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अपराधी कौन?उज्जैन प्रकरण में कांग्रेसी नेताओं और छात्र संगठन एन.एस.यू.आई. ने शुरू में तो बड़ी सफाई से मीडिया और प्रशासन को गुमराह करने में सफलता प्राप्त कर ली। लेकिन जैसे-जैसे वास्तविकता उजागर हो रही है कांग्रेस बचाव की मुद्रा में आ गई है। पूरे मामले में मीडिया की भूमिका भी विवादित मानी जा रही है। सहारा चैनल ने प्रो. सब्बरवाल के साथ हाथापाई करते हुए कुछ लोगों को विद्यार्थी परिषद् का कार्यकर्ता बताया। किन्तु बाद में जब इनकी पहचान हुई तो पता लगा कि हाथापाई करने वालों में एन.एस.यू.आई. के नगर अध्यक्ष उमेश मेंगर, एन.एस.यू.आई. के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष पंकज यादव, आरिफ कुरेशी, आशीष गुप्ता और आजाद यादव आदि शामिल थे। सभी कांग्रेस से जुड़े हुए हैं। पुलिस ने पूरे मामले में कांग्रेस से जुड़े 23 लोगों को अब तक गिरफ्तार किया है। विद्यार्थी परिषद् के भी 4 कार्यकर्ता गिरफ्तार हुए हैं। वस्तुत: पूरा मामला माधव महाविद्यालय छात्र संघ के चुनाव से जुड़ा हुआ है। गत 26 अगस्त को छात्र संघ चुनाव होने थे। मध्य प्रदेश में छात्र संघ चुनाव महाविद्यालय स्तर पर अप्रत्यक्ष पद्धति से होते हैं। अलग-अलग कक्षाओं के सर्वश्रेष्ठ छात्र एवं कुछ अन्य चुने गए प्रतिनिधियों के द्वारा छात्र संघ गठित होता है। ये प्रतिनिधि ही बाद में आपस में पदाधिकारियों का चयन करते हैं। माधव महाविद्यालय में इस बार के चुनाव में कुल 28 प्रतिनिधि चुने गए। इनमें से 16 प्रतिनिधि विद्यार्थी परिषद् से जुड़े थे। स्वाभाविक ही, छात्र संघ के पदाधिकारियों के चयन में विद्यार्थी परिषद् की विजय निश्चित थी। एन.एस.यू.आई. और अन्य छात्र संगठनों ने इस कारण छात्र संघ चुनाव न होने देने की ठान रखी थी। 26 अगस्त को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार जब चुनाव अधिकारी प्रो. हरभजन सिंह सब्बरवाल एवं प्रो. एम.एल. नाथ ने कार्रवाई शुरू करनी चाही, तो एन.एस.यू.आई. के नेताओं ने हंगामा कर दिया। इधर कांग्रेस संगठन ने महाविद्यालय से 100 मीटर दूर उज्जैन के चामुंडा चौराहे पर गिरफ्तारी आंदोलन तय किया था। यहां के कार्यकर्ता भी महाविद्यालय में हो रही तोड़-फोड़ में शामिल हो गए। उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व भी चुनाव न कराने को लेकर एन.एस.यू.आई. कार्यकर्ताओं ने चुनाव अधिकारियों के साथ गाली-गलौज तथा मार-पीट की थी। प्रो. नाथ ने देवास गेट थाने में इसकी प्राथमिकी (260/06) दर्ज कराई थी लेकिन किसी को भी प्रशासन ने गिरफ्तार नहीं किया। उधर, अ.भा. विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ताओं ने हर हाल में चुनाव कराने के लिए कालेज प्रशासन पर लोकतांत्रिक ढंग से दबाव बना रखा था। 26 अगस्त को सहज चुनाव सम्पन्न हो, इसके लिए परिषद् के कार्यकर्ता पूरी तरह प्रशासन के साथ सहयोगात्मक रवैया अपनाए हुए थे। इस बीच उपद्रवकारी तत्व, जो एन.एस.यू.आई. से सम्बंधित थे, ने चुनाव प्रक्रिया बाधित करने के लिए चुनाव अधिकारियों पर हमला बोल दिया। इसी हमले में पहले से अस्वस्थ प्रो. सब्बरवाल को हृदयाघात हुआ। प्रो. सब्बरवाल के साथ हुए बर्ताव को देखकर प्रो. नाथ ने चुनाव रद्द करने की घोषणा कर दी। इस फैसले से आक्रोशित विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ता परिषद् के प्रदेश अध्यक्ष शशिरंजन अकेला एवं विमल तोमर के नेतृत्व में प्रो. नाथ से मिलने गए। उन्होंने उनसे चुनाव रद्द न करने की मांग की। इस बीच माहौल उत्तेजनात्मक भी हुआ। बाद में प्रो. नाथ को भी हृदय में तकलीफ की शिकायत पर अस्पताल में भर्ती किया गया। प्रो. नाथ ने विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ताओं के विरुद्ध नामजद रपट दर्ज कराई। इनके ऊपर धारा 147, 148, 506 के अन्तर्गत मामला दर्ज किया गया। कालेज के प्राचार्य ने भी एक अलग रपट दर्ज कराई। तीसरा मामला प्रो. सब्बरवाल की हत्या के सन्दर्भ में अज्ञात लोगों के विरुद्ध दर्ज किया गया। इधर गत 29 अगस्त को राज्य भर के शिक्षक समुदाय में बढ़ते आक्रोश को देखते हुए म.प्र. शासन ने पूरी घटना की सी.आई.डी. जांच के आदेश दिए हैं। प्रतिनिधि26
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