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विश्वनाथ जी के निधन के समाचार से अमृतसर के राष्ट्रनिष्ठ संगठनों एवं नागरिकों में शोक की लहर दौड़ गई। रा.स्व.संघ के प्रांत कार्यालय पर उनकी पार्थिव देह को अंतिम दर्शनार्थ रखा गया था। देर शाम तक उन्हें श्रद्धाञ्जलि अर्पित करने वालों को तांता लगा रहा। श्रद्धाञ्जलि अर्पित करने वालों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री सुरेश सोनी, क्षेत्रीय प्रचारक श्री दिनेश चंद्र, प्रान्त प्रचारक श्री रामेश्वर, प्रान्त कार्यवाह श्री मुनीश्वर, क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख श्री किशोर कान्त, प्रान्त संघचालक श्री बृजभूषण सिंह बेदी, वरिष्ठ प्रचारक ठाकुर राम सिंह, भाजपा के सांसद श्री नवजोत सिंह सिद्धू, राष्ट्रीय सिख संगत के प्रदेशाध्यक्ष सरदार रघुबीर सिंह प्रमुख थे। सायंकाल 5.45 पर विश्वनाथ जी की अंतिम यात्रा शुरू हुई। अंत्येष्टि स्थल तक पूरा मार्ग भारत माता की जय के नारों से गूंज रहा था। स्थान-स्थान पर अंतिम यात्रा पर पुष्पवर्षा की गई। विश्व प्रसिद्ध दुग्र्याणा तीर्थ स्थित शिवपुरी अंत्येष्टि स्थल पर उनका अन्तिम संस्कार किया गया। विश्वनाथ जी के भतीजे श्री प्राणनाथ ने उन्हें मुखाग्नि दी।स्व. विश्वनाथ की अन्तिम यात्रा में विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों एवं पंजाब के कई मंत्रियों ने भाग लिया। इनमें प्रमुख थे स्थानीय निकाय मंत्री श्री मनोरंजन कालिया, परिवहन मंत्री मास्टर मोहन लाल, चौधरी स्वर्णराम, श्री तीक्ष्ण सूद, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष प्रो. राजेन्द्र भंडारी, राष्ट्रीय सिख संगत के राष्ट्रीय संरक्षक सरदार चिरंजीव सिंह, राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री अविनाश जायसवाल। स्व. विश्वनाथ को अपनी श्रद्धाञ्जलि अर्पित करते हुए प्रान्त प्रचारक श्री रामेश्वर ने कहा कि उनका सारा जीवन राष्ट्र-सेवा एवं राष्ट्र-जागरण को अर्पित रहा। विश्वनाथ जी कहते थे कि हिन्दू धर्म और हिन्दू समाज मृत्युंजयी है। हिन्दू कभी निराश नहीं हो सकता। धर्म जागरण विभाग के प्रदेश संयोजक श्री रामगोपाल ने कहा कि विश्वनाथ जी के ही नेतृत्व में धर्म जागरण का काम कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैला। बजरंग दल, पंजाब के सह संयोजक श्री राकेश मदान ने कहा कि आतंकवाद से पीड़ित लोगों का उन्होंने संबल बढ़ाया। इसलिए पंजाब के लोग उन्हें सदा याद रखेंगे।10
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