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पौराणिक कथा सूत्रपुस्तक का नाम – ताकि सनद रहे (काव्य संग्रह) कवि – डा. ऋषभदेव शर्मा पृष्ठ – 142, मूल्य – 120 रुपए प्रकाशक- तेवरी प्रकाशन, 4-7-419, इसामिया बाजार, हैदराबाद-500027किसी भी रचनाकार को भारत के साहित्य-भंडार में इतने प्रकरण मिल जाएंगे कि उनके आधार पर वह अनेक रचनाएं लिख सके। इस अपार भंडार का सुंदर प्रयोग किया है डा. ऋषभ देव शर्मा ने अपने 31 कविताओं के काव्य-संग्रह “ताकि सनद रहे” में। राजनीति में आज अराजकता और अधर्म का बोलबाला है। सत्य, धर्म और न्याय की बात करने वालों पर ऐसा कुठाराघात किया जाता है कि उन्हें बचाने के लिए कोई आगे नहीं आता। इस पृष्ठभूमि को महाभारत के प्रसंग से जोड़ते हुए डा. शर्मा ने अपनी कविता “हाथ में रथचक्र” (पृ.21) में निहत्थे सत्यवादियों और अनीति के नेताओं का सटीक चित्रण किया है-हाथ में रथचक्र लेकर, व्यूह से लड़ने चले हो!सामने हैं शक्तियां सारी…, मुट्ठियों में नीतियां हैं कैद जिनकीमूल्य जिनकी उंगलियों पर नाचते हैं,गालियां जिनकी ऋचाएं बन गई हैं…श्रीमती इंदिरा गांधी के दौर में लगाया गया आपातकाल जनता के साथ एक ऐसा विश्वासघात था जिसकी तुलना ब्राह्म हत्या से की गई है। इसका परिणाम राजा इंद्र (इंदिरा) को भी भोगना पड़ा था।ब्राह्म हत्या है, किसी विश्वास की हत्या,इंद्र पर भी पाप यह भारी पड़ा!…लोक ने विश्वास अपना, आपको सौंपा…बहुत आए इंद्र, तुमसे पूर्व भी, धूर्तता से छिपा लाए।मित्रता के फेन में, शत्रुता की बिजलियां।नि:संदेह यह एक विचारोत्तेजक काव्य-संग्रह है। (ब्राह्म हत्या, पृ. 80)- चंद्र मौलेश्वर प्रसाद23
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