साहित्यिकी
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कठपुतली हैं हम सभी रंगमंच संसार,
जिसको जो प्रभु ने दिया निभा रहा किरदार।
बहुमंजिली इमारतें मोबाइल संदेश,
चल कागा घर आपने बदल गया परिवेश।
-अनमोल शुक्ल
एकमुखी रुद्राक्ष सा तुमसे पाया नेह,
पल में अभिमंत्रित हुई यह कुंदन-सी देह।
-उमाश्री
सबका मालिक एक है फिर काहे का वैर,
कर लें हम मिलकर दुआ मांगे सबकी खैर।
तुलसी सूर कबीर के साथ कहें रसखान,
जिसमें जितनी सादगी उतना वही महान।
-गौरव गोयल
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