मनोरंजन ले रहा है जान
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द अनिल कुमार चौधरी
तकनीक युवाओं पर इस कदर हावी है कि जहां उसने उनके लिए तरक्की के अनेक रास्ते खोले हैं, वहीं वह उनके लिए जानलेवा भी साबित हो रही है। पिछले कुछ दिनों से घटी घटनाएं तो यही बताती हैं। क्या इस तकनीक को लाने वालों या दुनिया के लोगों ने कभी सोचा था कि इयरफोन की लत बड़े स्तर पर युवा पीढ़ी की मौत का कारण बनेगी। इन दिनों अखबार या टीवी पर इयरफोन के कारण हुए हादसों में मौत के समाचार प्रमुखता से लगातार आ रहे हैं। माता-पिता के दर्द को कौन समझेगा, जिन्होंने स्वयं तो जीवन में कभी मोबाइल फोन को हाथ भी नहीं लगाया और आज यह उनके नैनिहालों की मौत का सबब बन रहा है। मौत की वजह है इयरफोन की लत। आए दिन इयरफोन लगाए गानों का आनंद लेता हुआ या मोबाइल पर बातचीत में मशगूल कोई न कोई युवा या तो ट्रेन की चपेट में या सड़क पर वाहन के नीचे आकर हादसे का शिकार बनता है।
अभी पिछले दिनों पश्चिमपुरी, दिल्ली का रहने वाला सतीष आजादपुर में पटरी पार करते हुए ट्रेन की चपेट में आ गया। उसके कान में इयरफोन लगा था, जेब में रखे पेनकार्ड से इसकी पहचान हुई। एक प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार सतीष कान में इयरफोन लगाकर रेलवे पटरी के साथ चल रहा था कि सब्जीमण्डी की ओर जा रही ट्रेन की चपेट में आ गया। लोगों ने उसे हटने के लिए कई आवाजें भी लगाईं, लेकिन कान में इयरफोन लगा होने के कारण वह कुछ न सुन पाया। वैसे ही साहिबाबाद गांव (गाजियाबाद) में रहने वाले संकठा प्रसाद का बड़ा बेटा कौशलेंद्र जो माता सुन्दरी स्कूल (दिल्ली) में 9वीं का छात्र था। घर से निकलकर पैदल साहिबाबाद रेलवे स्टेशन की तरफ जा रहा था, वह भी इयरफोन की वजह से गाजियाबाद से आ रही गरीबरथ ट्रेन की चपेट में आ गया।
पिछले दिनों कई ऐसी घटनाएं सामने आईं, जो बढ़ती ही जा रही हैं। पूरे देश में राष्ट्रीय राजमार्गों पर हो रही दुर्घटनाओं और मौतों की संख्या में वृद्धि के कारण सी.आर.आर.आई. (सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्ट्रीट्यूट) ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर हो रही दुर्घटनाओं की संख्या पर इस बात का पता करने को कहा है कि इन दुघर्टनाओं में इयरफोन के कारण होने वाले हादसों की संख्या कितनी है। वरिष्ठ चिकित्सकों का कहना है कि लगातार इयरफोन के प्रयोग से कान को मिली सुरक्षात्मक शक्ति प्रभावित होता है। यह वातावरण की ध्वनि तरंगों को कान के रास्ते मस्तिष्क तक पहुंचने से रोक देता है। बाहरी, मध्य और अंदरूनी तीन हिस्सों में बंटे कान का क्षेत्र है बाहरी अंग, जो आस-पास की तंरगों को मध्य भाग से होकर अंदरूनी हिस्सों तक पहुंचता है लेकिन मध्य हिस्से में इयरफोन की लीड लगी होने के कारण ध्वनि तरंगें सुनाई ही नहीं देती हैं और मस्तिष्क इयरफोन से आ रहे गाने या बातचीत में संलग्न हो जाता है। लगातार तेज आवाज में इयरफोन सुनते रहने से श्रवण शक्ति भी कमजोर पड़ जाती है। इयरफोन का चलन युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है और वे इसे लगाकर लगातार बातचीत करने या गाना सुनते रहने में तल्लीन हो जाने से अपनी प्राथमिकता ही भूल जाते हैं। उन्हें ध्यान ही नहीं रहता कि जिस ओर जा रहे हैं उधर सुरक्षित हैं भी कि नहीं, जबकि व्यक्ति को अपनी प्राथमिकता तय करनी चाहिए कि उसके लिए जरूरी क्या है, सुरक्षित ढंग से रेलवे लाइन व सड़क पार करना या चलते-चलते गाना सुनना। इयरफोन की लत सिर्फ दुघर्टना या मौत ही नहीं, कई जगह आपसी झगड़े का भी एक बड़ा कारण बनती जा रही है। आए दिन ऐसी घटनाएं भी सामने आ रही हैं। मनोचिकित्सकों का तो कहना है कि यह अन्य नशे की लत के समान ही है। शुरू में इसकी लत लग गई तो इससे निजात पाना बहुत मुश्किल है। लेकिन जिस गति से नौनिहालों की मौत का कारण इयरफोन बन रहा है, उसमें हर स्तर पर जागरूकता लाने की आवश्यकता है। रेलवे ने तो एक जागरूकता अभियान चला रखा है। अभियान में बहुत सारे स्वयंसेवकों को शामिल किया गया है। रेलवे ट्रैक के पास बने स्कूलों में जाकर नुक्कड़ नाटक के द्वारा बच्चों को जागरूक किया जा रहा है। इनकी योजना रेलवे ट्रैक के आस-पास की बस्तियों में नुक्कड़ नाटक और पत्रक के जरिए लोगों विशेषकर युवाओं को जागरूक करना है जिससे बच्चों के साथ माता-पिता भी जागरूक हो पाएं। ताकि युवा इस लत के शिकार होकर अपनी जान जोखिम में न डालें, इसमें सबसे बड़ी भूमिका परिजन उन्हें लगातार समझाकर निभा सकते हैं। द
इयरफोन के कारण हुए कुछ प्रमुख हादसे
जनवरी-2012 मंडोली रेलवे लाइन पर मोबाइल पर गाना सुनते जा रहे धर्मेद्र की ट्रेन से कटकर मौत।
जनवरी 2012 लारेंस रोड रेलवे लाइन पर ट्रेन की चपेट में आकर मोहन की मौत।
दिसम्बर-2011 इयरफोन लगाकर चल रहे कुलदीप और राहुल नाम के युवक राजेन्द्र नगर रेलवे क्रांसिग पर ट्रेन की चपेट में जान से हाथ धो बैठे।
दिसम्बर-2011 बाराखंभा रोड के पास डीटीसी बस ने साईकिल सवार राजकुमार को कुचला। वह इयरफोन लगाकर गाने सुनता जा रहा था।
नवम्बर-2011 दिल्ली के प्रीत विहार में प्रिया जैन को मोबाइल पर बात करते समय बाइक ने टक्कर मारी फिर बस से कुचलकर मौत।
नवम्बर-2011 मोबाइल पर बात करते हुए रेलवे ट्रैक पार करते रोरी में रविशंकर की मौत।
नवम्बर-2011 चिपियाना बुजुर्ग में रेलवे क्रांसिग पार करते समय बाइक सवार अजीत ट्रेन की चपेट में आया। अजीत मोबाइल पर बात कर रहा था।
अक्तूबर-2011 फरीदाबाद स्टेशन पर इयरफोन के कारण राहुल ट्रैन की चपेट में आकर घायल हुआ।
सितम्बर-2011 बृज विहार में मोबाइल पर बात करती सीमा ट्रेन की चपेट में आई।
सितम्बर-2011 नरेला में इयरफोन लगाकर रेलवे लाइन पार कर रही तमन्ना की मौत।
जून-2011 कोट गांव फाटक पर युवक घायल हुआ। इयरफोन लगा होने से ट्रेन की आवाज ही नहीं सुन पाया।
अप्रैल-2011 फरीदाबाद में ट्रेन की चपेट में आकर दीपशिखा की मौत।
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