|
कोई भी व्यक्ति जानबूझकर किसी भी पशु का न तो वध कर सकता है और न ही उसे वध करने के लिए खरीद या बेच सकता है।कोई भी व्यक्ति गोवंश के मांस को न ला सकता है और न ही ले जा सकता है।राज्य के किसी भी क्षेत्र से न तो पशु को वाहन में वध के लिए लाया जा सकता है और न ही ले जाया जा सकता है।राज्य से बाहर अन्य राज्यों में भी गोवंश को किसी भी कारण से नहीं ले जाया जा सकता है। गोवंश को ले जाने के लिए आयुक्त (मजिस्ट्रेट) से अनुमति लेनी जरूरी है।अपराधियों को न्यूनतम एक वर्ष और अधिकतम सात वर्ष की सजा मिलेगी, साथ ही आर्थिक दंड 25 हजार रुपए या फिर 50 हजार रुपए तक हो सकता है।अपराध यदि जानबूझकर किया गया पाया जाएगा तो यह गैरजमानती होगा।यह कानून लागू नहीं होगा यदिपशु को जनस्वास्थ्य के हित से वध करना जरूरी हुआ। इसके लिए सरकार द्वारा अधिकृत पशु अधिकारी से प्रमाण पत्र लेना होगा।राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त किसी भी शोध संस्थान में शोध के लिए पशु वध की जरूरत पड़ने पर।बीमार पशु यदि किसी अन्य पशु के लिए हानिप्रद हुआ।5
टिप्पणियाँ