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सम्पूर्ण भारतवर्ष में लेखनी के माध्यम से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद एवं सामाजिक समरसता का अलख जगाने वाली संस्था, अ.भा. साहित्य परिषद् की निम्बाहेड़ा (राजस्थान) इकाई पिछले दिनों निम्बाहेड़ा में दो दिवसीय “आधुनिक परिप्रेक्ष्य में श्रीमद् भगवद्गीता” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं “कन्या भ्रूण हत्या” के विरोध में काव्य संध्या का भव्य आयोजन सम्पन्न हुआ।संगोष्ठी को पावन सान्निध्य प्रदान करते हुए स्वामी बंशीधराचार्य बड़ीसादड़ी ने कहा कि गीता केवल पुस्तक मात्र नहीं है, अपितु यह भारत का मस्तक है। अ.भा. साहित्य परिषद्, राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष डा. मथुरेशनन्दन कुलश्रेष्ठ ने कहा कि गीता जीवन संघर्ष से पलायन करने वालों की निराशा दूर कर जीवन में आनन्द की अनुभूति कराती है।कार्यक्रम के संयोजक डा. रवीन्द्र उपाध्याय ने अपने शोध पत्र के द्वारा बताया कि भारतीय समाज में व्याप्त विषमता विडम्बना का कारण बन रही है। भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, नक्सलवाद, धार्मिक कट्टरता और आतंकवाद का मुकाबला गीता के द्वारा हो सकता है।इस अवसर पर श्री हीरालाल लुहार, डा. कुसुम शर्मा, श्रीमती मनोरमा माथुर, श्री विशम्भर पाण्डेय, श्रीमती जयन्ती जैन तथा श्री सुनील कुमार शर्मा ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किये। संगोष्ठी की पूर्व संध्या पर कन्या भ्रूण हत्या के विरोध में सामाजिक चेतना जागृत करने के उद्देश्य से एक भव्य काव्य संध्या का आयोजन हुआ, इसमें करीब 33 कवियों ने कन्या भ्रूण हत्या के विरोध में कविता पाठ कर श्रोताओं को इस विषय में सोचने पर विवश कर दिया। द प्रतिनिधि31
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