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मियामी विश्वविद्यालय (अमरीका) के प्रो. माइकल मैक्कुलाग ने अपने विस्तृत अध्ययन के बाद निष्कर्ष निकाला है कि धार्मिक अभिरुचि वाले लोग नास्तिकों से कई मायनों में बेहतर होते हैं, वे ज्यादा अनुशासित होते हैं इसलिए सफलता पाते हैं और अपने लक्ष्य को पाने के प्रति गंभीर होते हैं। ऐसे लोगों की जिंदगी में तनाव कम होता है, सेहत अच्छी रहती है और लम्बी उम्र जीते हैं। उनका यह निष्कर्ष तमाम अनुसंधानों के आधार पर आया है। धार्मिक अनुष्ठान, जैसे प्रार्थना और ध्यान मानव मस्तिष्क पर प्रभाव डालते हैं जो आत्म नियमन और आत्म नियंत्रण की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। जब लोग अपने लक्ष्य को “पवित्र” मानते हैं तो वे उन्हें पाने के लिए ज्यादा ऊर्जा और प्रयास लगाते हैं और इससे उन्हें कामयाबी मिलती है।7
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