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मानव जीवन बड़े भाग्य से मिलता है। इसलिए हमारा जीवन यथासंभव सादगीपूर्ण हो, कर्तृत्ववान हो, परोपकार की भावना से ओतप्रोत हो, सर्वत्र मिठास बिखरने वाला हो तो अच्छा होता है। बचपन से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक होने के कारण मैंने अपने आपको उपरोक्त बिन्दुओं के आसपास ही रखने का प्रयास किया है। जीवन को संयमित और सन्तुलित रखने में संघ के संस्कारों के साथ-साथ मेरी पत्नी श्रीमती सवि कृष्णा का भी बड़ा योगदान है। उन्होंने समय-समय पर ऐसी सलाहें दी हैं, जिनसे गृहस्थ जीवन में बड़ा परिवर्तन हुआ। हर काम में वह मेरा सहयोग करती हैं। उनके सहयोग के कारण और परमपिता परमेश्वर की कृपा से हमारा परिवार सुखी है। हालांकि 1999 में छोटे पुत्र के निधन से हम लोग अवश्य विचलित हुए। किन्तु भगवान की इच्छा के सामने हम मानव की क्या बिसात? इसलिए पुन: अपनी राह पर चल पड़े। रेलवे से सेवानिवृत्त हूं। मैं सुबह शाखा जाता हूं। संघ की अन्य गतिविधियों में भी भाग लेता हूं। शाखा के काम से घंटों घर से बाहर रहता हूं। किन्तु कभी भी मेरी पत्नी ने मुझे शाखा कार्य से मना नहीं किया। मेरा शाखा में जाना, समाज का कार्य करना, उन्हें बड़ा पसन्द है। वह खुद भी सामाजिक कार्यों में भाग लेती हैं। शिक्षा पर उनका बहुत जोर रहता है। उनका मानना है कि समाज शिक्षित होगा तो देश का विकास आप होगा। अपनी इसी मान्यता को साकार करने के लिए वह इस उम्र में भी अपने पास-पड़ोस के कुछ बच्चों को अपने घर बुलाकर नि:शुल्क पढ़ाती हैं।कुछ दिन पहले हमने अपने विवाह की स्वर्ण जयन्ती मनाई है। ईश्वर से प्रार्थना है वह हमें आगे भी स्वस्थ एवं सुखी रखें और समाज के लिए सेवा की सामथ्र्य प्रदान करें।-शिव शम्भू कृष्ण417/205, निवाजगंजपन्नी वाली गली, लखनऊश्श् (उ.प्र.)14
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