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केरल में माकपा बनाम माकपाकेरल माकपा में गुटों का संघर्ष गत दिनों चरम पर पहुंच गया और अंतत: 26 मई को दोनों संघर्षरत वरिष्ठ नेताओं, मुख्यमंत्री अच्युतानंदन और पिनरई विजयन को सार्वजनिक रूप से पोलित ब्यूरो से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। माकपा महासचिव प्रकाश कारत ने नई दिल्ली में दो दिवसीय पोलित ब्यूरो बैठक के बाद उक्त फैसला सुनाया।माकपा के इतिहास में पहली बार पोलित ब्यूरो सदस्यों के संदर्भ में इतना गंभीर निर्णय किया गया है। बैठक में दोनों नेता, अच्युतानंदन और पिनरई उपस्थित थे और फैसला होने के तत्काल बाद ही केरल के लिए रवाना हो गए। ये दोनों ही वरिष्ठ माकपा नेता वर्षों से संघर्षरत थे और पार्टी नेतृत्व दोनों में सुलह के रास्ते खोज रहा था। मगर पिछले दिनों तिरुअनंतपुरम में दोनों ही नेता सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे पर इस तरह बिफरे कि मजबूर होकर कारत को यह फैसला सुनाना पड़ा। विजयन ने पोलित ब्यूरो बैठक के लिए नई दिल्ली रवाना होने से पहले अच्युतानंदन को गैरजिम्मेदार पोलित ब्यूरो सदस्य कहा था, जिस पर अच्युतानंदन ने कहा कि “मुझे सीख देने की बजाय उन्हें खुद से पूछना चाहिए कि क्या उनके बयान और व्यवहार एक पोलित ब्यूरो सदस्य जैसे हैं।” माकपा पोलित ब्यूरो ने इन दोनों नेताओं के संबंध में अंतिम फैसला पार्टी की केन्द्रीय समिति पर छोड़ दिया है, जिसकी बैठक अगले महीने होनी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि शायद यह मामला केरल में सत्ता बनाए रखने की खातिर रफा-दफा कर दिया जाएगा।इन दोनों वरिष्ठ पोलित ब्यूरो सदस्यों की वर्तमान बयानबाजी की शुरुआत मुन्नार में कब्जे खाली कराने के अभियान पर मीडिया की मदद से अपनी-अपनी पीठ थपथपाने को लेकर हुई थी। मुख्यमंत्री अच्युतानंदन ने कहा था कि जो व्यक्ति राज्य में “मीडिया सिंडिकेट” को लेकर हाय-तौबा करता हैं वह अपने स्वार्थों के लिए उसी तंत्र का सहारा लेता है।अच्युतानंदन और पिनरई विजयन में माक्र्सवाद और साम्यवाद के मौलिक सिद्धान्तों को लेकर भी टकराहट जगजाहिर है। पार्टीगत मतभेदों और गुटबाजी को जनता के बीच सड़क पर उतारने वाले राज्य माकपा सचिव पिनरई विजयन ने अच्युतानंदन पर सांगठिक कायदों के प्रति अभद्रता दर्शाने के आरोप उछाले थे। अच्युतानंदन भी कई जिलों में अपने निकट समर्थकों को पार्टी में किनारे कर दिए जाने के पिनरई विजयन के कदमों से नाराज थे। उन सभी जिला समितियों पर पिनरई ने खास नजर रखी थी जहां अच्युतानंदन के समर्थक थे। उन पर निशाना साधकर पिनरई गुट को प्रभावी बनाया गया। केरल की जनता कामरेडों के इस तमाशे को बड़े गौर से देख रही है। माना जा रहा है कि पार्टी में अच्युतानंदन के दिन अब बहुत ज्यादा नहीं बचे हैं।11
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