विविध
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कश्मीर समस्या के लिए नेहरू जिम्मेदार
-कुप्.सी. सुदर्शन, निवर्तमान सरसंघचालक, रा.स्व.संघ
“सम्पूर्ण समाज को जागृत करने में गांधीजी की भूमिका को कोई नकार नहीं सकता। अनेक प्रकार के आंदोलनों के जरिए उन्होंने समाज की चेतना को जगाया। लेकिन उनकी सबसे बड़ी गलती यह थी कि उन्होंने जवाहर लाल नेहरू को अपने उत्तराधिकारी के रूप में चुना”। उक्त विचार रा.स्व.संघ के निवर्तमान सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन ने गत 19 नवंबर को “हिन्द स्वराज की अनंत यात्रा” पुस्तक का लोकार्पण करते हुए व्यक्त किए। कार्यक्रम का आयोजन प्रज्ञा संस्थान द्वारा दिल्ली के हिन्दी भवन में किया गया। पुस्तक के लेखक रा.स्व.संघ के प्रचारक श्री अजय कुमार उपाध्याय हैं।
श्री सुदर्शन ने आगे कहा कि पंडित नेहरू गांधीजी की सबसे बड़ी कमजोरी थे, जिसके चलते उन्होंने सरदार पटेल जैसे नेताओं को भी दरकिनार कर दिया। आज जो कश्मीर पाकिस्तान के कब्जे में है, वह नेहरू की गलती के कारण है। उन्होंने कहा कि खंडित भारत में हिन्द स्वराज की अनंत यात्रा संभव नहीं है। इसके बारे में भी विचार करने की जरूरत है।
मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक डा. रामजी सिंह ने कहा कि गांधीजी का हिन्द स्वराज शाश्वत ग्रंथ है। यह विश्व को मार्गदर्शन देने की एक छोटी सी किरण है। गांधीजी आत्मज्ञान एवं विज्ञान के समन्वय पर बल देते थे। उनका कहना था कि आत्मज्ञान के बिना विज्ञान अंधा है और विज्ञान के बिना आत्मज्ञान पंगु है। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार श्री जवाहर लाल कौल ने की।
पुस्तक के बारे में बताते हुए श्री अजय कुमार उपाध्याय ने कहा कि यह पुस्तक मैंने अपने आत्मविकास के लिए लिखी है। पुस्तक के प्रकाशक, प्रभात प्रकाशन के श्री प्रभात कुमार ने कहा कि हमने ऐसी पुस्तकों का प्रकाशन किया है, जिससे भारत के गौरवशाली अतीत की झलक मिले। इसी कड़ी में यह पुस्तक है।
इस अवसर पर रा.स्व.संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री श्रीकांत जोशी, हिन्दू जागरण के अ.भा. सह संयोजक श्री अशोक प्रभाकर, दिल्ली प्रांत के सेवा प्रमुख श्री अजय कुमार सहित बड़ी संख्या में गण्यमान्य नागरिक उपस्थित थे। द प्रतिनिधि
हैदराबाद में “साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक” पर संगोष्ठी
समाज में अविश्वास और विद्वेष बढ़ेगा
-राममाधव, सदस्य, अ.भा. कार्यकारी मंडल, रा.स्व.संघ
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री राममाधव ने कहा कि “साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक” संविधान की मूल भावना के विपरीत राज्य सरकारों के कार्यों में हस्तक्षेप कर देश के संघीय ढांचे को ध्वस्त करेगा। इसके लागू होने पर भारतीय समाज में परस्पर अविश्वास और विद्वेष की खाई इतनी बड़ी और गहरी हो जाएगी, जिसको पाट पाना किसी के लिए भी सम्भव नहीं होगा। वे गत दिनों हैदराबाद में “साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक” पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। संगोष्ठी का आयोजन स्वयंसेवी संस्था- प्रज्ञा भारती एवं सोशल कॉज के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
श्री राममाधव ने विधेयक पर गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि जिस कमेटी ने इस विधेयक को तैयार किया है उसका चरित्र ही इस विधेयक के इरादे को स्पष्ट कर देता है। जब इसके सदस्यों और सलाहकारों में हिन्दूविद्वेषी घोर साम्प्रदायिक शक्तियों के हस्तक हों तो विधेयक के इरादे क्या होंगे, आसानी से कल्पना की जा सकती है।
श्री राममाधव ने कहा कि विधेयक मानता है कि बहुसंख्यक समाज हिंसा करता है और अल्पसंख्यक समाज उसका शिकार होता है, जबकि भारत का इतिहास कुछ और ही बताता है। हिन्दू ने कभी भी गैर हिन्दुओं को नहीं सताया, उनको संरक्षण ही दिया है। उसने कभी हिंसा नहीं की, वह हमेशा हिंसा का शिकार हुआ है। उन्होंने कहा कि संविधान की मूल भावना के अनुसार किसी आरोपी को तब तक अपराधी नहीं माना जाता जब तक वह दोषी सिद्ध न हो जाए, परन्तु इस विधेयक में आरोपी तब तक दोषी माना जायेगा जब तक कि वह अपने आपको निर्दोष सिद्ध न कर दे। विधेयक के प्रावधान पुलिस अधिकारी को इतना कस देते हैं कि वह उसे जेल में रखने का पूरा प्रयास करेगा ही, क्योंकि उसे अपनी प्रगति रपट शिकायतकर्ता को निरंतर भेजनी होगी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि हमारे देश का कानून सभी को समानता का अधिकार देता है इसलिए साम्प्रदायिक कानून बनाना गलत है। उन्होंने कहा कि जिस कानून को मुस्लिमों का हितैषी बताकर प्रचारित किया जा रहा है, यदि वह लागू होता है तो क्या बहुसंख्यक समुदाय में अल्पसंख्यकों के प्रति असंतोष नहीं बढ़ेगा? केंद्र की मंशा भी यही है, ताकि “बांटो और राज करो” की नीति के तहत दोनों समुदायों को लड़ाकर देश पर राज किया जा सके।
संगोष्ठी को आंध्र प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री अन्जनेया रेड्डी ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में हैदराबाद के गण्यमान्य नागरिक उपस्थित थे।
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