"मुस्लिम-राग"
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2011 में संप्रग सरकार ने छेड़ा
ई. सन् 2011 की विदाई पर इसका विश्लेषण करने के बाद ध्यान में आता है कि जब पूरा देश भ्रष्टाचार के विरुद्ध जाग उठा, तब केन्द्र की कांग्रेसनीत संप्रग सरकार ने न केवल आन्दोलनकारियों के उत्पीड़न का षड्यंत्र रचा, बल्कि भ्रष्टाचारियों को बचाने में लगी रही। दूसरी ओर वह मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए हिन्दू हनन का षड्यंत्र भी रचती रही। लेकिन इस बीच हिन्दू शक्ति के जागरण व भारतीय स्वाभिमान का शंखनाद भी होता रहा। इस साल सरकार की करतूतों के कारण उसकी कई बार खूब किरकिरी भी हुई। अनेक अवसरों पर सरकार जिहादी आतंकवादियों व माओवादी नक्सलियों के आगे घुटने टेकती नजर आई। भारत और देश के बहुसंख्यक हिन्दू समाज की दृष्टि से सन् 2011 का मूल्यांकन करने पर साफ दिखता है कि इस वर्ष के प्रारंभ से अन्त तक भारतीयता (हिन्दुत्व) पर आन्तरिक और बाह्य चोटें होती रहीं। कभी तथाकथित “भगवा आतंकवाद” की निराधार बातें की गईं, तो कभी हिन्दुओं को प्रताड़ित करने वाले कानून प्रस्तावित किए गए। पूरे वर्ष कांग्रेसी और सेकुलर “भगवा आतंकवाद” को जबर्दस्ती स्थापित करने के कुकर्म में लगे रहे। दूसरी ओर “साम्प्रदायिक व लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक-2011” के द्वारा हिन्दुओं को यह बताने की कुचेष्टा की गई कि इस देश में हिन्दू कानूनी शिकंजे में कसने लायक हैं। साल के अन्तिम महीने में तो अन्य पिछड़ा वर्ग के हिन्दुओं के अधिकारों में कटौती कर “मुस्लिम-आरक्षण” का “विषैला-बीज” बो दिया गया। पूर्वोत्तर भारत में चर्च-प्रेरित उग्रवादी संगठनों ने तीन-चार माह तक आर्थिक नाकेबंदी की। किन्तु केन्द्र की सोनिया-मनमोहन सरकार इन सबसे आंखें मूंदकर पूरे साल बड़ी बेशर्मी के साथ “मुस्लिम-राग” अलापती रही और सरकारी धन लुटाकर “युवराज” को “योग्यता का इंजेक्शन” दिया जाता रहा। इस सरकार ने पूरे वर्ष न्यायालय की अनदेखी भी की। न्यायालय ने जब-जब डंडा मारा तब-तब जागी और कुछ भ्रष्टाचारी जेल भी गये। इस वर्ष कुछ ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुईं जो देशवासियों को शोक संतप्त कर गईं। यहां 2011 की कुछ प्रमुख घटनाएं प्रस्तुत कर रहे हैं अरुण कुमार सिंह-
जनवरी
* 3 जनवरी को पुणे में सात दिवसीय विश्व संघ शिविर का समापन। इसमें 35 देशों के 500 से ज्यादा हिन्दू स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने भाग लिया।
* 12 जनवरी को जंगपुरा (दिल्ली) में न्यायालय के आदेश पर ढहाई गई एक अवैध मस्जिद को लेकर कट्टरवादियों ने जमकर भारत-विरोधी नारे लगाए।
थ् 12 जनवरी को कोलकाता में भाजयुमो की राष्ट्रीय एकता यात्रा प्रारंभ। यह यात्रा श्रीनगर के लालचौक तक जाती और वहां 26 जनवरी को भाजपा के वरिष्ठ नेता तिरंगा फहराते। किन्तु सरकार ने दमनपूर्वक इस यात्रा को जम्मू सीमा पर ही रोक दिया और वरिष्ठ नेताओं को गिरफ्तार कर लिया।
थ् 24 जनवरी को स्वर-भास्कर पं. भीमसेन जोशी का अवसान।
थ् 30 जनवरी को मेरठ में त्रिदिवसीय नवचैतन्य शिविर का समापन। जिसमें ढाई हजार से ज्यादा युवा छात्रों व कर्मियों ने राष्ट्र जागरण का संकल्प लिया।
फरवरी
थ् 10 फरवरी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी ने मालेगांव, अजमेर और हैदराबाद बम विस्फोटों के सन्दर्भ में जांच प्रक्रिया को विकृत किए जाने और संघ के वरिष्ठ अधिकारियों की हत्या के षड्यंत्र की निष्पक्ष जांच कराने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा।
थ् 10-12 फरवरी तक मण्डला (म.प्र.) में “मां नर्मदा सामाजिक कुंभ” का यशस्वी आयोजन हुआ, जिसमें लाखों हिन्दू एकत्र हुए और सामाजिक समरसता का संदेश दिया।
थ् 16 फरवरी को एक प्रेस-वार्ता में प्रधानमंत्री ने 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले के सन्दर्भ में यह कहकर देश को चकित कर दिया कि “राजा ने पारदर्शिता का आश्वासन दिया था। गठबंधन चलाने के लिए समझौते करने पड़ते हैं।”
थ् 16 फरवरी को उड़ीसा में मलकानगिरि जिले के जिलाधिकारी आर. विनीत कृष्ण का माओवादियों ने अपहरण कर लिया। 24 फरवरी को सशर्त उनकी रिहाई हुई।
थ् 22 फरवरी को एक विशेष अदालत ने फरवरी, 2002 को हुए गोधरा नरसंहार को एक सुनियोजित षड्यंत्र बताया और इस मामले में 31 लोगों को सजा सुनाई।
मार्च
थ् 3 मार्च को साकेत (दिल्ली) जिला न्यायालय ने आई.सी.एस.ई. बोर्ड को आदेश दिया कि 10वीं कक्षा की इतिहास एवं नागरिक शास्त्र की पुस्तक से उन अंशों को हटाए जिनसे महापुरुषों के प्रति नफरत जगती हो। शिक्षा बचाओ आन्दोलन समिति के प्रयासों से यह निर्णय आया।
थ् 3 मार्च को सर्वोच्च न्यायालय ने केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त के पद पर पी.जे. थॉमस की नियुक्ति रद्द कर संप्रग सरकार को बड़ा झटका दिया।
अप्रैल
थ् 2 अप्रैल को भारतीय क्रिकेट टीम ने दूसरी बार विश्व कप पर कब्जा किया।
थ् 24 अप्रैल को विश्वविख्यात सन्त सत्य साईं बाबा ने दिव्यधाम की ओर प्रस्थान किया।
मई
थ् 1 व 2 मई की अद्र्धरात्रि को कुख्यात आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को अमरीकी सैनिकों ने मार गिराया।
थ् 10 मई को मेरठ में अवैध कत्लखानों और यांत्रिक बूचड़खानों के खिलाफ अभूतपूर्व बंदी।
थ् 20 मई को पश्चिम बंगाल में लगभग साढ़े तीन दशक से राज कर रही माकपा को परास्त कर तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनीं।
थ् 21 मई को सी.बी.आई. ने लिब्राहन आयोग की रपट पर कोई कार्रवाई करने से मना कर दिया।
थ् 22 मई को रायपुर (छत्तीसगढ़) जिले के दातूनूमा गांव के पास नक्सलियों ने एक पुलिस उपाधीक्षक सहित नौ जवानों को गोलियों से छलनी करने के बाद धारदार हथियारों से उनके शवों को टुकड़े-टुकड़े करके फेंक दिया।
जून
थ् 4 जून की अद्र्धरात्रि को अनशन पर बैठे बाबा रामदेव एवं उनके समर्थकों के खिलाफ केन्द्र सरकार की शह पर दिल्ली पुलिस ने बर्बर कार्रवाई की, जिसकी बड़ी तीव्र आलोचना हुई।
थ् जून के मध्य में विशेषज्ञों ने चेताया कि चीन द्वारा जांग्मू (तिब्बत) में ब्रह्मपुत्र नदी पर बनाया जा रहा बांध असम और अरुणाचल प्रदेश के लिए खतरनाक साबित होगा।
जुलाई
थ् 6-7 जुलाई की मध्य रात्रि को उ.प्र. में कांशीरामनगर (कासगंज) में हुई एक रेल दुर्घटना में 40 से अधिक यात्री मारे गए।
थ् 13 जुलाई को मुम्बई में श्रृंखलाबद्ध तीन बम विस्फोटों में तीन दर्जन से अधिक लोग अपनी जान गंवा बैठे।
थ् 26 जुलाई को हरियाणा उच्च न्यायालय ने गुड़गांव में राजीव गांधी ट्रस्ट को दी गई जमीन पर सवाल उठाया और पूछा यह ट्रस्ट किसका है और उसे जमीन देने में छूट क्यों दी गई?
थ् 27 जुलाई को भ्रष्टाचार के विरुद्ध देशभर के लाखों छात्र अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के नेतृत्व में सड़कों पर उतरे।
अगस्त
थ् 4 अगस्त को उड़ीसा उच्च न्यायालय ने स्वामी लक्ष्मणानंद जी की हत्या की जांच दुबारा कराने को कहा।
थ् 19 अगस्त को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में समाजसेवी अण्णा हजारे ने मजबूत लोकपाल के लिए आमरण अनशन शुरू किया। 15 दिन तक चले इस अनशन में लाखों लोगों ने भाग लिया।
थ् 18 अगस्त को संसद में न्यायमूर्ति सौमित्र सेन पर महाभियोग चला। भारतीय इतिहास में पहली बार किसी न्यायाधीश पर महाभियोग चला। हालांकि उन्होंने महाभियोग के बीच में ही त्यागपत्र दे दिया।
सितम्बर
थ् 6 सितम्बर को ढाका में भारत और बंगलादेश के बीच एक समझौता हुआ। इसके अनुसार प्रधानमंत्री की अगुआई में असंवैधानिक तरीके से राष्ट्रहित को ताक पर रखकर भारत की 11 हजार एकड़ जमीन बंगलादेश को दे दी गई।
थ् 7 सितम्बर को दिल्ली उच्च न्यायालय के बाहर बम विस्फोट। 15 लोग मारे गए।
थ् 12 सितम्बर को सर्वोच्च न्यायालय ने नरेन्द्र मोदी विरोधियों को झटका दिया। जाकिया जाफरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने गुजरात दंगों में मोदी के कथित हाथ पर हाथ धर कर बैठे रहने की शिकायत पर कोई निर्णय देने से मना कर दिया।
थ् 18 सितम्बर को सिक्किम को केन्द्र बनाकर आए भूकम्प में लगभग 120 लोग मारे गए।
थ् 14 सितम्बर को गोपालगढ़ (राजस्थान) में भूमि के एक टुकड़े पर जबरन कब्जा के लिए उमड़ी मुस्लिमों की भीड़ पर पुलिस ने गोली चलाई। 9 लोग मारे गए। किन्तु इस घटना को साम्प्रदायिक रंग देकर हिन्दुओं का उत्पीड़न किया गया।
अक्तूबर
थ् 2 अक्तूबर को उत्तराखण्ड के रूद्रपुर में दंगे हुए। मजहबी कट्टरवादियों ने जमकर उत्पात मचाया।
थ् 11 अक्तूबर को वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की जनचेतना यात्रा सिताबदियारा (बिहार) से शुरू हुई। यह यात्रा 20 नवम्बर को नई दिल्ली में समाप्त हुई।
नवम्बर
थ् 3 नवम्बर को गृह मंत्रालय से संबंधित संसद की स्थाई समिति ने शत्रु सम्पत्ति विधेयक खारिज किया और सरकार से कहा नया विधेयक लाओ। इससे सरकार की खूब किरकिरी हुई।
थ् 21 नवम्बर को उ.प्र. विधानसभा में मात्र 16 मिनट में राज्य को चार भागों में बांटने का प्रस्ताव पारित कराया गया। इसे लोग मुख्यमंत्री मायावती की “चुनावी चाल” मानते हैं।
थ् 24 नवम्बर को केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने खुदरा बाजार में विदेशी कम्पनियों के प्रवेश की अनुमति दे दी। इसके खिलाफ 1 दिसम्बर को देशव्यापी भारत बंद हुआ और उधर संसद कई दिन तक नहीं चल पाई। अन्तत: सरकार ने इस मुद्दे को ठण्डे बस्ते में डाल दिया।
दिसम्बर
थ् 4 दिसम्बर को लन्दन में प्रसिद्ध अभिनेता देवानन्द का निधन।
थ् 9 दिसम्बर को कोलकाता के एम.आर.आई. अस्पताल में लगी आग से लगभग 100 लोगों की मौत।
थ् 23 दिसम्बर को केन्द्रीय मंत्रिमण्डल ने मजहबी अल्पसंख्यकों को अन्य पिछड़ा वर्ग के हिस्से से 4.5 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया। इसका हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने जमकर देशव्यापी विरोध किया।
थ् 27 दिसम्बर को लोकसभा में लम्बी बहस के बाद लोकपाल विधेयक पारित हो गया। किन्तु 29 दिसम्बर को राज्यसभा में इस विधेयक पर चर्चा के दौरान ही सरकार हार के डर से भाग खड़ी हुई।
थ् 28 दिसम्बर को मुम्बई में अपने तीन दिवसीय अनशन को बीच में ही समाप्त कर अण्णा हजारे ने देशभर में केन्द्र सरकार के विरुद्ध जनजागरण अभियान चलाने की घोषणा की।द
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