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संवेदनशील मन की सर्जना “वृन्दा” और “सुन मुटियारे”
-प्रतिनिधि
“जब परस्पर विचारों में साम्यता और सैद्धान्तिक रूप से एकता होती है तब ही कोई परिवार अपने जीवन में साहित्य साधना कर पाता है। गृहस्थी चलाते हुए भी शांता कुमार और श्रीमती संतोष शैलजा ने जिस भांति साहित्य सेवा की है वह सचमुच प्रेरणादायक और उनके संवेदनशील मन का परिचायक है।” गत 23 मार्च को उपराष्ट्रपति श्री भैरोंसिंह शेखावत ने अपने आवास पर आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह में उपरोक्त उद्गार व्यक्त किए। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री शांता कुमार द्वारा लिखित उपन्यास “वृन्दा” एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सन्तोष शैलजा द्वारा लिखित उपन्यास “सुन मुटियारे” का लोकार्पण किया।
अपने सम्बोधन में उपराष्ट्रपति श्री शेखावत ने राजनीति में सक्रिय रहते हुए भी श्री शान्ता कुमार द्वारा सतत् रचनाकर्म में संलग्न रहने की मुक्त कंठ से प्रशंसा की और कहा कि राजनीति में रहकर साहित्य निर्मित करने का काम सचमुच कठिन होता है। इस अवसर पर श्री शांता कुमार ने कहा कि यदि वे अपने राजनीतिक जीवन में कुछ भी सन्तोषजनक कर सके हैं तो इसके पीछे उनके लेखक चरित्र का बड़ा योगदान है। “वृन्दा” उपन्यास पर्यावरण को केन्द्र में रखते हुए एक युवती की संघर्षमय प्रेमगाथा है।
इस अवसर पर श्रीमती संतोष शैलजा ने “सुन मुटियारे” का परिचय देते हुए बताया कि यह एक ऐसी युवती के जीवन पर आधारित उपन्यास है जो विभिन्न परिस्थितियों से जुझती हुई ऊंचाइयों को छूती है। इस अवसर पर श्री प्रभाष जोशी, किताब घर प्रकाशन के निदेशक श्री सत्यव्रत सहित अनेक प्रसिद्ध रचनाकार एवं साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।
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