ये अफजल के पैरोकार
December 11, 2023
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • वेब स्टोरी
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • जनजातीय नायक
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • वेब स्टोरी
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • जनजातीय नायक
No Result
View All Result
Panchjanya
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • पत्रिका
  • वेब स्टोरी
  • My States
  • Vocal4Local
होम Archive

ये अफजल के पैरोकार

by
Sep 28, 2011, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

सोनिया-राहुल की शह पर उमर की मजहबी राजनीति

दिंनाक: 28 Sep 2011 11:46:51

 विशेष प्रतिनिधि

 मजहबी आधार पर देश के बाकी राज्यों के मुकाबले एक पृथक दर्जा रखने वाले जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी सोच ने जीवन के कई पक्षों को बुरी तरह प्रभावित करने के पश्चात अब देश की संवैधानिक न्याय प्रणाली तक को भी अपनी चपेट में लेने की कोशिश शुरू कर दी है। इस संदर्भ में देश में लोकतंत्र की प्रतीक संसद पर आक्रमण करने के दोषी जिहादी अफजल को फांसी देने के निर्णय पर भी प्रश्नचिन्ह लगाने आरम्भ कर दिए गए हैं। विचित्र बात यह है कि ऐसा करने वालों में स्वयं मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला शामिल हैं। उनका वह वक्तव्य पूरे देश में भत्र्सना का निशाना बना है जिसमें उन्होंने राजीव गांधी के हत्यारों तथा अफजल जैसे अपराधियों की फांसी निरस्त करने की पैरवी करते हुए कश्मीर में शांति प्रक्रिया तक के प्रभावित होने की एक प्रकार से चेतावनी दी है।

 उमर अब्दुल्ला की यह साम्प्रदायिक तथा अलगाववादी सोच कोई नई बात नहीं है। अफजल का मामला देश की न्याय प्रणाली के साथ सीधा जुड़ा है। किन्तु इस संबंध में कई लोगों की विचित्र सोच सामने आ रही है। उमर के पिता तथा केन्द्रीय मंत्री डा. फारुख अब्दुल्ला को अपने मुख्यमंत्री बेटे के अफजल की फांसी निरस्त कराने के वक्तव्य में कुछ भी गलत नहीं लगता। लगेगा भी कैसे, क्योंकि वह स्वयं भी समय-समय पर मजहबी असर के चलते रंग बदलते रहे हैं। वे कई मौकों पर भारत विरोधी गतिविधियों का समर्थन करते दिखाई दिए हैं तथा कई विवादित वक्तव्य देते रहे हैं। सत्ता में आने से पहले वे अलगाववादी- उग्रवादी संगठन जे.के.एल.एफ. के समर्थक माने जाते थे और कुछ वर्षों तक तो वह अपने पिता शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के समर्थन से 1975 तक जनमत संग्रह मोर्चा के युवा नेताओं के एक प्रकार से प्रमुख भी थे। किन्तु उनका समय-समय पर रंग बदलना तथा समय तथा स्थान को देखकर बयान देना एक आदत बन गई है।

 इसमें कोई संदेह नहीं है कि शेख के पश्चात फारुख और अब उमर ने भी वही अलगाववादी डगर अपना ली है। कभी वह कश्मीर के भारत में विलय के अंतिम होने को चुनौती देते हैं, तो कभी कश्मीर को विवादित बताने के साथ ही कश्मीरियों और पाकिस्तान को भी उस विवाद का एक पक्ष मानते हैं। कभी वे कश्मीर के व्एक राजनीतिक समस्याव् होने की बात करके इसके व्भविष्य का निर्णयव् करने का राग अलापने लगते हैं। अपने ताजा पैंतरे में खुलेआम अफजल जैसे जिहादियों की फांसी निरस्त करने की पैरवी करके वे मजहबी उन्मादियों को शह देते मालूम होते हैं।

 विशेषज्ञों का मानना है कि घाटी के अनेक नेता सत्ता में आने से पहले कुछ और सोच दर्शाते हैं तो सत्ता में आने के पश्चात कुछ अलग ही चाल चलते दिखते हैं। ये ही नेता प्रदेश सरकार की असफलताओं से कश्मीरी जनता का ध्यान हटाने के लिए विवादित वक्तव्य उछालने लग जाते हैं। यह कोई नई बात नहीं है कि सत्ता में आने के कुछ ही समय पश्चात उमर अब्दुल्ला ने कई विवादित वक्तव्य ही नहीं दिए, अपितु कई ऐसे निर्णय भी लिए हैं कि जिनकी भारत के संविधान में आस्था रखने वाले व्यक्ति से आशा नहीं की जा सकती। इनमें उस पार उग्रवाद का प्रशिक्षण लेकर घाटी लौटने वाले जिहादियों की वापसी तथा पुनर्वास की सरकारी नीति के अलावा सुरक्षा बलों पर पत्थर बरसाने वालों को आम माफी दिया जाना और सुरक्षाबलों के विशेष अधिकारों को समाप्त करने जैसे विषय शामिल हैं।

 उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर की गठबंधन सरकार में कांग्रेस कहने को तो बराबर की भागीदार है, इसके मंत्रियों की संख्या भी नेशनल कान्फ्रेंस के लगभग बराबर ही है, किन्तु विपक्षी दलों, विशेषकर भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में सत्ता से चिपके रहने के लिए नेशनल कांफ्रेंस की बी-टीम के रूप में काम कर रही है। इस संबंध में उल्लेखनीय यह भी है कि कई विषयों पर कांग्रेस ने नेशनल कान्फ्रेंस के साथ अपने सैद्धान्तिक मतभेद जताए हैं। विधानसभा के अंदर कई बड़े कांग्रेसी नेताओं ने अपने इन मतभेदों का उल्लेख भी किया। जिहादी प्रशिक्षण लेने उस पार गए जिहादियों की वापसी तथा उनके पुनर्वास के प्रस्तावों का उन्होंने शुरू में कड़ा विरोध किया, किन्तु शायद आलाकमान से दबाव आने पर स्थानीय कांग्रेसियों को चुप्पी साधने को विवश होना पड़ा।

 इतिहास पलटकर देखें तो शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की नेहरू के साथ मित्रता थी। इसी मित्रता का परिणाम था कि संविधान निर्माण के अंतिम चरणों में शेख को खुश करने के लिए संविधान में धारा-370 जोड़ दी गई। इसके अंतर्गत इस राज्य को एक अलग ही दर्जा दिया गया। यद्यपि यह धारा व्अस्थाईव् है किन्तु 60 से अधिक वर्ष बीत जाने के बाद भी यह धारा संविधान में बनी हुई है। अलगाववादी तत्व आए दिन इस धारा को स्थायी बनाने और राज्य को और अधिक स्वायत्तता देने की मांग उछाल देते हैं। धारा-370 इस राज्य की जनता के अधिकारों को बुरी तरह प्रभावित कर रही है। देश की संसद द्वारा पारित कोई भी कानून इस राज्य में उस समय तक लागू नहीं होता जब तक राज्य सरकार और विधानसभा से स्वीकृति नहीं मिलती।

 अफजल को फांसी दिए जाने का विरोध करने वालों ने कांग्रेस के लिए एक विचित्र सी परिस्थिति उत्पन्न कर दी है। सत्ताधारी नेशनल कान्फ्रेंस ने यद्यपि इस पर संगठनात्मक रूप से अभी कोई निर्णय नहीं लिया है, किन्तु मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के विवादित वक्तव्य से शह पाकर कई अलगाववादी नेताओं ने अलग-अलग बयान देने आरम्भ कर दिए हैं। विधानसभा के एक सदस्य इंजीनियर अब्दुल रशीद ने तो आगामी सत्र में एक नियमित प्रस्ताव लाने की घोषणा तक कर डाली है कि अफजल का मृत्युदण्ड माफ कर दिया जाए।

 इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष तथा सरकार क्या रुख अपनाती है इसका पता तो 26 सितम्बर को विधानसभा का सत्र शुरू होने के पश्चात ही चलेगा, किन्तु इससे जम्मू के कांग्रेसी खासे चिंतित दिखाई देते हैं। वे अभी तक यह नहीं कह पा रहे हैं कि विधानसभा के अंदर उनके मंत्रियों तथा सदस्यों की क्या रणनीति रहने वाली है। जम्मू के कांग्रेसियों की चिंता स्वाभाविक भी दिखाई देती है क्योंकि भाजपा तथा कई राष्ट्रवादी संगठनों ने अफजल के मामले पर उमर अब्दुल्ला के विवादित वक्तव्य को न केवल एक बड़ा मुद्दा बना लिया है, अपितु मुख्यमंत्री के पुतले जलाकर कांग्रेसियों से अनुरोध किया जा रहा है कि वे इस संबंध अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करें।

 इस बीच यह भी चर्चा है कि अगर नेहरू ने अपने दोस्त शेख अब्दुल्ला को प्रसन्न करने के लिए तब संविधान में देश की एकता को प्रभावित करने वाली धारा-370 जुड़वा दी थी तो आज कांग्रेस के व्युवराजव् राहुल गांधी भी अपने मित्र उमर अब्दुल्ला को प्रसन्न करने के लिए व्कुछव् कर सकते हैं। कई बड़े कांग्रेसियों के विरोध के बावजूद उमर अब्दुल्ला अगर आज भी निडर होकर मजहबी राजनीति कर रहे हैं तो सोनिया गांधी तथा राहुल की व्कृपाव् से ही यह संभव हो पा रहा है।

 जब कांग्रेस आलाकमान से इतना समर्थन मिल रहा हो तो भला उमर अपने वोट सुरक्षित रखने के लिए मजहबी राजनीति क्यों नहीं करेंगे, वे अफजल की फांसी माफ करने की वकालत क्यों नहीं करेंगे! उससे फिर चाहे देश की सुरक्षा से खिलवाड़ ही क्यों न हो। सोनिया पार्टी को आखिर देशहित से कहीं अधिक अपनी सत्ता की चिंता है। ऐसा कई वर्षों से होता चला आ रहा है तथा कश्मीर समस्या सुलझने की बजाय प्रतिदिन जटिल होती जा रही है।

ShareTweetSendShareSend

संबंधित समाचार

Joe Biden under scritiny for Israel aid

BREAKING: इजरायल की मदद के लिए अमेरिकी कांग्रेस को बाइपास करना पड़ा महंगा, जांच के दायरे में जो बाइडेन

पंजे को ले डूबा तुष्टीकरण

पंजे को ले डूबा तुष्टीकरण

UP News : राम-राम बोलने पर भड़क गया टीचर, छात्र को लगा दी फटकार, आक्रोशित लोगों ने किया प्रदर्शन

UP News : राम-राम बोलने पर भड़क गया टीचर, छात्र को लगा दी फटकार, आक्रोशित लोगों ने किया प्रदर्शन

छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बताई सरकार की प्राथमिकता, कहा- 18 लाख लोगों को मिलेगा आवास

छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बताई सरकार की प्राथमिकता, कहा- 18 लाख लोगों को मिलेगा आवास

WFI Election : 21 दिसंबर को होंगे भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव

WFI Election : 21 दिसंबर को होंगे भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव

Ram Mandir Ayodhya : मोहित पाण्डेय बनेंगे राम मंदिर के पुजारी, जानें क्या है योग्यता

Ram Mandir Ayodhya : मोहित पाण्डेय बनेंगे राम मंदिर के पुजारी, जानें क्या है योग्यता

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Joe Biden under scritiny for Israel aid

BREAKING: इजरायल की मदद के लिए अमेरिकी कांग्रेस को बाइपास करना पड़ा महंगा, जांच के दायरे में जो बाइडेन

पंजे को ले डूबा तुष्टीकरण

पंजे को ले डूबा तुष्टीकरण

UP News : राम-राम बोलने पर भड़क गया टीचर, छात्र को लगा दी फटकार, आक्रोशित लोगों ने किया प्रदर्शन

UP News : राम-राम बोलने पर भड़क गया टीचर, छात्र को लगा दी फटकार, आक्रोशित लोगों ने किया प्रदर्शन

छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बताई सरकार की प्राथमिकता, कहा- 18 लाख लोगों को मिलेगा आवास

छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बताई सरकार की प्राथमिकता, कहा- 18 लाख लोगों को मिलेगा आवास

WFI Election : 21 दिसंबर को होंगे भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव

WFI Election : 21 दिसंबर को होंगे भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव

Ram Mandir Ayodhya : मोहित पाण्डेय बनेंगे राम मंदिर के पुजारी, जानें क्या है योग्यता

Ram Mandir Ayodhya : मोहित पाण्डेय बनेंगे राम मंदिर के पुजारी, जानें क्या है योग्यता

ABVP 69th National Convention : देश की चिंता करने वालों का संगठन है विद्यार्थी परिषद- रजत शर्मा

ABVP 69th National Convention : देश की चिंता करने वालों का संगठन है विद्यार्थी परिषद- रजत शर्मा

World Investment Conference : 11 दिसंबर से नई दिल्ली में आयोजित होगा विश्व निवेश सम्मेलन

World Investment Conference : 11 दिसंबर से नई दिल्ली में आयोजित होगा विश्व निवेश सम्मेलन

कुशासन के कीचड़ में खिला कमल

कुशासन के कीचड़ में खिला कमल

महाराष्ट्र के सीएम ने 300 श्रद्धालुओं को किया अयोध्या रवाना, कहा- ‘राम मंदिर के लिए पीएम मोदी-सीएम योगी का आभारी…

महाराष्ट्र के सीएम ने 300 श्रद्धालुओं को किया अयोध्या रवाना, कहा- ‘राम मंदिर के लिए पीएम मोदी-सीएम योगी का आभारी…

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • राज्य
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • जीवनशैली
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • संविधान
  • पर्यावरण
  • ऑटो
  • लव जिहाद
  • श्रद्धांजलि
  • बोली में बुलेटिन
  • Web Stories
  • पॉडकास्ट
  • Vocal4Local
  • पत्रिका
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies