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राणा ने लूटा, खैरा ने शिकायत कीआजकल पंजाब के कांग्रेसी नेता हर आड़े-तिरछे रास्ते से सरकार को दोनों हाथों से लूट रहे हैं। अभी हवाला प्रकरण, शराब माफिया, भू-माफिया प्रकरणों को राज्य के लोग भुला भी नहीं पाए थे कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की ताजा रपट ने पंजाब सरकार की नई करतूत का चिट्ठा खोल दिया है। इस रपट के अनुसार पंजाब राज्य औद्योगिक विकास निगम (पी.एस.आई.डी.सी.) ने अनुचित तरीके से जालंधर के कांग्रेसी सांसद राणा गुरजीत सिंह की औद्योगिक इकाइयों-राणा पालीकोट लिमिटेड तथा मालवा इंडस्ट्रीज-को 40.66 करोड़ रुपए की छूट दी है। एक कांग्रेसी नेता तथा प्रगतिशील किसान संगठन के अध्यक्ष सुखपाल सिंह खैरा ने राज्य सरकार की निंदा करते हुए कहा कि एक ओर तो वह कई हजार करोड़ रुपए के ऋण के बोझ से दबे किसानों को चार सालों से घोषित धान की फसल का बोनस इस तर्क पर देने से मुकर रही है कि राज्य सरकार के संसाधन सीमित हैं लेकिन दूसरी ओर अपने लोगों पर राज्य का खजाना लुटायी जा रही है। उल्लेखनीय है कि पी.एस.आई.डी.सी. ने राज्य में घाटे में चल रही औद्योगिक इकाइयों के लिए “वन टाइम सैटलमेंट” योजना शुरु की थी जिसके अंतर्गत बीमार उद्योगों का ऋण माफ किया गया था। राणा गुरमीत के इन उद्योगों के मुनाफे में चलने के बावजूद उन्हें भी यह सुविधा दे दी गई। राज्य सरकार पर अपने लोगों की शराब मिलों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकारी चीनी मिलों का गला घोंटने का आरोप पहले ही लग चुका है। अब सुखपाल सिंह खैरा ने कहा है कि अगर राणा गुरजीत सिंह ने यह राशि पंजाब सरकार को वापस नहीं लौटाई तो वे अदालत में जनहित याचिका दायर करेंगे। फिलहाल पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शमशेर सिंह दूलों इस गंभीर मुद्दे पर मौन धारण किए हुए हैं।देर से आई समझप.बंगाल में विधानसभा चुनाव का दूसरा चरण समाप्त होते ही सोनिया गांधी के निर्देश पर कांग्रेस की राज्य चुनाव प्रभारी मार्गरेट अलवा और केन्द्रीय मंत्री संतोष मोहन देव ने कोलकाता में प्रदेश कांग्रेस नेताओं को साथ गोपनीय बैठक की। सूत्रों के अनुसार 22 अप्रैल की सुबह हुई इस बैठक में मार्गरेट अलवा ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि चुनाव परिणामों के वामपंथियों के विरुद्ध होने पर वह तृणमूल-भाजपा महाजोट को समर्थन देगी। संतोष मोहन देव ने कहा कि राज्य में वाम विरोधी मोर्चे का असली नेतृत्व तो ममता बनर्जी ही कर रही हैं और हमारे केन्द्रीय नेतृत्व ने महाजोट में शामिल न होकर अपना व्यापक जनसमर्थन खो दिया, भविष्य में भी इसका नुकसान उठाना पड़ेगा। इस बैठक के पीछे कारण कि वे गुप्तचर रपटें हैं जिनके अनुसार इस चुनाव में तृणमूल भाजपा गठबंधन को अच्छी सफलता मिलने के आसार हैं। संभवत: इन्हीं रपटों पर गंभीर विचार करने के बाद राज्य के कांग्रेसियों को आगे का रास्ता सूझा है। इस नए घटनाक्रम के बाद ममता बनर्जी ने कहा था कि कांग्रेस आगामी दौर के चुनावों में तृणमूल-भाजपा के प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार करे और खुलकर आगे आए। बताया जाता है कि कोलकाता के माणिकतला व उत्तर-दक्षिण 24 परगना जिलों में कई स्थानों पर कांग्रेसी नेताओं ने तृणमूल-भाजपा के प्रत्याशियों के समर्थन में जुलूस निकाला एवं नुक्कड़ सभाएं कीं। पता चला है कि अलवा द्वारा तृणमूल-भाजपा के समर्थन में उतरने का निर्देश देने से पूर्व भी कांग्रेसी कार्यकर्ता अप्रत्यक्ष रूप से वाममोर्चे का विरोध कर महाजोट के पक्ष में समर्थन जुटा रहे थे। द्वितीय चरण के मतदान में पश्चिम मिदनापुर, हुगली, नदिया और उत्तर 24 परगना में उन स्थानों पर इसका असर स्पष्ट देखने को मिला, जहां वामपंथियों के डर से मतदाता मतदान केन्द्र तक नहीं पहुंचते थे। वहां इस बार उन्होंने अपना मत डाला। बंगाल के चुनाव विशेषज्ञ इसे एक अच्छा संकेत बता रहे हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस को यह सद्बुद्धि पहले आ गई होती तो बंगाल से इस बार वामपंथी शासन के उखड़ जाने में कोई शंका नहीं बची थी।36
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