|
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मशती बीत गई। अभी 23 सितम्बर को उनकी जन्मतिथि पर शताब्दी वर्ष की पूर्णाहुति हुई। उनका जन्मशताब्दी वर्ष भी इतिहास का एक पृष्ठ बन गया। देशभर में उनकी स्मृति में संगोष्ठियां हुर्इं। उनकी कविताओं का मंचन हुआ, साहित्य प्रेमियों ने दिनकर द्वारा रचित साहित्य-गंगा में गोते लगाए, पत्र-पत्रिकाओं में आलेख लिखे, उनके द्वारा रचित काव्य की वर्तमान समय में प्रासंगिकता और उपयोगिता की समालोचना भी की। इसी क्रम में श्री हरिबल्लभ सिंह “आरसी” ने एक स्मृति ग्रंथ का संकलन तथा सम्पादन किया है। दिनकर जन्मशताब्दी समापन समारोह के अवसर पर प्रकाशित इस ग्रंथ में दिनकर जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से संबंधित विभिन्न मतवाद एवं विचार दर्शनों को एक पुस्तक के रूप में संकलित करने का प्रयास किया गया है।ग्रंथ के आरम्भ में राष्ट्रकवि को काव्यात्मक श्रद्धाञ्जलि देते हुए संपादक हरिबल्लभ सिंह कहते हैं-सीमा तोड़ विश्व में पूजित होने वाला वह कौन है, गगन नहीं भारत का दिनकर बना विश्व सिरमौर है।दिनकर जी की रचनाओं की समीक्षा करते हुए हिन्दी विद्यापीठ (देवघर) के पूर्व कुलाधिपति श्री नवल किशोर गौड़ सार रूप में दिनकर को “क्रांति का पुजारी-शांति का पुरोधा” बताते हैं। दिनकर को सामाजिक एवं राष्ट्रीय चेतना का कवि बताते हुए डा. विद्याभूषण मिश्र लिखते हैं कि उनकी वाणी से राष्ट्र की आत्मा मानो अनीतियों एवं विसंगतियों का अनल-दहन करने हेतु गरज उठती थी। दिवाकर वर्मा उन्हें दहकते अंगारों पर इन्द्रधनुषी काव्य का सर्जक सिद्ध करते हैं। सच भी है, दिनकर द्वारा रचित नील कुसुम, साथी, पुरुरवा की उक्ति, नेमत, आपद धर्म, अनल किरीट आदि अनेक रचनाओं में उन्होंने अग्नि देवता की अभ्यर्थना ही तो की है। डा. महीप सिंह, प्रो. मधुबाला नयाल, मैनेजर पाण्डेय, डा. सुरेश गौतम, डा. देवेन्द्र प्रताप सिंह सदृश आधुनिक लेखकों के साथ ही रामवृक्ष बेनीपुरी और हजारी प्रसाद द्विवेदी जैसे उनके समकालीन साहित्यकारों के दिनकर से संबंधित आलेखों का भी इस ग्रंथ में संकलन किया गया है। अधिकांश आलेख दिनकर की रचनाओं- रेणुका (1935), हुंकार (1938), कुरुक्षेत्र (1946), रश्मिरथी (1952), उर्वशी (1961) परशुराम की प्रतीक्षा (1963), हारे को हरिनाम तथा शुद्ध कविता की खोज पर केन्द्रित हैं। कुल मिलाकर यह दिनकर स्मृति ग्रंथ राष्ट्रकवि के विराट व्यक्तित्व को प्रकट करने में समर्थ है। द समीक्षक: जितेन्द्र तिवारीपुस्तक का नाम – दिनकर स्मृति ग्रन्थ संपादक – हरिबल्लभ सिंह “आरसी” प्रकाशक – डा. श्रीकृष्ण सिन्हा संस्थान ओ.सी.रोड, विष्टुपुर, जमशेदपुर (झारखण्ड) मूल्य – 400 रु., पृष्ठ – 37520
टिप्पणियाँ