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संप्रग के रूखे रवैए के बादआम राय बनेगी क्या?-विनीता गुप्तासंसद के गलियारे सेसदन सीटों की संख्या मतों का मूल्यलोकसभा 543 1,64,864राज्यसभा 233 3,84,444कुल योग 776 5,49,408देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा? राजधानी के बढ़ते तापमान के साथ राजनीति का पारा आजकल इस सवाल के बीच उतर-चढ़ रहा है। हालांकि इसका जवाब तो 24 जुलाई, 2007 को मिलेगा, लेकिन रायसीना की राह पर किस-किस के कदम हैं, यह अभी तय नहीं है। यूं कई नाम चर्चा में हैं- राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने एक स्वर से उपराष्ट्रपति श्री भैरोंसिंह शेखावत के नाम पर मोहर लगाई है तो संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की ओर से अभी तक किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन पायी है। संप्रग की ओर से राष्ट्रपति पद की दौड़ में जहां विदेश मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी का नाम सामने आया है, वहीं केन्द्रीय ऊ‚र्जा मंत्री श्री सुशील कुमार शिन्दे तथा उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री नारायण दत्त तिवारी के नाम भी उछले हैं। जोड़-तोड़ जारी है, विभिन्न दलों को अपने-अपने पक्ष में करने के लिए मिलने-मिलाने का सिलसिला भी चल रहा है। कांग्रेसी नेता बसपा की मायावती और द्रमुक के करुणानिधि से संपर्क बनाए हुए हैं। पिछले दिनों जब इस पद के लिए राजग की बैठक में तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष सुश्री ममता बनर्जी ने पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम का प्रस्ताव रखा तो श्री वाजपेयी पहले तो सिर्फ मुस्कुरा भर दिये और फिर बाद में उन्होंने इस बात को सिरे से खारिज करते हुए श्री भैरोंसिंह शेखावत के नाम को ही आगे बढ़ाने के लिए कहा।संप्रग की ओर से श्री प्रणव मुखर्जी, श्री सुशील कुमार शिंदे और श्री नारायण दत्त तिवारी का त्रिकोण बना हुआ है। वर्ग, समुदाय के आधार पर समीकरण बनाने की कोशिश जारी है। उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणामों को आधार बना कर बसपा को आकर्षित करने के लिए दलित वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले श्री सुशील कुमार शिंदे को आगे लाने की कवायद चल रही है, जो पहले उपराष्ट्रपति पद के लिए भी दावेदारी कर चुके हैं। सुश्री मायावती के बहुजन-सर्वजन समीकरण को देखते हुए श्री नारायण दत्त तिवारी का नाम भी लिया जा रहा है। लेकिन संप्रग की ओर से सबसे ताकतवर दावेदारी उभर रही है श्री प्रणव मुखर्जी की, जिनके नाम पर खासी कशमकश के बाद सुनते हैं कि वाम दलों ने भी आधिकारिक तौर पर मुहर लगा दी है।उत्तर प्रदेश राष्ट्रपति के चुनावी आंकड़ों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए इस पद के प्रत्याशियों की नजरें उत्तर प्रदेश पर टिकी रहती हैं। माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य श्री सीताराम येचुरी ने तो स्पष्ट कहा, “राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी तय करने में अब बसपा की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। साझा उम्मीदवार पर अंतिम निर्णय उसके रूख पर निर्भर करेगा।” भाजपा ने भी महासचिव श्री अरुण जेटली और उपाध्यक्ष श्री मुख्तार अब्बास नकवी को बसपा महासचिव सुश्री मायावती से बातचीत का जिम्मा सौंपा गया है। प्रश्न है आखिर उत्तर प्रदेश का इतना महत्व क्यों? इस प्रश्न का उत्तर तलाशने के लिए राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया पर नजर डालने की जरुरत है।जनप्रतिनिधित्व कानून व्यवस्था में राष्ट्रपति का चुनाव मतदान के जरिये होता है। लेकिन इस मतदान प्रक्रिया में प्रत्यक्ष रूप से आम मतदाता शामिल नहीं होता। जनता द्वारा संसद और विधानसभा में चुनकर भेजे गए प्रत्याशी राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करते हैं। और हर सांसद व विधायक के वोट की कीमत अलग-अलग होती है। यह कीमत राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होती है। इस दृष्टि से देखा जाए तो उत्तर प्रदेश के एक-एक विधायक का मूल्य अन्य राज्यों के विधायकों से कहीं ज्यादा है। उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 8 करोड़ 38 लाख 49 हजार 905 है। यहां 403 विधानसभा सीटें हैं, अर्थात् 403 विधायक। इस समय उत्तर प्रदेश में 402 विधायक हैं और प्रत्येक विधायक के वोट का मूल्य 208 है। अर्थात् उत्तर प्रदेश का मूल्य राष्ट्रपति चुनाव की दृष्टि से 83,616 है, जबकि सिक्किम के एक विधायक के वोट का मूल्य सिर्फ 7 है। वहां कुल 32 विधानसभा सीटें हैं। इस हिसाब से सिक्किम का मूल्य 224 है। अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम के प्रत्येक विधायक के वोट का मूल्य 8-8 है। उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा महत्व है तमिलनाडु और झारखण्ड का। यहां के प्रत्येक विधायक की ताकत 176 मतों की है। इस प्रकार देखें तो झारखण्ड के 81 विधायक राष्ट्रपति पद के चुनाव में 14,256 मतों का योगदान देंगे, जबकि तमिलनाडु के 234 विधायक 41,184 मतों के साथ भागीदारी करेंगे। चुनाव आयोग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार विभिन्न राज्यों से कुल 4,120 विधायक राष्ट्रपति पद के लिए मतदान करते हैं, जिनके मतों का कुल मूल्य 5 लाख 49 हजार 474 होता है।1971 की जनगणना के आधार पर सांसदों-विधायकों के मतों का मूल्यलोकसभा सदस्यों के राज्यसभा सदस्यों के विभिन्न राज्यों कीकुल मत कुल मत विधानसभाओं के कुल मत3,84,490 1,64,984 5,49,474राज्यवार स्थिति (सन् 2002 के राष्ट्रपति चुनाव का आंकड़ा)राज्यों के नाम विधानसभा जनसंख्या प्रत्येक राज्य के कुलसीटों की संख्या विधायक मता का मूल्यका मूल्यआन्ध्र प्रदेश 294 43502708 148 43512अरुणाचल प्रदेश 60 467511 8 480असम 126 14625152 116 14616बिहार 243 42126236 173 42039छत्तीसगढ़ 90 11637494 129 11610गोवा 40 795120 20 800गुजरात 182 26697475 147 26754हरियाणा 90 10036808 112 10080हिमाचल प्रदेश 68 3460434 51 3468जम्मू एवं कश्मीर 87 630000 72 6264झारखण्ड 81 14227133 176 14256कर्नाटक 224 29299014 131 29344केरल 140 21347375 152 21280मध्य प्रदेश 230 30016625 131 30130महाराष्ट्र 288 50412235 175 50400मणिपुर 60 1072753 18 1080मेघालय 60 1011699 17 1020मिजोरम 40 332390 8 320नागालैण्ड 60 516449 9 540उड़ीसा 147 21944615 149 21903पंजाब 117 13551060 116 13572राजस्थान 200 25765806 129 25800सिक्किम 32 209843 7 224तमिलनाडु 234 41199168 176 41184त्रिपुरा 60 1556342 26 1560उत्तराखंड 70 4491239 64 4480उत्तर प्रदेश 403 83849905 208 83824पश्चिम बंगाल 294 44312011 151 44394दिल्ली 70 4065698 58 4060पांडिचेरी 30 471707 16 480कुल योग 4120 549302005 – 54947412 मई, 2007 को वास्तविक मतों की स्थितिराष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधनदल कुल मत विधानसभा राज्य सभा लोकसभामत मत मतभाजपा 2,47,831 1,22,500 32,572 92,759जद (यू) 27,055 17,850 3,540 5,665शिवसेना 20,779 9,450 2,832 8,497बीजू जनता दल 19,710 9,089 2,832 7,789जद (से) 11,956 8,416 1,416 2,124शिरोमणि अकाली दल 13,473 5,684 2,124 5,665तृणमूल कांग्रेस 7,362 4,530 2,124 708सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट 1,633 217 708 708नागालैण्ड पीपुल्स फ्रंट 1,596 180 708 708मिजो नेशनल फ्रंट 1,592 176 708 708राजग कुल 3,52,989 1,78,092 49,566 1,25,331संयुक्त प्रगतिशील गठबंधनकांग्रेस 2,83,243 1,27,464 50,982 1,04,797भाकपा 81,019 41,366 9,205 30,448राष्ट्रीय जनता दल 32,730 10,779 4,957 16,994माकपा 15,115 6,618 1,416 7,081आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक 7,365 3,825 1,416 2,124झारखण्ड मुक्ति मोर्चा 6,420 3,588 – 2,832लोक जनशक्ति पार्टी 4,742 1,910 – 2,832मुस्लिम लीग 2,480 1,064 708 708आल इंडिया मजलिसे – 1,448 740 -इत्तेहादुल मुसलमीनकेरल कांग्रेस 1,316 608 – -रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया (ए) 883 175 – 708अ.भा. लोकतंत्र कांग्रेस 208 208 – 708महाराष्ट्रवादी गोमांतक 20 20 – -द्रमुक 29,754 17,008 1,416 11,329राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी 25,168 13,839 3,540 7,789पाताली काट्ची मक्कल 8,125 3,168 708 4,249रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी 6,360 3,528 708 2,124मारूमालारची द्रविड़ मुनेत्र कषगम 3,888 1,056 – 2,832पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी 2,640 1,224 708 708तीसरा मोर्चा/ असंबद्ध दलसमाजवादी पार्टी 60,532 21,287 11,329 27,615तेलुगुदेशम 13,889 6,808 4,249 2,832आई.एन.डी. 33,043 22,422 6,373 4,249बहुजन समाज पार्टी 61,319 45,033 4,249 12,037आल इंडिया अन्ना द्रविड 19,281 10,784 8,497 -मुनेत्र कषगमतेलंगाना राष्ट्र समिति 7,388 3,848 – 3,540राष्ट्रीय लोकदल 4,912 2,080 708 2,124असम गण परिषद 4,200 2,784 – 1,416जम्मू-कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस 3,924 1,800 708 1,416इंडियन नेशनल लोकदल 2,811 1,395 1,416 -असम यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट 1,160 1,160 – -केरल कांग्रेस (एम) 1064 1,064 – -भाकपा (एम.एल.) 1,041 1,041 – -समता पार्टी 717 9 708 -शिक्षित बेरोजगार पार्टी 708 – 708 -भारतीय नवशक्ति पार्टी 708 – – 708इंडियन फेडेरल डेमोक्रेटिक पार्टी 708 – – 708समाजवादी जनता पार्टी (रा.) 708 – – 708उ.प्र. यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट 208 208 – 708राष्ट्रीय स्वाभिमान पार्टी 208 208 – 708जनमोर्चा 208 208 – -भारतीय जनसंघ 208 208 – -जनतिपतैया संरक्षण समिति 700 700 – -वेस्ट बंगाल सोशलिस्ट पार्टी 604 604 – -एन.ए.आर. (शिवसेना) 350 350 – -गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट 453 453 – -गोंडवाना गणतंत्र पार्टी 393 393 – -यूनाइटेड गोअंस डेमोक्रेटिक पार्टी 372 372 – -आल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन 352 352 – -विदुतलै चिरूथैगल काट्ची 352 352 – -पीसेन्ट्स एंड वर्कर्स पार्टी 350 350 – -आफ इंडियाउड़ीसा गण परिषद 298 298 – -जनता पार्टी 296 296 – -जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी 288 288 – -राष्ट्रीय समता दल 262 262 – -उत्तराखंड क्रांति दल 192 192 – -फेडेरल पार्टी आफ मणिपुर 0 0 – -राष्ट्रीय परिवर्तन दल 416 416 – -देसिया मुरुपोक्कू द्रविड कषगम 176 176 – -जे.के.पी. 176 176 – -अखिल भारतीय सेना 175 175 – -भरीपा बहुजन महासंघ 175 175 – -स्वतंत्र भारत पक्ष 173 173 – -इंडिजिनस नेशनलिस्ट पार्टी 156 156 – -आफ त्रिपुराकांग्रेस (एस) 152 152 – -डेमोक्रेटिक इंदिरा कांग्रेस 152 152 – -इंडियन नेशनल लीग 152 152 – -केरल कांग्रेस सेकुलर 152 152 – -जनधिपत्तैया संरक्षण समिति 152 152 – -केरल कांग्रेस (बी) 152 152 – -डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट पार्टी 151 151 – -झारखण्ड पार्टी (नरेन) 151 151 – -यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी 136 136 – -कन्नड चलेवलि वातल पक्ष 131 131 – -कन्नड़ नाडु पार्टी 131 131 – -रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया 131 131 – -राजस्थान सामाजिक न्याय मंच 129 129 – -मणिपुर स्टेट कांग्रेस पार्टी 0 0 – -असम गण परिषद (प्रगतिशील) 116 116 – -आटोनोमस स्टेट डिमांड कमेटी 116 116 – -डी.एम. 72 72 – -जम्मू एंड कश्मीर आवामी लीग 72 72 – -मेघालय डेमोक्रेटिक पार्टी 68 68 – -पुदुच्चेरी मुनेत्र कांग्रेस 64 64 – -नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक मूवमेंट 45 45 – -मणिपुर पीपुल्स पार्टी 90 90 – -हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी 34 34 – -कहुन हिन्युट्रिप नेशनल 34 34 – -अवेकनिंग मूवमेंटतमिल मनिला कांग्रेस (मूपनार) 32 32 – -मिजोरम पीपुल्स कांफ्रेंस 24 24 – -डेमोक्रेटिक रिवोल्युशनरी पीपुल्स पार्टी 0 0 – -मणिपुर नेशनल कांफ्रेंस 0 0 – -अरुणाचल कांग्रेस 16 16 – -जोराम नेशनलिस्ट पार्टी 16 16 – -ह्मार पीपुल्स कांफ्रेंस 8 8 – -मारालैण्ड डेमोक्रेटिक फ्रंट 8 8 – -नेशनल पीपुल्स पार्टी 54 54 – -कुल 2,29,280 1,32,272 38,945 50,063यह तो हुई राज्य विधानसभाओं की बात। संसद के दोनों सदनों पर दृष्टि डालें तो लोकसभा के 543 सांसद और राज्यसभा के 233 सांसद राष्ट्रपति पद के चुनाव में मतदान के हकदार हैं। प्रत्येक सांसद के मत का मूल्य 708 है। अर्थात् कुल 776 सांसदों के मतों का मूल्य 5,49,408 है। इस प्रकार राष्ट्रपति कौन होगा, यह तय होता है 4,120 विधायकों और 776 सांसदों यानी कुल 4,896 मतों से।वर्ष 2002 में डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को 4,896 मतदाताओं ने चुना था। विधायकों और सांसदों के रूप में डा. कलाम को कुल 10,98,882 मूल्य के वोट मिले थे। इनमें 5,49,474 विधायकों के और 5,49,408 सांसदों के थे।ये सांसद और विधायक किन दलों के हैं, यह राष्ट्रपति चुनाव के लिए बहुत मायने रखता है। असली युद्ध यहीं होता है। खींचतान यहीं है।वर्तमान में केन्द्र में सत्तासीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के मतों का मूल्य 4,08,714 है जो कि कुल मतों का 37.19 प्रतिशत है। इसमें कांग्रेस के मतों की ताकत 2,83,742 है, यानी 25.82 प्रतिशत। अन्य सहयोगियों का मूल्य 1,24,972 अर्थात् 11.37 प्रतिशत है। वाममोर्चा की स्थिति भी ठीकठाक है। वाममोर्चा के पास 1,12,914 मतों की ताकत है, जो कि 10.26 प्रतिशत है। आंकड़ों के इस खेल में देखें तो राजग के पास 3,52,989 मतों का मूल्य है यानी 31 प्रतिशत। इसमें अकेले भाजपा की कीमत 2,45,810 यानी 22.37 प्रतिशत है। राजग को अन्य सहयोगियों के मूल्य 95,007 का सहारा है, यानी 8.65 प्रतिशत। 5.41 प्रतिशत का दम रखने वाली समाजवादी पार्टी के पास 59,473 मूल्य के मतदाता हैं, तो बहुजन समाज पार्टी 5.63 प्रतिशत के साथ 61,894 मूल्य के मतदाता लेकर रणक्षेत्र में है। सपा के साथ अन्य दलों की भूमिका 3.77 प्रतिशत रहेगी अर्थात् 41,460 मूल्य के मत। बसपा के साथ अन्य दलों की भूमिका 6.19 प्रतिशत तक रहेगी अर्थात् इन अन्य दलों के पास 68,052 मूल्य की ताकत है। देशभर में विभिन्न छोटे-बड़े दलों के कुल मतों का मूल्य अगले पृष्ठ पर तालिका में दिया जा रहा है।उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति चुनावों में संसद व विधानसभाओं में मनोनीत सांसदों व विधायकों को मतदान का अधिकार नहीं होता। राज्यों की जनसंख्या के आधार पर सांसदों व विधायकों की कीमत आंकी जाती है। संप्रग व सहयोगी वाम दलों की झोली में 47 प्रतिशत मत दिखाई देते हैं। इसके मुकाबले राजग के करीब 31 प्रतिशत मत ही देखने में आते हैं। 10 प्रतिशत मत लिए हैं समाजवादी पार्टी, अन्नाद्रमुक, तेलुगू देशम, असम गण परिषद् व नेशनल कांफ्रेंस जैसे दल। अन्य छोटे दलों की भूमिका 6 प्रतिशत की रहेगी। कांग्रेस का विरोधी पक्ष देखें तो पाते हैं कि राजग के 31 प्रतिशत, सपा और सहयोगी दलों के 10 प्रतिशत और अन्य छोटे दलों के 6 प्रतिशत यानी कुल मिलाकर कांग्रेस के विपक्षी पलड़े में 47 प्रतिशत मत आ जाते हैं। राजग अपने साथ किन दलों को मिला पाता है, यह देखने की बात है।20
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