील पीढ़ी का निर्माण होगा।
-सुनील वैष्णव
133, डेवाली, उदयपुर (राजस्थान)
नारी तो नारी है
आजकल मीडिया, विशेषकर विदेशी मीडिया नारी-मुक्ति के मुद्दे को खूब उठाता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि बच्चियों को शिक्षा मिलनी चाहिए, उनके साथ अन्याय नहीं होना चाहिए, उन्हें घर से बाहर जाकर काम करना चाहिए। देश की प्रगति में बराबर का हिस्सा होना चाहिए। किन्तु इन सबके बीच हम यह क्यों भूल जाते हैं कि नारी को पुरुष का संरक्षण जरूरी है?
-विशाल कोहली
110, ए-5/बी, पश्चिम विहार, नई दिल्ली-1100063
घोटालों का इतिहास
इन दिनों कांग्रेस के “युवराज” जोर-जोर से कह रहे हैं, “मौका दो बदल देंगे बुंदेलखण्ड, 10 वर्ष में पहचान नहीं पाओगे अपने क्षेत्र को।” मैं उनसे कहना चाहता हूं कि इस निर्धन बुंदेलखण्ड का और क्या बिगाड़ोगे? आपकी ही पार्टी ने तो सर्वाधिक शासन किया है, फिर भी यह हाल क्यों है? दरअसल, आपकी पार्टी के लोग भ्रष्टाचार में बहुत अधिक लिप्त हैं। पहले उन्हें पकड़ो, पार्टी से बाहर करो, सजा दो फिर बुंदेलखण्ड की बात करना। जिस पार्टी का इतिहास घोटालों से भरा हो, उस पर विश्वास कैसे किया जाए?
-शान्ति स्वरूप सूरी
362/1, नेहरू मार्ग, झांसी-284001 (उ.प्र.)
कष्टदायक क्षण
पाञ्चजन्य की रपट से यह जानना बहुत कष्टदायक है कि लाहौर की कोटलखपत जेल में भारत के युद्धबंदियों को प्रताड़ना दी जाती रही और यहां 16 दिसम्बर, 1971 को विजय दिवस की खुशियां मनाने का सिलसिला शुरू हुआ। दिग्विजय जैसे सत्तालोभी मुम्बई हमले के शहीदों को साम्प्रदायिक कहते हैं। उस परिवार की पीड़ा दूसरा कैसे समझेगा जिसका प्रियजन युद्ध में लापता हो गया।
-प्रो. परेश
1251/8सी, चण्डीगढ़
आतंकवादी पाकिस्तान
पिछले दिनों पाञ्चजन्य में समाचार पढ़ा कि पाकिस्तान के कराची स्थित मदरसे में बेड़ियों में जकड़े गए बच्चों एवं नौजवानों को आतंकी बनाया जा रहा था। पाकिस्तान में ऐसे अनेक मदरसे हो सकते हैं, जहां नौनिहालों को आतंकवादी बनाया जाता है। इस कारण पूरी दुनिया में पाकिस्तान की पहचान आतंकवादी देश के रूप में होने लगी है। अगर ईमानदारी से जांच की जाए तो भारत के कुछ हिस्सों में भी ऐसे मदरसे मिल जाएंगे, जहां बच्चों को जिहाद का पाठ पढ़ाया जाता है।
-मनोज भारद्वाज
121-ए, बल्लभ बाड़ी, कोटा (राजस्थान)
एक पाती राष्ट्रपति के नाम
हमें प्रसन्नता है कि स्वतंत्र भारत में 121 करोड़ नागरिकों के देश का नेतृत्व एक महिला राष्ट्रपति कर रही हैं। हमें आशा थी कि आपके नेतृत्व में भारत में बेटियों की जन्म पूर्व और जन्म के बाद हत्या बंद हो जाएगी। बहुत सारे कार्यक्रमों में आपने इस पर चिन्ता भी व्यक्त की, पर सच्चाई यह है कि लड़कियां मारी जा रही हैं, कूड़े के ढेर पर फेंकी जा रही हैं और अधिकतर सत्ताधारी ही अपराधियों को संरक्षण देते हैं। अगर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता न चाहें तो कोई भी डाक्टर अपनी मशीनों के बल पर यह नहीं बता सकता कि मां के गर्भ में लड़की है या लड़का। ऐसे ही विज्ञापनों में भी महिलाओं की दुर्गति हो रही है। उनका अद्र्धनग्न वासनात्मक रूप दिखाकर व्यापारी और उद्योगपति अपना धंधा चमकाने और दुकानदारी चलाने का काम करते हैं। सड़कों, अखबारों और दूरदर्शन के परदे पर चौबीस घंटे महिलाएं अपमानित हो रही हैं, पर अफसोस है कि आप सब खामोश हैं। देश की राष्ट्रपति, लोकसभा की अध्यक्षा, विभिन्न राजनीतिक दलों की प्रमुख नेता कोई भी नहीं बोलते। सबसे दु:खद बात यह है कि देश की हजारों बलात्कार पीड़ित लड़कियों को भी न्याय नहीं मिल रहा। कारण, धनबल और सत्ताबल वाले उन्हें खामोश रहने को मजबूर करते हैं। क्या आप ध्यान देंगी अथवा केवल चिन्ता प्रकट कर ही अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेंगी?
-लक्ष्मीकांता चावला
अमृतसर (पंजाब)
सोची समझी चाल
मंत्री हैं कानून के, लेकिन उल्टे काम
सोची समझी चाल है, आरक्षण के नाम।
आरक्षण के नाम, चुनावों का है चक्कर
मिले मुसलमां वोट, थोक में झोली भरकर।
कह “प्रशांत” लेकिन अब जनता मूर्ख नहीं है
इन झूठे वादों को वह भी समझ रही है।।
-प्रशांत
पञ्चांग
वि.सं.2068 तिथि वार ई. सन् 2012
फाल्गुन शुक्ल 4 रवि 26 फरवरी, 2012
“” “” 5 सोम 27 “” “”
“” “” 6 मंगल 28 “” “”
“” “” 7 बुध 29 “” “”
“” “” 8 गुरु 1 मार्च 2012
“” “” 9 शुक्र 2 “” “”
“” “” 10 शनि 3 “” “”
टिप्पणियाँ