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मार्च 2001 में तत्कालीन राजग सरकार ने बाल्को का 51 प्रतिशत भाग विनिवेशित कर दिया था, आज संप्रग सरकार उसके बाकी बचे 49 प्रतिशत भाग को बेचने में हर तरह की उतावली दिखा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर वर्तमान सरकार के कुछ “योजनाकारों” के बताए रास्ते पर चला गया तो देश को कम से कम 9 हजार करोड़ रु. की चपत लगेगी। इन शेष शेयरों की कीमत तय करने वालों में एक कंपनी तो खुद वित्त मंत्री चिदंबरम से जुड़ी हुई है।
उल्लेखनीय है कि बाल्को के 51 प्रतिशत शेयर 2001 में स्टरलाइट इंडिया लि. कम्पनी को बेचे गए थे। शेष 49 प्रतिशत शेयरों का विनिवेश बाद में किया जाना तय हुआ था। आज इस विनिवेश को तुरन्त सम्पन्न करवाने में संप्रग सरकार के तमाम मंत्रालय और उनके आला अधिकारी दिन-रात एक किए हुए हैं। हालांकि प्रधानमंत्री कार्यालय के संयुक्त सचिव जावेद उस्मानी ने खान मंत्रालय के सचिव को लिखा था कि विनिवेश जल्दबाजी में किया है। इस मामले में गठित समिति की रपट आने के बाद ही आगे कोई कार्रवाई की जाए। परन्तु आनन- फानन में 49 प्रतिशत शेयरों की कीमत आंकने का काम वी.डब्ल्यू.सी. कम्पनी को सौंप दिया गया। हालांकि बाद में 12 अगस्त, 2005 को कम्पनी की नियुक्ति रद्द कर दी गई। फिर 10 दिसम्बर, 2005 को मूल्यांकन का काम एस.बी.आई. कैपिटल के जिम्मे कर दिया गया।
एस.बी.आई. ने मुम्बई की कम्पनी दलाल मोटर मैक्डोनाल्ड को शेयरों की कीमत तय करने का आदेश दिया जिसने 77.93 रु. प्रति शेयर की कीमत तय कर दी। एस.बी.आई. कंपनी सीधे तौर पर वित्तमंत्री के अधीन काम कर रही है, यह खुलासा खुद दलाल मोटर ने 9 फरवरी, 2006 के अपने पत्र में कर दिया था। स्टरलाइट इंडिया लि. कंपनी के शेयर का मूल्य आज 1400 रु. है जबकि बाल्को के शेष शेयरों में प्रति शेयर मूल्य 77.93 रु. आंका गया। अगर 1400 के मुकाबले शेष प्रति शेयर दाम एक रु. भी कम होता है तो सरकार को 10.81 करोड़ रु. की चपत लग जाएगी। यानी अगर 1400 की बजाय बाल्को के शेयर की कीमत 1000 रु. भी आंकी जाती है तो सरकारी घाटा 9000 करोड़ रु. का होगा। सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्री चिदम्बरम जिस यू.के. की कम्पनी वेदांता रिसोर्स के निदेशक थे उसके पास स्टरलाइट इंडिया कंपनी के 70 प्रतिशत शेयर हैं। 22 मई, 2004 की सुबह मंत्रिपद की शपथ लेने से पूर्व उन्होंने इसके निदेशक पद से इस्तीफा दिया था। कहा जा रहा है कि वित्तमंत्री की ही पहल पर एस.बी.आई. का नाम मूल्यांकन करने वाली कंपनियों की सूची में जुड़वाया गया था।
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