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-बलवीर सिंह “करुण”मंगल पाण्डे से शुरू करूं, या मेरठ के गलियारों से।हाहाकारों से शुरू करूं, या हर-हर बम के नारों से।स्वातंत्र्य-समर की वह गाथा, गानी तो मुझको होगी हीतो क्यों ना उसको शुरू करूं, भारत मां के जयकारों से।।कितने सिर इसकी भेंट चढ़े, उनकी गिनती या
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