|
सर्वोच्च न्यायालय ने केरल सरकार से कहा-कन्नूर हिंसा का पूरा विवरण दो-प्रदीप कुमारगत 14 मई को सर्वोच्च न्यायालय ने केरल सरकार को आदेश दिया कि वह कन्नूर में पिछले एक साल के दौरान हुए राजनीतिक हिंसक संघर्षों की सूची उपलब्ध कराए। इसके लिए अदालत ने दो महीने का समय दिया है। अदालत ने यह आदेश राज्य सरकार द्वारा केरल उच्च न्यायालय की टिप्पणियों को एक मामले की कार्रवाई से निकालने संबंधी याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया है। केरल सरकार ने पिछले नवम्बर माह में तलाशेरी में एक माकपा कार्यकत्र्ता सुधीर कुमार की हत्या के आरोप में गिरफ्तार एक संघ कार्यकत्र्ता की जमानत याचिका के संबंध में दायर मामले की सुनवाई के दौरान केरल उच्च न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों को निकालने की मांग की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने बहस के लिए उक्त याचिका स्वीकारी थी। अपनी याचिका में केरल सरकार ने कहा है कि राज्य पुलिस ने तलाशेरी हिंसा से जुड़े मामलों की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की थी। अदालत ने, हालांकि, इस पर सरकार से पूछा था कि क्या इसकी जांच मौलिक वास्तविकताओं को झुठलाती नहीं है? सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ, जो इस मामले की सुनवाई कर रही है, में मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बालकृष्णन और न्यायमूर्ति पी.एम.रविन्द्रन हैं।केरल उच्च न्यायालय ने अप्रैल 2007 में संघ कार्यकत्र्ता की जमानत याचिका पर बहस के दौरान टिप्पणी की थी कि तलाशेरी में राजनीतिक दल हिंसक परिस्थितियां पैदा कर रहे हैं और यह आम जनता के दैनिक जीवन में बाधा पैदा कर रही है। अदालत की इस टिप्पणी को माकपा ने अपनी साख का विषय बना लिया और इसके राज्य सचिव पिनराई विजयन ने पाटी का बचाव करते हुए उच्च न्यायालय की टिप्पणियों की सार्वजनिक निंदा की। पुलिस के विरुद्ध भी अदालत ने काफी कुछ कहा था, जैसे- राज्य पुलिस उस क्षेत्र में हिंसा को काबू करने में निष्प्रभावी रही है। कांग्रेस ने अदालत की इन टिप्पणियों के बाद माक्र्सवादी हिंसक राजनीति की सार्वजनिक रूप से निंदा की थी। कांग्रेस नेताओं ने उस समय कहा था कि माकपा हर लोकतांत्रिक संस्था, चाहे वह मीडिया हो, न्यायपालिका हो, नौकरशाही या राजनीतिक दल हो, को चुप कराने की कोशिश कर रही है। कन्नूर जिले में तलाशेरी और आसपास के क्षेत्र पिछले कई वर्षों से राजनीतिक हिंसक संघर्षों के गवाह रहे हैं। गत 5 मार्च को माक्र्सवादी हिंसा में रा.स्व.संघ के 5 कार्यकत्र्ताओं की हत्या कर दी गई थी।उल्लेखनीय है कि राजनीतिक हिंसाचार के विरुद्ध केरल उच्च न्यायालय के कड़े रुख को देखकर लोगों ने राहत की सांस ली थी।31
टिप्पणियाँ