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उदयभानु हंस
हे राष्ट्रपुरुष, इतिहास-पुरुष, हे संघ-शक्ति के कर्णधार!
शुभ जन्मशती की स्मृति में लो जन-जन के शत्-शत् नमस्कार।
वैदिक ऋषियों के मूर्त रूप, हिन्दू संस्कृति के उद्गाता,
गुरु-परम्परा के प्रतिनिधि हो, “हिन्दुत्व” शब्द के व्याख्याता,
सम्पूर्ण देश के तुम गौरव, भारतमाता के कण्ठहार।
शुभ जन्मशती की स्मृति में लो जन-जन के शत्-शत् नमस्कार।।
तुम कोटि-कोटि जन-गण-मन में राष्ट्रीय आस्मिता के प्रतीक,
तुम पुण्यभूमि भारत मां के हो पद-पंकज के चंचरीक,
हिन्दू समाज में नई क्रांति के आन्दोलन के सूत्रधार।
शुभ जन्मशती की स्मृति में लो जन-जन के शत्-शत् नमस्कार।
हे युगद्रष्टा, हे युग्रस्रटा, दृढ़व्रती भीष्म के अनुयायी,
हे आर्यवंश के अमृत-पुत्र, हे नीलकण्ठ, हे विषपायी,
राणा प्रताप और वीर शिवा के हो तुम अंशावतार।
शुभ जन्मशती की स्मृति में लो जन-जन के शत्-शत् नमस्कार।।
तुम हिन्दू धर्म सभ्यता की हो मर्यादा के संरक्षक,
जन-मानस में राष्ट्रीय और नैतिक मूल्यों के संस्थापक,
निष्काम राष्ट्र-सेवा के पावन मंदिर के तुम सिंहद्वार।
शुभ जन्मशती की स्मृति में लो जन-जन के शत्-शत् नमस्कार।।
हम स्वयंसेवकों के जीवन में सदा प्रेरणा-स्रोत रहे,
वे ही तो “शिव संकल्प” अभी तक मन में ओत-प्रोत रहे,
आ-सेतु हिमालय अभी गूंजती सिंह-गर्जना की हुंकार।
शुभ जन्मशती की स्मृति में लो जन-जन के शत्-शत् नमस्कार।।
हंसमुख मुद्रा में प्रखर ज्ञान-हिमगिरि के हो तुम उच्च शिखर,
अन्तस में प्रलय छुपाए जो ऐसे हो शान्त महासागर,
तुम सरस्वती के वरद् पुत्र, वाणी के अनुपम अलंकार।
शुभ जन्मशती की स्मृति में लो जन-जन के शत्-शत् नमस्कार।।
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