|
भाजपा के वोटों से रालोद के मदनी को जीत,
8 भाजपा विधायक निलंबित
प्रतिनिधि
गत 28 मार्च को राज्यसभा की 20 सीटों के लिए चार राज्यों- उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल, कर्नाटक व प. बंगल-में चुनाव हुए। इन चुनावों में जहां पाला बदलने के उदाहरण सामने आए, वहीं पैसे ने भी अपना रंग दिखाया। केंद्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस को भी इन चुनावों से झटका लगा। राज्यसभा में भाजपा को तीन, कांग्रेस को दो, सपा को पांच व वाममोर्चे को चार सीटें प्राप्त हुईं।
सबसे दिलचस्प घटनाक्रम उत्तर प्रदेश में हुआ जहां भाजपा विधायकों ने पाला बदलकर सपा व रालोद के उम्मीदवारों को वोट दिया, जिसके बाद उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया। उत्तर प्रदेश की कुल 10 सीटों में से पांच सपा की झोली में गईं। राष्ट्रीय लोकदल ने एक, भाजपा ने दो और बसपा ने भी दो सीटें जीतीं। प्रदेश से राज्यसभा में जाने वालों में प्रमुख हैं- जनेश्वर मिश्र (सपा), वीरपाल सिंह यादव (सपा), दैनिक जागरण के अध्यक्ष व प्रबंध संपादक महेंद्र मोहन गुप्त (सपा), कलराज मिश्र (भाजपा), विनय कटियार (भाजपा), मुनकाद अली (बसपा) तथा महमूद मदनी (रालोद)। सभी दलों की ओर से पाला बदलने वालों ने भी खूब रंग दिखाया। भाजपा के 8 विधायकों ने पाला बदलकर मतदान किया और निलंबन का दंड झेला। भाजपा के सुधांशु मित्तल, जो निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे थे, कहते हैं, भाजपा विधायकों के पाला बदल के कारण सफल नहीं हो पाए। दिल्ली के व्यवसायी मित्तल तो हार गए, पर भाजपा के दो अधिकृत उम्मीदवार कलराज मिश्र और विनय कटियार के चुनाव में भी खासी गहमा-गहमी रही। पाला बदलने और बाद में निलंबित होने वाले भाजपा विधायक हैं- पूरण सिंह बुंदेला, बादशाह सिंह, गंगा बख्श सिंह, अमरजीत सिंह जनसेवक, फगू चौहान, राम प्रसाद चौधरी और छोटेलाल वर्मा। संदीप अग्रवाल, जो पहले ही निलंबित थे, को निष्कासित कर दिया गया। कुल मिलाकर सत्ता पक्ष को 236 की बजाय 216, भाजपा को 84 की बजाय 75 तथा कांग्रेस को 16 के बजाय 15 वोट ही मिले। जबकि बसपा को 67 की बजाय 86 वोट प्राप्त हुए। कर्नाटक में भाजपा को राज्यसभा की एक सीट मिली। उधर प. बंगाल से पांच में से चार सीटें माकपा ने जीतीं और एक सीट तृणमूल कांग्रेस को मिली।
30
टिप्पणियाँ