|
वर्ष 11, अंक 2, सं. 2014 वि., 22 जुलाई, 1957, मूल्य 20 नए पैसेप्रकाशक-श्री राधेश्याम कपूर, राष्ट्रधर्म प्रकाशन लि.,गौतमबुद्ध मार्ग, लखनऊ (उ.प्र.)विधानसभा में कम्युनिस्टों का उर्दू प्रेमजनसंघ सदस्य की आपत्ति पर हिन्दी में प्रतिज्ञा लेनी पड़ी(निज प्रतिनिधि द्वारा)मध्य प्रदेश विधानसभा में जनसंघ के दस सदस्य हैं। पी.एस. पी. के 11 सदस्य हैं, हिन्दू महासभा के 6 सदस्य हैं, रामराज्य परिषद् के 5 सदस्य हैं, सोशलिस्ट 7 हैं एवं 11 स्वतंत्र सदस्य हैं।म.प्र. विधानसभा की बैठक 1 जुलाई, 1957 को प्रारम्भ हुई। 1 जुलाई को शपथ विधि सम्पन्न होकर 2 जुलाई को स्पीकर का चुनाव हुआ। उसमें श्री कुंजीलाल दुबे स्पीकर निर्वाचित हुए। दिनांक 3-7-1957 से विधानसभा का सामान्य कामकाज प्रारंभ हुआ। जनसंघ के विधानसभा में नेता श्री विमल कुमार चोरड़िया के प्रश्नों से कार्यवाही प्रारंभ हुई।शपथ विधि में कम्युनिस्ट सदस्य श्री शाकिर अली खां (भोपाल) ने उर्दू में, अपनी इच्छानुसार अनुवाद करके, शपथ ग्रहण की। इस पर दिनांक 4 जुलाई, 1957 को श्री वीरेन्द्र कुमार सखलेचा (सचेतक, जनसंघ) ने सदन में प्रश्न उठाया कि शाकिर अली खां ने विधि नियमानुसार (धारा 188 भारतीय संविधान के अनुसार) वैधानिक शपथ ग्रहण नहीं की है और मनमानी उर्दू में अनुवाद करके शपथ ली है, अत: वे सदन की कार्यवाही में भाग नहीं ले सकते। इस पर तत्कालीन अध्यक्ष ने निर्णय हेतु समय चाहा। पश्चात् निर्वाचित अध्यक्ष श्री दुबे ने 8 जुलाई को यह निर्णय दिया कि प्रश्न उचित है, शपथ ठीक विधि-नियमानुसार नहीं ली गई है। अत: श्री शाकिर अली खां को पुन: शपथ लेनी पड़ी। स्मरण रहे कि श्री शाकिर अली खां हिन्दी पढ़ और बोल सकते हैं, किन्तु कम्युनिस्टों के उर्दू प्रेम का यह उदाहरण है। इसी प्रकार उप मंत्री मौलाना तरजी मशीरकी ने प्रश्नों के उत्तर उर्दू भाषा का प्रयोग करते हुए दिए। इस पर वीरेन्द्र कुमार सखलेचा ने पुन: आपत्ति प्रस्तुत की। क्योंकि मध्य प्रदेश विधानसभा के भाषा सम्बंधी नियमों में हिन्दी एवं मराठी को ही सदन की भाषा स्वीकार किया गया है।20
टिप्पणियाँ