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देश भर से लाखों शिव भक्त पवित्र अमरनाथ गुफा की यात्रा के लिए पहुंच रहे हैं। देवाधिदेव महादेव के दर्शनों की लालसा इतनी उत्कट है कि आतंकवादियों की धमकी और हमले भी उनका रास्ता नहीं रोक सके। आधिकारिक तौर पर 11 जून से शुरू हई अमरनाथ यात्रा पर हालांकि कई हमले हो चुके हैं, किंतु इससे भक्तों का संकल्प और मजबूत ही हुआ है। हजारों अमरनाथ यात्री जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर से पहलगाम तथा बालटाल के रास्ते पवित्र अमरनाथ गुफा तक पहुंच रहे हैं।
आतंकवादियों की धमकी देखते हुए तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा का पूरा बंदोबस्त किया गया है, लेकिन कड़ी सुरक्षा के बावजूद ये आतंकवादी संगठन अपनी हरकतों से बाज नहीं आए। अमरनाथ तीर्थ यात्रियों पर पहला आतंकवादी हमला गत 12 जून को हुआ। जम्मू बस स्टैंड पर आतंकवादियों द्वारा हथगोले से किए इस हमले में एक अमरनाथ यात्री सहित नौ लोग मारे गए। दूसरा आतंकवादी हमला 19 जून को हुआ। इस बार भी आतंकवादियों ने तीर्थ यात्रियों से भरी यात्री बसों को निशाना बनाया। इस हमले में सबसे पहले कटरा जा रही एक बस को निशाना बनाया गया। इसके बाद कुछ ही सेकेंड के भीतर तीन अन्य बसों पर हथगोले फेंके गए। इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई और दो तीर्थयात्रियों सहित 31 लोग घायल हो गए।
20 जून को सुरक्षा बलों ने श्रीनगर से 16 कि.मी. दूर पामपोर में दो आतंकवादियों को मार गिराया। सुरक्षा बलों के अधिकारियों के अनुसार लश्करे तोइबा के ये दोनों आतंकवादी अमरनाथ यात्रियों पर आत्मघाती हमले की योजना बना रहे थे। सुरक्षाबलों को इस बात की गुप्त सूचना मिली थी और उनके ठिकाने पर ही उन्हें घेर लिया गया था।
21 जून की दोपहर में भी आतंकवादियों ने अमरनाथ यात्रियों को निशाना बनाकर हथगोलों से हमला किया। हमले में बाबा के दर्शन कर लौट रहे राजस्थान के पांच श्रद्धालु घायल हो गए। पुलिस के अनुसार दोपहर 12.30 बजे बालटाल से श्रीनगर की ओर आ रही तीर्थयात्रियों से भरी बस पर यह हमला हुआ। बस में सवार एक यात्री ने बताया कि हथगोला बस के प्रवेश द्वार पर फटा। प्रतिनिधि
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