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घुसपैठियों को भारतीय सिद्ध करेंगे कामरेड?हाल ही में प. बंगाल सरकार ने बंगलादेश सीमा से सटे मुर्शीदाबाद-जियागंज प्रखण्ड के लगभग 50 हजार ऐसे नागरिकों को एक नोटिस जारी करके उन्हें वैध नागरिक घोषित किया है, जिनके पास भारतीय नागरिकता का न तो कोई कानूनी प्रमाण है न ही ऐसा कोई वैध दस्तावेज। इतना ही नहीं, सरकार ने उन्हें भारतीय नागरिक सिद्ध करने वाला कोई भी दस्तावेज दाखिल करने के लिए 18 माह का समय भी दे दिया है। राज्य सरकार का दिमागी दिवालियापन इतने भर से नहीं झलकता तो एक और उदाहरण देखिए। इन्हीं लोगों को पिछले आम चुनाव की अधिसूचना से पहले भी 2 साल का समय दिया गया था जिसके भीतर वे नागरिकता संबंधी 14 दस्तावेजों में से कोई सा एक प्रस्तुत करते। मगर वे लोग वह भी नहीं कर पाए थे। सरकारी सूत्रों का कहना है कि अगर भारत-बंगलादेश सीमा पर केवल एक ही क्षेत्र में अवैध नागरिकों की इतनी बड़ी संख्या हो सकती है तो यह अंदाजा लगाना कठिन है कि पूरे राज्य में ऐसे घुसपैठिए कितने होंगे। यह तो एक बड़े हिमखण्ड की छोटी सी चोटी है।केन्द्र सरकार ने इसी जियागंज प्रखण्ड को ढाई साल पहले सीमा क्षेत्रों में बहुउद्देशीय पहचान पत्र जारी करने के अभियान में शामिल किया था। केवल एक ऐसा पहचान पत्र बनाने का खर्च 80 रु. आता है। केन्द्र सरकार ने इस मद में 170 करोड़ रु. खर्च किए हैं और यह अभियान अन्य राज्यों, जैसे गुजरात, राजस्थान, जम्मू व कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और पंजाब के सीमा क्षेत्रों में भी चल रहा है। रक्षा मामलों के जानकार कहते हैं कि जब केन्द्र का ऐसा कोई अभियान चल रहा हो जिसमें अवैध नागरिकों को अलग-थलग किया जा सकता है तो ऐसे में प.बंगाल सरकार द्वारा बड़ी संख्या में संदिग्ध लोगों को किसी नोटिस के अधीन नागरिक ठहराना उचित नहीं है।वे हिन्दी बोले, ये अंग्रेजीनई दिल्ली में पिछले सप्ताह दो कार्यक्रम ऐसे हुए जिनमें भारत में मारीशस के उच्चायुक्त श्री मुकेश्वर चुन्नी के विचार सुनने का अवसर मिला। दोनों ही कार्यक्रमों में उन्होंने हिन्दी में भाषण देकर खूब तालियां बटोरीं। चुन्नी जी मारीशस में पैदा हुए हैं और हिन्दी उन्होंने कभी पढ़ी भी नहीं है। यह तो भारत में सेवारत रहने का कमाल है और घर-परिवार में हिन्दी में व्यवहार का। भाषण देने से पहले उन्होंने स्वयं कहा कि वे हिन्दी लिख-पढ़ नहीं सकते, पर बोल सकते हैं। जबकि एक कार्यक्रम के आयोजक, जो भारतीय थे, अंग्रेजी बोलते रहे। श्री चुन्नी ने बताया कि उनके पूर्वज 1860 के आसपास मारीशस गए थे। किन्तु घर में अभी भी हिन्दी और भोजपुरी बोली जाती है, भगवान सत्यनारायण की कथा होती है, होली-दीवाली मनाई जाती है। दिलचस्प नजारा तो उस समय दिखा जब एक कार्यक्रम के आयोजक विशुद्ध अंग्रेजी में अपनी विद्वता दिखाते रहे, परंतु जब महामहिम चुन्नी जी बोले और हिन्दी में बोले तो वही आयोजक महोदय बगलें झांककर अपनी झेंप मिटाते दिखे।कैसे पढ़ाएं यह सब?केरल की सरकार ने अभी अपने राज्य के स्कूलों में यौन शिक्षा का पाठक्रम शुरू किया ही था कि तमाम शिक्षक और छात्र संगठनों ने भयंकर विरोध शुरू कर दिया। वे सड़कों पर उतर आए और इस तीखे विरोध को देखते हुए कम्युनिस्ट सरकार को इस पर फिलहाल रोक लगानी पड़ी। इस यौन शिक्षा के लिए शुरुआत में 9वीं और 11वीं कक्षा के छात्र-छात्राओं को चुना गया था, परन्तु इस पाठक्रम की पुस्तकों और उनमें दिए वर्णनात्मक चित्रों से ऐसा गुस्सा उपजा कि इस पर रोक लगानी पड़ी। केरल के शिक्षा मंत्री एम.ए. बेबी ने रोक लगाते हुए कहा कि इसमें आवश्यक सुधार करके केरल के सामाजिक मूल्यों का ध्यान रखा जाएगा। इस पर पाठक्रम निर्धारण समिति विचार विमर्श करेगी और उसकी हरी झंडी मिलने के बाद ही यह पाठक्रम फिर से लागू किया जाएगा। शिक्षा विभाग के सूत्रों ने यह जानकारी दी है। राज्य के शिक्षक संगठन एस.सी.ई.आर.टी. ने भी इस पाठक्रम को पढ़ाने से साफ इनकार कर दिया है। इस संगठन से जुड़े शिक्षक दबी जुबान में कहते सुने गए, ऊफ! कैसे पढ़ाएं ये सब जो छपा हुआ है। आखिर कोई मर्यादा भी होती है या नहीं।28
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