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हिन्दू स्टूडेन्ट्स काउंसिल ने उजागर किएहिन्दुत्व विरोधी सेकुलर कामरेडों के चेहरेअमरीका में 1990 में आरम्भ हुई हिन्दू स्टूडेन्ट्स काउंसिल ने अपने सेवा कार्यों और बौद्धिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के बल पर दुनिया भर में अपनी प्रतिष्ठा कायम की है। विश्व के 81 से ज्यादा विश्वविद्यालयों में आज काउंसिल की शाखाएं हैं। यह विभिन्न शिक्षण संस्थानों में हिन्दू संस्कृति और परम्पराओं के प्रचार का एक अंतरराष्ट्रीय मंच है। काउंसिल नियमित रूप से गोष्ठियां, बौद्धिक चर्चाएं, कार्यशालाएं और व्याख्यान आयोजित करती रहती है। लेकिन जिस प्रकार भारत में कम्युनिस्ट सोच के सेकुलर बुद्धिजीवी हर उस चीज का विरोध करते हैं जो किसी भी तरह से हिन्दुत्व से जुड़ी हो, ठीक उसी प्रकार विदेशों, खासकर अमरीका में सक्रिय कुछ माक्र्सवादी तत्व हिन्दू स्टूडेन्ट्स काउंसिल के कार्यों में बाधा उत्पन्न करते हैं। इतना ही नहीं, अपने व्याख्यानों, लेखों के जरिए विदेशी धरती पर हिन्दुत्व विरोधी जहर फैलाते हैं। काउंसिल ने 23 मई, 2007 को जारी एक विज्ञप्ति में ऐसे ही कुछ तत्वों का खुलासा किया है। उसने उन लोगों को चिन्हित किया है जो सेकुलर अभियान कैम्पेन टू स्टाप फंडिग हेट (सी.एस.एफ.एच.) से जुड़कर हिन्दुत्व विरोधी विष फैला रहे हैं। ऐसे कुछ माक्र्सवादी तत्व हैं बीजू मैथ्यू, रविशंकर, राजा स्वामी, समीप मल्लिक, मुरली नटराजन और अश्विनी राव। मल्लिक को छोड़कर बाकी सभी लोग फोरम आफ इंकलाबी लेफ्टिस्ट्स (एफ.ओ.आई.एल.) के सदस्य अथवा सक्रिय सहयोगी हैं। यह संगठन “वामपंथी सोच के क्रांतिकारी भारतीय कार्यकर्ताओं” का अमरीका, कनाडा और इंग्लैण्ड में कार्यरत संगठन है। यह भारत और नेपाल में सक्रिय हिंसक माओवादियों का खूब महिमामण्डन करता है, नेपाली माओवादियों के “अमरीकी पूंजीवाद के खिलाफ संघर्ष” का आह्वान प्रचारित करता है। नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) अमरीकी विदेश विभाग द्वारा बनाई आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल है। हिन्दुत्व और यहूदी पंथ के खिलाफ राजनीतिक एजेंडा चलाने की कसमें इस संगठन ने खाई हैं।एफ.ओ.आई.एल. और सी.एस.एफ.एच. के संस्थापक सदस्यों में से एक बीजू मैथ्यू अमरीका में लम्बे समय से हिन्दुत्व विरोधी दुष्प्रचार करता आ रहा है। स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय ने तो एक कार्यक्रम स्थगित कर दिया क्योंकि उसमें बीजू मैथ्यू का भाषण होने वाला था। दरअसल विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित एक अखबार ने खबर छापी थी कि मैथ्यू के अंत:क्षेत्र में यूना बम हमलावर के घोषणापत्र का “लिंक” दिया गया था। हिंसा की वकालत और उसके प्रचार में जुटे व्यक्ति की सोच के बारे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। मैथ्यू माकपा के मुखपत्र पीपुल्स डेमोक्रेसी में भी लगातार लिखता रहता है।एफ.ओ.आई.एल. का एक और सदस्य रविशंकर भी अंत:क्षेत्र पर हिन्दू स्टूडेन्ट्स काउंसिल के बारे में गलत-गलत बातें प्रचारित करता रहता है। रविशंकर ने होली उत्सव को लेकर काफी उलटा-सीधा लिखा था।समीप मल्लिक उस एसोसिएशन फार इंडियन डेवलपमेंट (ए.आई.डी.) का सदस्य रहा है, जो खुद को विकास कार्यों से जुड़ी संस्था बताती है। जबकि इस संस्था का डी.वाई.एफ.आई.और एस.एफ.आई जैसे वामपंथी छात्र संगठनों से संबंध हैं और जिन संगठनों के अनेक कार्यकर्ताओं व सदस्यों को हिंसा से लेकर हत्या तक के आरोपों में सजा हुई है।इस तरह की पृष्ठभूमि वाले उपरोक्त सभी व्यक्ति खुद के अमरीकी युवाओं के नेता बनने की उम्मीद पाले हैं। “युवाओं के संगठनों” का संचालन युवा नहीं बल्कि उम्र में कहीं बड़े बीजू मैथ्यू, अश्विनी राव सरीखे लोग कर रहे हैं। अपनी विज्ञप्ति में हिन्दू स्टूडेन्ट्स काउंसिल ने छात्रों और आम जनता से इन वामपंथी तत्वों वाली संस्थाओं से सावधान रहने की अपील की है। प्रतिनिधि32
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