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मंदिर विरोधी अभियान रूकापाकिस्तान में पिछले दिनों कृष्ण मंदिर तोड़ा गया था और मलेशिया में भी एक शताब्दी पुराना मंदिर क्वालालम्पुर प्रशासन ने ढहा दिया था। पाञ्चजन्य के 25 जून, 2006 अंक में हमने दोनों देशों में मंदिर विरोधी अभियानों पर विस्तृत रपट प्रकाशित की थी। मीडिया के तीखे आलेखों और पाकिस्तान व भारत में उठे विरोध के स्वरों के कारण जहां पाकिस्तान प्रशासन हकरत में आया और तुरत-फुरत मंदिर नहीं ढहाए जाने की विज्ञप्ति जारी की वहीं इसके दो दिन बाद ही लाहौर उच्च न्यायालय ने ध्वस्त किए गए कृष्ण मंदिर के स्थान पर किसी भी तरह के व्यावसायिक निर्माण पर रोक लगा दी। न्यायालय ने उक्त कार्रवाई रावलपिण्डी के ओम प्रकाश खत्री की याचिका पर की थी। श्री खत्री ने कृष्ण मंदिर ढहाए जाने के विरूद्ध यह याचिका दायर की थी। अब खबर है कि पाकिस्तानी सरकार ने एक विशेषज्ञ समिति गठित करके अन्य मंदिरों की स्थिति पर रपट मांगी है।उधर मलेशिया की राजधानी क्वालालम्पुर में तो अनेकों मंदिर पिछले दिनों ढहाए गए थे। ताजा मामला एक शताब्दी पुराने कलियम्मन मंदिर को तोड़े जाने का था। इस घटना के विरोध में स्थानीय हिन्दुओं ने प्रधानमंत्री कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और प्रधानमंत्री से इस सम्बंध में दखल देने की मांग की। इसके बाद फिलहाल वहां भी मंदिरों के विरूद्ध कोई भी विध्वंसात्मक कार्रवाई न किए जाने का आदेश दिया गया है। क्वालालम्पुर के मेयर हाजी रसलिन बिन अब्द रहमान के निर्देश पर मंदिर विरोधी अभियान चलाया गया था। सूत्रों के अनुसार अब मेयर ने समिति गठित करने की घोषणा की है जो यह निश्चित करेगी कि कोई मंदिर सरकारी भूमि पर बना हुआ है या नहीं। जब तक समिति की रपट नहीं आती तब तक मंदिर विरोधी अभियान नहीं चलाया जाएगा। लेकिन हैरानी की बात है कि अभी तक समिति की पहली बैठक की तारीख भी निश्चित नहीं की गई है। प्रतिनिधि13
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