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आशा और आशंका- अमृतसर से राजीव कुमारदिल्ली-लाहौर और श्रीनगर-मुजफ्फराबाद के बीच बस सेवा शुरु होने के बाद 24 जनवरी को अमृतसर-लाहौर बस सेवा भी आखिरकार शुरू हो गई। लगभग 6 दशक बाद 60 किलोमीटर की दूरी तय कर बस जब अमृतसर से लाहौर पहुंची तो एक नए दौर का आरंभ हुआ। इससे पूर्व 20 जनवरी को पाकिस्तान से पहली बस “दोस्ती” के अमृतसर पहुंचने पर उसका जोरदार स्वागत किया गया। उस बस में पाकिस्तान की प्रसिद्ध पंजाबी गायिका रेशमा सहित 15 सरकारी प्रतिनिधि व 7 यात्री सवार थे। सपरिवार अमृतसर पहुंचीं रेशमा ने कहा, “छोड़ो जहाज को, बस से चलते हैं, बाबा नानक के दर पर माथा टेकेंगे। पंजाबी भाइयों को कहेंगे कि अल्लाह खैर करे, अब बसें चलती रहेंगी और हम मिलते रहेंगे।”लेकिन भारत की ओर से 24 जनवरी को रवाना हुई बस यात्रियों एवं प्रतिनिधिमंडल की दृष्टि से “दोस्ती” से बढ़ कर रही। पंजाब की उपमुख्यमंत्री श्रीमती राजेन्द्र कौर भट्ठल द्वारा हरी झंडी दिखाकर बस को रवाना किया गया। इस समारोह को कांग्रेस सरकार ने गोपनीय रखा। न तो समारोह में और न ही प्रतिनिधिमंडल में किसी दूसरे राजनीतिक दल का कोई सदस्य शामिल किया गया। यहां तक कि स्थानीय लोकसभा सदस्य नवजोत सिंह सिद्धू को भी समारोह में नहीं बुलाया गया। लाहौर गए दल में कांग्रेस सरकार के दो मंत्री मोहिन्द्र सिंह (परिवहन मंत्री), सरदल सिंह बंडाला (कर एवं आबकारी मंत्री) और विधानसभा के उप सभापति प्रो. दरबारी लाल शामिल थे। “दोस्ती” के सात यात्रियों की जगह “पंजअआब” से 24 यात्री लाहौर गए। भारतीय यात्रियों में पंजाबी लोक गायिका गुरमीत बाबा सम्मिलित थीं।उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान परोक्ष रूप से 1980 के दशक से ही हिन्दुओं व सिखों को आपस में लड़ाने का प्रयास करता आ रहा है। पंजाब में उग्रवाद के दौरान पाकिस्तान ने भारी मात्रा में धन व हथियार भिजवाए थे। वर्तमान में भी पाकिस्तानी रेडियो पर भारत विरोधी, विशेषकर हिन्दू विरोधी कार्यक्रम प्रसारित किए जा रहे हैं जिसे पंजाब के सीमावर्ती जिलों में साफ सुना जा सकता है। पाकिस्तानी खुफिया एंजेसी आई.एस.आई. ननकाना साहिब जाने वाले भारतीय सिख जत्थों को गुमराह करने का प्रयास भी करती रही है। इसके लिए पाकिस्तान में रहने वाले खालिस्तानी नेताओं के भाषणों का आयोजन किया जाता रहा है। यही नहीं, खालिस्तान सम्बंधी छल्ले, पुस्तकें और पोस्टर भी बांटे जाते हैं। इन सबके कारण यह बस अनेक आशंकाएं भी पैदा करती है। संदेहों की एक वजह और भी है। पिछले साल भारत-पाकिस्तान के बीच चंडीगढ़ में क्रिकेट मैच देखने आए पाकिस्तानियों में से अनेक वापस ही नहीं लौटे और बाद में वे भूमिगत हो गए। इनमें से बाद में कुछ पाकिस्तान निवासी पठानकोट व जालंधर से सुरक्षा सम्बंधी जानकारी को विदेश हस्तांतरित करते पकड़े गए थे। पिछले सप्ताह तीन बच्चों के साथ अवैध रूप से रह रही पाकिस्तानी महिला मुमताज बीबी को अमृतसर से पकड़ा गया है। ऐसे में इन बसों में यात्रा करने वाले कितने यात्री वापस लौटते हैं और कितने नहीं, यह ध्यान रखा होगा। पंजाब विश्व हिन्दू परिषद् के महामंत्री अरुण खन्ना के अनुसार, “हम बस यात्रा शुरू होने का स्वागत करते हैं लेकिन देश की सुरक्षा का ख्याल रखा जाना चाहिए।” पंजाब बजरंग दल के सह संयोजक राकेश मदान कहते हैं कि हमें ध्यान रखना चाहिए कि राष्ट्रविरोधी शक्तियां बस का अनुचित लाभ उठाकर पंजाब का माहौल दोबारा न बिगाड़ दें। पर अमृतसर-लाहौर बस सेवा से लोगों को बहुत आशाएं भी हैं। भाजपा व्यापार मंडल के सह प्रदेश अध्यक्ष धर्मपाल चौधरी ने कहा कि दोनों देशों के बीच सम्बंध बनने एवं व्यापार खुलने से दोनों तरफ का भला होगा। भाजपा के अमृतसर से सांसद नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि जब तक पाकिस्तान जाने के लिए अमृतसर में वीजा दफ्तर नहीं खुलता, अधिक लाभ नहीं मिलेगा। अब 27 फरवरी से अमृतसर और सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी की जन्मभूमि ननकाना साहिब के बीच बस सेवा परीक्षण के रूप में शुरु होगी। मार्च माह में इसके विधिवत् शुरू होने की संभावना है। राष्ट्रीय सिख संगत, पंजाब के अध्यक्ष सेवा सिंह चावला ने ननकाना साहिब बस का स्वागत करते हुए पाकिस्तान स्थित सभी गुरुद्वारों को सिख यात्रियों के लिए खोले जाने की आशा भी जताई। पाकिस्तान स्थित 165 गुरुद्वारों में से अभी तक केवल गुरुद्वारा पंजा साहिब, गुरुद्वारा डेरा साहिब और ननकाना साहिब गुरुद्वारों के ही दर्शनों की अनुमति है। शेष 162 गुरुद्वारे या तो नष्ट हो चुके हैं या फिर अवैध कब्जों के शिकार हैं। दूसरी तरफ लाहौर पहुंची बस के यात्रियों और प्रतिनिधिमंडल का भव्य स्वागत किया गया। यात्रियों ने लाहौर स्थित मालरोड व फूड स्ट्रीट बाजार का भ्रमण किया, वे गुरुद्वारों में भी गए और महाराजा रणजीत सिंह की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित की। 25 जनवरी को प्रतिनिधिमंडल वापस लौट आया।14
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