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संस्कृत बने जन-जन की भाषाउत्कर्ष सेवा संस्थान के तत्वाधान में तैयार की गई संस्कृत फिल्म “मुद्रा राक्षसम्” का गत 17 सितम्बर को उदयपुर के पारस सिनेमा हाल में भव्य प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित हुआ। फिल्म का निर्माण आचार्य उमेश शास्त्री के निर्देशन में किया गया है। फिल्म के निर्माण में कुल 25 लाख रुपए व्यय किए गए हैं और किसी प्रकार की राजकीय सहायता नहीं ली गई है। फिल्म का पूरा फिल्मांकन भी मात्र 10 दिनों में पूरा किया गया है। प्रदर्शन समारोह की अध्यक्षता कर रहे राजस्थान खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष भानु कुमार शास्त्री ने कहा कि राष्ट्र हित को सर्वोपरि मानना ही इस फिल्म का सन्देश है। इस अवसर पर मेवाड़ के महामण्डलेश्वर महन्त मुरली मनोहर शरण ने कहा कि देव वाणी संस्कृत को पुन: जन-जन की भाषा बनाने की आवश्यकता है। इस दिशा में संस्कृत फिल्म “मुद्रा राक्षसम” एक भगीरथ प्रयास है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. बी.एल. चौधरी ने कहा कि “मुद्रा राक्षसम्” दो नीति निपुण आचार्यों की कूटनीति एवं स्वामी भक्ति की अभिव्यक्ति है। कार्यक्रम का संयोजन श्री हरीश नरसावत एवं धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के उपाध्यक्ष श्री भंवर लाल शर्मा ने किया। प्रतिनिधि14
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