|
किसान विरोधी सरकार, हमें नहीं स्वीकार-आलोक गोस्वामीदिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान और उसके आसपास की सड़कों पर उस दिन यानी 20 अगस्त को किसानों की विशाल भीड़ को देखकर और कुछ बात जाहिर होती हो या न होती हो, मगर यह जरूर साफ हो जाता है कि भारत की आम जनता, भारत के किसान/मजदूर इस यूपीए सरकार को अब और बर्दाश्त नहीं करेंगे। चिलचिलाती धूप और शरीर की ताकत निचोड़ लेने वाली उमस को झेलते हुए करीब डेढ़ लाख किसान वहां यूपीए सरकार की किसान विरोधी, आमजन विरोधी नीतियों के खिलाफ अपने गुस्से का प्रदर्शन कर रहे थे। उनके चेहरों पर रोष और जुबान पर सरकार को धिक्कार के नारे थे। अमरीका से परमाणु संधि पर प्रमुख विपक्षी दल भाजपा और वाममोर्चे की चेतावनियों और किसानों के इस प्रचण्ड प्रदर्शन के बाद मनमोहन सरकार के गिनती के दिन दिखाई दे रहे हैं। रैली में वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने साफ शब्दों में कहा कि अब इस सरकार के बने रहने का कोई नैतिक आधार नहीं है।20 अगस्त की सुबह से ही दिल्ली में प्रवेश करने वाली सभी सड़कों पर किसान रैली में भाग लेने आ रहे लोगों के वाहनों की लम्बी कतारें थीं। भाजपा के झण्डे लेकर ढोल नगाड़ों की गूंज के बीच किसानों के जत्थे नारे लगाते हुए रामलीला मैदान पर एकत्र हो रहे थे। मैदान में जहां तक भी नजर जाती थी, नारे, बैनर लिए लोग नजर आते थे। महिलाओं की भी अच्छी खासी संख्या थी। दोनों हाथ उठाकर जब वे मंच से लगने वाले नारे दोहराते थे तो निश्चित ही उसकी गूंज संसद में मौज्ूद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को सुनाई दी होगी। “दाल में काला है, गेहूं आयात में घोटाला है”, “बदलो इन मक्कारों को, किसानों के हत्यारों को”, “अन्नदाता रोता है, मनमोहन शासन सोता है”, “जितना दाम विदेशी को, उतना दाम स्वदेशी को”। इन नारों के बीच मंच पर उपस्थित वरिष्ठ भाजपा नेताओं-भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह, पूर्व उप प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा. मुरली मनोहर जोशी, पूर्व भाजपा अध्यक्ष वेंकैया नायडु, महाराष्ट्र पूर्व उप मुख्यमंत्री गोपीनाथ मुंडे, भाजपा महासचिव विनय कटियार, दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डा. हर्षवद्र्धन और किसान मोर्चे के अध्यक्ष श्री विनोद पाण्डे- ने अपने भाषणों में किसानों की समस्याओं और यूपीए सरकार की किसान विरोधी नीतियों पर जमकर प्रहार किए।”किसान विरोधी यह सरकार अब ज्यादा दिन नहीं चलेगी।” भाजपा के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी ने जब यह स्पष्ट घोषणा की तो गगनभेदी नारों के साथ उपस्थित किसानों ने अपना समर्थन व्यक्त किया। श्री आडवाणी ने कहा कि इस सरकार के शासन में किसानों की जो दुर्दशा हुई है और जिस प्रकार इस सरकार ने किसानों और खेती की मौलिक समस्याओं से मुंह मोड़ा है उसके विरुद्ध अपना रोष व्यक्त करने इतनी बड़ी संख्या में भारत के किसान यहां एकत्र हुए हैं। उन्होंने कहा कि श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राजग सरकार ने सारी दुनिया को भारत के विकास से प्रभावित किया था। यह बात विदेशी लोग भी स्वीकारते हैं। मगर इस सरकार ने पिछले तीन-साढ़े तीन साल के शासन में जहां अन्य क्षेत्रों के लिए थोड़ी बहुत चिन्ता की है वहीं कृषि क्षेत्र को बिल्कुल अनदेखा छोड़ दिया है। यह स्थिति ठीक नहीं है। आज हिन्दुस्थान के किसानों पर कर्जे का संकट है। अनेकों ने तो इस संकट से त्रस्त होकर आत्महत्याएं तक की हैं। इस सरकार की विकास दर केवल एक दिखावा है। कृषि क्षेत्र तक इसका कोई असर दिखाई नहीं देता। किसान कर्ज में डूबे हैं। जब तक हिन्दुस्थान में भूख से सुरक्षा नहीं होगी यह देश प्रगति नहीं कर सकता। कांग्रेस और कांग्रेसनीत सरकार में उसके सहयोगी समझ लें कि जनता अब इस सरकार को और नहीं देखना चाहती। इसे जाना होगा और वह घड़ी कभी भी आ सकती है। चुनाव कभी भी हो सकते हैं।भारत अमरीका परमाणु संधि पर देश की संप्रभुता से समझौता करने वाली यूपीए सरकार के रवैये की भत्र्सना करते हुए श्री आडवाणी ने कहा कि 1962 में चीनी आक्रमण का भारत के कम्युनिस्टों ने समर्थन किया था। 1964 में चीन परमाणु शक्ति बन गया। इसके बाद 1966 में तत्कालीन भारतीय जनसंघ ने अपने घोषणा पत्र में साफ लिखा था कि जब भी अवसर मिलेगा हम भारत को परमाणु शक्ति बनाकर दिखाएंगे। मई 1998 में वाजपेयी सरकार ने तमाम विरोधों को अस्वीकार करते हुए परमाणु परीक्षण किए और भारत को एक ताकतवर देश के रूप में स्थापित किया। अमरीका ने प्रतिबंध लगाए मगर हमने उसके सामने घुटने नहीं टेके। लेकिन आज मनमोहन सरकार अमरीका के साथ जो परमाणु संधि कर रही है वह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा से एक प्रकार का समझौता है। यह संधि भाजपा को स्वीकार नहीं है।भाजपाध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह ने राजग सरकार के शासन के दौरान किसानों और खेती के हित में बनी नीतियों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जब वे राजग सरकार में कृषि मंत्री थे तब उन्होंने किसानों को दिए जाने वाले ऋण की ब्याज दर 4 प्रतिशत करने के प्रयास किए थे। श्री सिंह ने कहा कि वे खुद किसान के बेटे हैं इसलिए जानते हैं कि किसान किस तरह की समस्याओं का सामना करते हैं, किस तरह गरीबी झेलते हैं और किस तरह कर्ज के बोझ तले दबे रहते हैं। उन्होंने कहा कि किसान ही हिन्दुस्थान का भाग्यविधाता है। गांव और किसान के विकास के बिना देश का विकास असंभव है। मगर इस यूपीए शासन में जहां एक ओर आम आदमी पर प्रहार करते हुए आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़े वहीं कृषि क्षेत्र से ध्यान हटा लिया गया। कृषि उत्पादों का समर्थन मूल्य नहीं बढ़ाया गया। आज भी 27 करोड़ लोग दो वक्त की रोटी को तरस रहे हैं। उन्होंने कहा कि विदेशों से गेहूं क्यों आयात किया जा रहा है? हमारे किसान आवश्यकता से अधिक पैदावार कर सकते हैं मगर न उनके उत्पादों को सही मूल्य पर खरीदा जाता है और न ही उन्हें खेती के लिए सुविधाएं दी जाती हैं।भाजपाध्यक्ष कहा कि राजग सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने नारा दिया था- जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान। मगर आज जवान आहत है, किसान दम तोड़ रहा है और विज्ञान कुंठित है। परमाणु संधि के संदर्भ में उन्होंने कहा कि राजग ने भारत को शक्तिशाली बनाने के लिए परमाणु परीक्षण किया था मगर आज यूपीए सरकार अमरीका के सामने घुटने टेक रही है। हमें यह संधि स्वीकार नहीं है।इससे पूर्व किसानों को सम्बोधित करते हुए पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा. मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि आज भारत का किसान सरकार की कृषि नीतियों से दुखी है और वह इस सरकार से छुटकारा चाहता है। भारत की 70 प्रतिशत आबादी गांवों में बसती है और खेती करती है। जब तक इस 70 प्रतिशत आबादी का अर्थ तंत्र नहीं सुधरता तब तक विकास की बात का कोई अर्थ नहीं है। हमारे किसान आत्महत्या को मजबूर हैं। सरकार को चाहिए कि उनकी आर्थिक स्थिति सुधारे और यह तब होगा जब किसान को लाभकारी मूल्य मिले, न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़े। आज हर किसान परिवार पर 12 हजार रुपए का कर्ज है। किसानों की उपजाऊ जमीन “सेज” के नाम पर बिल्डरों को, पूंजीपतियों को दी जा रही है। ऐसे किसान विरोधी कानूनों को बदलना चाहिए।पूर्व भाजपा अध्यक्ष श्री वेंकैया नायडू ने कहा कि विदेशों से गेहूं आयात करने पर 1200 रुपए प्रति Ïक्वटल का मूल्य दिया गया जबकि भारत के किसानों को 800 रुपए प्रति Ïक्वटल दिया गया। क्या यह सरकार भारत में प्रचुर खाद्यान्न क्षमता को नजरअंदाज करना चाहती है? सरकार ने आस्ट्रेलिया से गेहूं क्यों मंगाया? श्री नायडू ने कहा कि इस सरकार में कौन जवाबदार है, यह पता नहीं चलता। सरकार का एक हिस्सा कोई योजना बनाता है तो दूसरा उसे निरस्त करता है। कांग्रेस कोई बात करती है तो कम्युनिस्ट उसे नकार देते हैं। किसान विरोधी यह सरकार जानी चाहिए।भाजपा द्वारा आयोजित इस रैली में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से ज्ञापन के माध्यम से प्रमुख रूप से 6 मांगें की गर्इं-1. गेहूं घोटाले की संसदीय समिति से जांच हो, 2. कृषि ऋण पर 4 प्रतिशत ब्याज दर हो, 3. कृषि आय बीमा योजना लागू हो, 4. गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान हो, 5. किसानों को प्रामाणिक बीज और खाद उपलब्ध हो, और 6. न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया जाए।रामलीला मैदान में रैली के बाद एकत्रित किसान श्री राजनाथ सिंह और श्री आडवाणी के नेतृत्व में संसद की ओर बढ़े। अभी वे दिल्ली गेट चौराहे से आगे बढ़े ही थे कि पुलिस ने वरिष्ठ नेताओं सहित सबको न्यायिक हिरासत में लेकर बाद में रिहा कर दिया। भारत की संसद निश्चित रूप से किसानों के इस विरोध को मूक रहकर नहीं देख रही होगी। यूपीए सरकार का हर मंत्री समझ गया होगा कि अब आम जनता के गुस्से की हद पार हो रही है और शायद जल्दी ही यह आक्रोश एक परिवर्तन पैदा करेगा।16
टिप्पणियाँ