चुनावी षड्यंत्र!
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बर्फ से ढंके और सर्दी से ठिठुरते उत्तराखण्ड में मतदान तिथि के पीछे
बर्फ से ढंके और सर्दी से ठिठुरते उत्तराखण्ड में मतदान तिथि के पीछे
चुनावी षड्यंत्र!
मनोज गहतोड़ी
24 दिसम्बर को उत्तराखण्ड में मतदान की तिथि घोषित होते समय राज्य में मतदाताओं के समक्ष उत्पन्न होने वाली जिन गंभीर परिस्थितियों की आशंका व्यक्त की जा रही थी, वह इस बीच हुए भारी हिमपात, वर्षा और भूस्खलन तथा कपकंपाती ठंड ने सच कर दिखाई है। मतदान के एक सप्ताह पहले तक भी राज्य का प्रशासन, सरकार व ऊपरी दूरदराज के क्षेत्रों में मतदाता इन विकट परिस्थितियों से जूझते देखे गए। परिणामत: मतदान की तिथि यानी 30 जनवरी के निकट आने पर भी राज्य के करीब 60 प्रतिशत, विशेषकर 6000 फुट की ऊंचाई वाले इलाकों में तो ठीक से चुनाव प्रचार की शुरुआत तक नहीं हो पाई। पार्टी कार्यकर्ताओं की तो बात ही क्या, इन क्षेत्रों के प्रत्याशी तक घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं कर पाए। ऐसी जमा देने वाली सर्दी के बीच मतदान कराने की जिद में जनता को राजनीतिक षड्यंत्र की बू आ रही है, जबकि राज्य सरकार ने चुनाव आयोग से मतदान तिथि बदलने का बार-बार आग्रह किया था। मतदाता ऐसी स्थिति में मतदान प्रतिशत में जबर्दस्त गिरावट की आशंका जता रहे हैं। इस संवाददाता को उत्तराखण्ड में चुनाव आयोग द्वारा घोषित की गयी मतदान तिथि 30 जनवरी को लेकर उत्तराखण्ड के सुदूरवर्ती क्षेत्रों से मतदाताओं की तीखी प्रतिक्रियायें मिली हैं। मतदाताओं, चुनाव विश्लेषकों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तो इसे कांग्रेस के दबाव में चुनाव आयोग द्वारा की गयी साजिश बताया है।
उत्तराखण्ड की भौगोलिक परिस्थितियां बर्फबारी एवं ठंड के कारण फिलहाल चुनाव कराने के अनुकूल नहीं हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में पल-पल बदल रहे मौसम तथा भारी बर्फबारी को लेकर मतदाता काफी चिन्तित नजर आ रहे हैं। तेज बर्फबारी ने चकराता, मसूरी, धनौल्टी, जोशीमठ, औली, केदारनाथ, बद्रीनाथ, उत्तरकाशी, पौड़ी, नैनीताल, मुक्तेश्वर, गंगोत्री, यमुनोत्री, पिथौरागढ़, चमोली, बागेश्वर आदि क्षेत्रों को पंगु बना दिया है। यहां तक कि 9 जनवरी को पौड़ी में अपना नामांकन भरने के लिए मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूरी को भारी हिमपात के बीच 7 कि.मी. पैदल चलकर जाना पड़ा। लेकिन चुनाव आयोग उत्तराखण्ड में मतदान तिथि बदलने के लिए कतई तैयार नहीं हुआ?
उत्तराखण्ड के पूर्व चुनाव आयुक्त श्री बी.सी. चन्दोला के मुताबिक, चुनाव आयोग चाहता तो गोवा की तर्ज पर ही उत्तराखण्ड में चुनाव कराये जा सकते थे। स्वाभाविक सी बात है कि इससे मत प्रतिशत में जरूर असर पड़ेगा। उनके मुताबिक, पर्वतीय क्षेत्रों में ठण्ड के कारण बुजुर्गों एवं महिलाओं को सबसे अधिक परेशानियां उठानी पड़ती हैं। मैदानों में जहां सभी सुविधाएं हैं, वहीं पहाड़ पर मतदाताओं को पैदल लंबी दूरी तय कर मतदान करने आना पड़ता है, पर चूंकि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है उस पर टिप्पणी करना उचित नहीं लगता।
उत्तराखण्ड से सटे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में केन्द्रीय चुनाव आयोग द्वारा मतदान की अंतिम तिथि 4 मार्च रखी गयी है। उत्तराखण्ड के चमोली, उत्तरकाशी, टिहरी-पौड़ी, चम्पावत आदि जिलों में इस वक्त भंयकर शीत लहर का प्रकोप है, ऐसे में मतदाता घरों से बाहर कैसे निकलेंगे, यह भय कांग्रेस को छोड़ लगभग सभी राजनैतिक दलों को सता रहा है। कई क्षेत्र तो ऐसे हैं जहां पैदल चलकर मतदाता कई घण्टों में मतदान केन्द्रों तक पहुंच पाते हैं। उत्तराकाशी में तो अब भी 73 मतदान केन्द्र ऐसे हैं जहां लगातार बर्फबारी के चलते आम जनजीवन प्रभावित है। वहीं गंगोत्री, यमुनोत्री, उत्तरकाशी के पुरोला विधान सभा क्षेत्र में भी हालात अच्छे नहीं हैं। चमोली जिले के कलगौंठ, सुतोल, पेरी, डुमक, टोरी, हिमनी, पिनाऊ सहित दो दर्जन से अधिक मतदान केन्द्र बर्फबारी के चलते प्रभावित हैं। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता भगत सिंह कोश्यारी ने चुनाव आयोग के फैसले को हैरानी भरा बताया। श्री कोश्यारी के अनुसार, उत्तराखण्ड में घोषित की गई चुनाव की तिथि उत्तराखण्ड के मौसम के लिहाज से ठीक नहीं है। केन्द्रीय चुनाव आयोग के फैसले पर भी कोश्यारी ने विरोध प्रकट किया। मुख्यमंत्री भुवनचन्द्र खंडूरी ने भी खराब मौसम व भारी बर्फबारी के चलते चुनाव तिथि बदलने की मांग चुनाव आयोग से की थी, लेकिन चुनाव आयोग अपने फैसले पर अड़ा रहा।
जागरूक मतदाताओं एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पाञ्चजन्य से बातचीत में तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि केन्द्रीय चुनाव आयोग का यह फैसला निश्चित रूप से कांग्रेस के दबाव में लिया गया कदम है। देहरादून के डा. भारत भूषण भारती ने चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि यह फैसला किसी साजिश के तहत लिया गया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय पहाड़ में कड़ाके की सर्दी व बर्फबारी का होता है, जब आम मतदाता घर से बाहर नहीं निकल पाता, कांग्रेस को यह लग रहा होगा कि वह राज्य में जीतने की स्थिति में नहीं है तो उसने दबाव डालकर चुनाव तिथि घोषित करा दी। चमोली के सामाजिक कार्यकता श्री अतुल शाह ने कहा कि यह तिथि कांग्रेस को चुनाव में फायदा पहुंचाने के लिए रखी गयी है, उत्तर प्रदेश और गोवा की तरह यहां भी 20 फरवरी के बाद चुनाव हो सकते थे। उन्होंने चुनाव आयोग पर दबाव में काम करने का सीधा आरोप लगाया।
भारतीय जनता पार्टी, हरिद्वार के जिला महामंत्री कुलदीप गुप्ता ने कहा कि केन्द्रीय चुनाव आयोग की रणनीति कांग्रेस को पहाड़ों में एकतरफा फायदा पहुंचाने की दिखती है, जो कामयाब नहीं होगी। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का कार्य निष्पक्ष चुनाव कराने के साथ ही अधिक से अधिक मतदाताओं को मतदान करने के लिए जागरूक करने का भी होता है। उन्होंने इसे चुनाव आयोग की कांग्रेस के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ सोची-समझी रणनीति का हिस्सा बताया। पाञ्चजन्य ने टिहरी, डीडीहाट, पिथौरागढ़, चम्पावत, अल्मोड़ा, चमोली, बागेश्वर आदि जिलों में भी कई मतदाताओं के बीच पड़ताल की। सभी जिलों के मतदाताओं ने बातचीत में केन्द्रीय चुनाव आयोग के फैसले को आश्चर्यजनक एवं निराशाजनक बताया। द
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