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सबके लिए, सबके साथ
-कमल खत्री
सिंधु दर्शन उत्सव-2006 में शामिल होने के लिए भारत के कोने-कोने से लगभग 400 यात्री 23 जून को लेह पहुंचे। इनमें से सड़क मार्ग द्वारा लगभग 125 यात्री व हवाई मार्ग द्वारा लगभग 150 यात्री पहुंचे। हवाई मार्ग से पहुंचने वाले यात्रियों का लेह विमानतल पर लद्दाख कल्याण संघ व लेह हिल काउंसिल के सदस्यों द्वारा स्वागत किया गया, जिनमें प्रमुख थे श्री मनोज, श्री ओमकार, श्री रवि प्रकाश, श्री विजय, श्री सोनम, श्री दोरजे व हिन्दू मंदिर, लेह के मुख्य न्यासी श्री के.एम. किशोर। 23 जून की सायंकाल लेह स्थित रा.स्व. संघ कार्यालय में औपचारिक स्वागत के साथ-साथ एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत सिंध व सिंधु दर्शन यात्रा समिति के महामंत्री श्री हेमनदास मोटवाणी ने तीर्थयात्रियों का परिचय देकर की। मंच पर मुख्य अतिथियों में शदाणी दरबार, रायपुर के प्रमुख साईं युधिष्ठिर लाल, रा.स्व.संघ की अ.भा. कार्यकारिणी के सदस्य तथा सिंध व सिन्धु दर्शन यात्रा समिति के संरक्षक श्री इन्द्रेश कुमार, तीर्थ यात्रा महासंघ के अध्यक्ष श्री मांगेराम गर्ग, राजस्थान के शिक्षा राज्यमंत्री श्री वासुदेव देवनानी, रा.स्व. संघ के प्रांत प्रचारक श्री राकेश, दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री जगदीश मुखी व होशियारपुर के भाजपा सांसद श्री अविनाश खन्ना उपस्थित थे। स्वागत समारोह को संबोधित करते हुए श्री इन्द्रेश कुमार ने कहा कि अब तक उपेक्षित रहे लद्दाख क्षेत्र को एक नया स्वरूप मिल सके इसलिए भी सिंधु दर्शन उत्सव की महत्ता है। रात्रि में हनुमंत सेवा संघ व भिवाड़ी निर्माता संघ द्वारा आयोजित सहभोज का कार्यक्रम चल ही रहा था कि शहनाई की धुनों पर नाचते-गाते सड़क मार्ग वाले यात्री “आयोलाल-झूलेलाल” व “जय जय शदाराम” गुंजाते आ पहुंचे। इनका भी स्वागत लद्दाख कल्याण संघ के कार्यकर्ताओं ने पारंपरिक रीति से किया।
24 जून की प्रात: सिंधु दर्शन उत्सव की औपचारिक शुरुआत लेह के शे-मानला स्थित सिंधु घाट पर हुई। ठीक 9 बजे सिंधु घाट पर सिंधी समाज की ओर से पारंपरिक बहराणा पूजन से उत्सव की शुरुआत हुई। उद्घाटन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद। मंच पर संत साईं युधिष्ठिर लाल, श्री इन्द्रेश कुमार, श्री मांगेराम गर्ग के साथ बौद्ध संत भन्ते ज्ञान जगत एवं श्री डोपटन रिमपोचे, राजस्थान सिंधी अकादमी के श्री परमानंद लाडकानी उपस्थित थे। सभी ने सिंधु तट पर बहराणा ज्योत (सिंधी पूजन पद्धति) से सिंधु नदी का पूजन किया। पूजन के अंत में लद्दाखी, सिंधी, मराठी, संस्कृत, तमिल व अंग्रेजी भाषा में प्रार्थना कर राष्ट्र की समृद्धि व शांति के साथ-साथ सिंधु दर्शन उत्सव सफल बनाने के लिए भगवान से विनती की गई। पूजन समाप्ति के बाद बहराणा थाल व मटकी को गणमान्य अतिथियों ने सिंधु तट पर पहुंचाया, जहां वैदिक, सनातन, बौद्ध व सिंधी रीति से सिंधु नदी की पूजा व आरती की गई।
इसके बाद अभिनन्दन समारोह की शुरुआत सिंध व सिंधु दर्शन यात्रा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुरलीधर माखीजा ने की। मंच पर पूज्य लामाओं के साथ ही लेह के गण्यमान्य नागरिक उपस्थित थे। औपचारिक स्वागत के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।
उद्घाटन समारोह के अंत में राष्ट्र रक्षा सम्मेलन व संत सम्मेलन को संबोधित करते हुए पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद ने सिंधु दर्शन उत्सव को राष्ट्रीय गौरव का उत्सव बताते हुए कहा कि सरकारें तो आती-जाती रहती हैं लेकिन इसका अर्थ यह बिल्कुल नहीं है कि ऐसे राष्ट्रीय उत्सवों को राजनीति की सीमाओं में बांधा जाए। श्री मांगेराम गर्ग ने कहा कि आने वाले समय में सिंधु दर्शन उत्सव, बाबा अमरनाथ यात्रा जैसा स्वरूप ले लेगा। राष्ट्र रक्षा सम्मेलन को दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता श्री जगदीश मुखी, राजस्थान के शिक्षा राज्यमंत्री श्री वासुदेव देवनानी, धर्म सभा के श्री धरनीधर शर्मा, सांसद श्री अविनाश खन्ना के अलावा अंजुमन इमामिया, लेह के श्री अदीबी ने भी संबोधित किया। सभा का समापन संतों के आशीर्वचन से हुआ। बौद्ध संत श्री रिमपोचे, भंते ज्ञानजगत व संत सार्ईं युधिष्ठिर लाल ने सिधु दर्शन उत्सव को आशीर्वचन देते हुए कहा कि भविष्य में यह और अधिक धार्मिक व सामाजिक स्वरूप ग्रहण करे, यही हम परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करते हैं।
इस अवसर पर श्री इन्द्रेश कुमार ने तीर्थयात्रियों को लद्दाख कल्याण संघ के बारे में बताया कि यह संगठन किस प्रकार लद्दाख में रह रहे गरीब परिवारों के बच्चों को उच्च शिक्षा उपलब्ध करा रहा है। उन्होंने कहा कि लद्दाख में कल्याण संघ द्वारा शिक्षा के प्रसार से मतांतरण में कमी आई है। इस अवसर पर धर्मयात्रा महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मांगेराम गर्ग के द्वारा 51 हजार रुपये की नकद राशि लद्दाख कल्याण संघ को भेंट की गई। शदाणी दरबार, रायपुर के प्रमुख संत साईं युधिष्ठिर लाल, दिल्ली सिंधी समाज की ओर से श्री हेमनदास मोटवाणी, भोपाल के श्री मोतीराम वाधवानी, जयपुर के श्री लेखराज एवं अन्य लोगों ने भी लद्दाख कल्याण संघ को सहयोग निधि भेंट की।
25 जून का दिन सिन्धु यात्रियों के ऐतिहासिक स्थलों के भ्रमण के लिए निर्धारित था। इनमें मुख्य स्थान थे-श्री गुरुद्वारा पत्थर साहिब, शे-प्लेस गोम्पा, थिक्से गोम्पा व हेमिस गोम्पा। इसी दिन सायंकाल शे में सिंधु नदी के तट पर दीप प्रज्ज्वलन का कार्यक्रम रखा गया और अगले वर्ष फिर मिलने का संकल्प लेकर यह उत्सव सम्पन्न हुआ।
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