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श्री अमरनाथ यात्रा पर विवाद खड़ा करने की फिराक में अलगाववादीश्री अमरनाथ यात्रा की अवधि व यात्रियों की संख्या को लेकर जम्मू-कमीर राज्य में एक बार पुन: विवाद पैदा होने के आसार नजर आ रहे हैं। अलगाववादी संगठन हुर्रियत कांफ्रेंस के कट्टरवादी नेता सईद अली शाह गिलानी द्वारा श्रीनगर की जामा मजिस्द में गत दिनों श्री अमरनाथ यात्रा की अवधि को 2 महीनों के बजाय 15 दिन तक सीमित कर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी कम करने की मांग पर श्री अमरनाथ संघर्ष समिति ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए इसका कड़ा विरोध किया है। श्री अमरनाथ यात्रा संघर्ष समिति के पूर्व संयोजक लीलाकरण शर्मा ने गीता भवन, जम्मू में हुए एक कार्यक्रम में कहा कि अपना अस्तित्व खो रहे अलगावादी संगठन बौखहालट में आकर ही इस प्रकार की बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने गिलानी को चेतावनी देते हुये कहा कि वह श्री अमरनाथ यात्रा पर कोई भी बयानबाजी करने से पहले 2008 में हुये आंदोलन को ध्यान में रखें। लीलाकरण, जिन्होंने 2008 में हुये अमरनाथ भूमि आंदोलन का सफल नेतृत्व किया था, ने कश्मीरी अलगाववादी नेताओं को श्री अमरनाथ यात्रा से दूर रहने की सलाह दी है।उन्होंने कहा कि श्री अमरनाथ यात्रा देश-विदेश के करोड़ों हिन्दुओं की आस्था से जुड़ी है और यात्रा की अवधि का फैसला भी हिन्दू समाज व श्री अमरनाथ श्राईन बोर्ड को ही करने का हक है, गिलानी जैसे लोगों को नहीं। बेहतर होगा कि गिलानी राज्य का माहौल खराब करने की कोशिश न करें, वरन् इस खराबी से जो आग की लपटें निकलेंगी उसमें गिलानी जैसे अलगाववादी स्वयं भस्म हो जायेंगे। श्री लीलाकरण शर्मा ने कहा कि यात्रा की अवधि बढ़ सकती है, घटने का तो सवाल ही नहीं। उन्होंने कहा कि श्री अमरनाथ यात्रा में प्रतिवर्ष बढ़ रही श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुये इसकी अवधि दो महीने से भी अधिक बढ़ाई जानी चाहिए।उन्होंने कहा कि हमें 2008 में हुये अमरनाथ भूमि आंदोलन की राह पर चलने को मजबूर न किया जाये जिसमें राज्य, केन्द्र सरकार व पाकपरस्त व्यक्तियों को मुंह की खानी पड़ी थी। उन्होंने कहा कि कश्मीर भारत का मुकुट है और हम इस पर किसी की भी बुरी नजर नहीं पड़ने देंगे।श्री अमरनाथ यात्रा के दौरान लगने वाले लंगरों तथा बाहरी राज्यों से आने वाले वाहनों पर राज्य सरकार द्वारा लगाये गये भारी भरकम कर का विरोध करते हुये उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार हज यात्रियों की सुविधा के लिए हर वर्ष करोड़ों रुपये सरकारी खजाने से खर्च करती है तो दूसरी ओर अमरनाथ यात्रा में सरकारी सहायता तो दूर उल्टा कर लगाकर हिन्दुओं की भावनाओं से खिलवाड़ कर रही है।गौरतलब है कि अलगावादी संगठनों ने 2008 में श्री अमरनाथ भूमि विवाद खड़ा किया था जिसके चलते तत्कालीन कांग्रेस-पीडीपी गठबंधन ने श्री अमरनाथ श्राईन बोर्ड से भूमि वापिस लेकर राज्य के पर्यटन विभाग के अंर्तगत लाने की कोशिश की थी। इसके बाद जम्मू संभाग के साथ-साथ पूरे भारतवर्ष में आंदोलन की आग भड़क उठी थी। 62 दिन तक चले इस आंदोलन के दौरान कई लोग शहीद हुये थे तथा बाद में सरकार को झुकना पड़ा था और भूमि पुन: श्री अमरनाथ श्राईन बोर्ड को आवंटित की गई थी।23
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