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पाञ्चजन्य पचास वर्ष पहले

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Jul 8, 2005, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 08 Jul 2005 00:00:00

वर्ष 10, अंक 2, सं. 2013 वि., 30 जुलाई, 1956, मूल्य 3आनेसम्पादक : तिलक सिंह पमारप्रकाशक – श्री राधेश्याम कपूर, राष्ट्रधर्म कार्यालय, गौतमबुद्ध मार्ग, लखनऊप्रधानमंत्री की मनमानी और पुलिस के अत्याचारश्री देशमुख के इस्तीफे के कारण(सम्पादकीय)प्रधानमंत्री पं. नेहरू की विदेश यात्रा से पूर्व ही लगभग निश्चित हो चुका था कि वित्तमंत्री श्री चिन्तामणि देशमुख का त्यागपत्र स्वीकार कर लिया जाएगा। फिर भी देश की जनता अत्यंत उत्सुकतापूर्वक त्यागपत्र के कारणों को जानने के लिए प्रतीक्षा कर रही थी। मोटे तौर पर सभी जानते हैं कि त्यागपत्र का मुख्य कारण बम्बई के प्रश्न पर श्री देशमुख का प्रधानमंत्री की नीति के तीव्र मतभेद है। किन्तु प्रधानमंत्री के विदेशागमन के पश्चात राष्ट्रपति द्वारा उनका (श्री देशमुख का) त्यागपत्र स्वीकार होने पर संसद में उनके द्वारा जो वक्तव्य दिया गया है, उसने अनेक सनसनीखेज बातों पर प्रकाश डाला है। श्री देशमुख का प्रथम आरोप है कि गत जनवरी में बम्बई को केन्द्र शासन के अंतर्गत रखने का जो निर्णय किया गया था वह सम्पूर्ण मंत्रिपरिषद द्वारा नहीं क्योंकि इस सम्बंध में मंत्रिपरिषद् के समस्त सदस्यों से कभी सलाह नहीं ली गई। दूसरा आरोप यह कि गत जून में (कांग्रेस महासमिति अधिवेशन के अवसर पर बम्बई में) प्रधानमंत्री द्वारा बम्बई नगर के सम्बंध में की गई घोषणा-फिलहाल मौजूदा शासन के ही अधीन रहेगा। पांच वर्ष पश्चात उसके बारे में पुन: विचार किया जा सकता है। “असाघारण” थी। देशमुख का यह कहना है कि प्रधानमंत्री द्वारा यह स्पष्टीकरण कि वह उनके निर्णयों की घोषणा करने के लिए स्वतंत्र हैं, अनुपयुक्त है, क्योंकि यह निर्णय सरकार का नहीं है। उनका तीसरा आरोप यह है कि उनके बार-बार अनुरोध के पश्चात प्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री बम्बई काण्ड की न्यायालयी जांच कराने को तैयार नहीं हुए। उन्होंने इसमें प्रधानमंत्री के इस कथन का विरोध करते हुए कहा कि “न्यायालयी जांच के कारण विभिन्न समुदायों में विद्वेश का कारण होगा” यह भी कहा “सत्य के कारण कभी कटुता निर्माण नहीं होती।”*        *        *        *तिब्बत में भयंकर विद्रोहकम्युनिस्ट शासन को पलटने के लिए देशभक्त कटिबद्ध(विशेष प्रतिनिधि द्वारा)काठमाण्डू: विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि पूर्वी तिब्बत में चीनी कम्युनिस्ट शासन के विरुद्ध विद्रोह आरम्भ हो गया है। देशभक्तों ने चीनी सेनाओं से गुरिल्ला युद्ध करना शुरू कर दिया है। इस विद्रोह के अपराध में तीन तिब्बती नेताओं को गिरफ्तार कर लिया है। इस कारण तनाव और भी अधिक बढ़ गया है। स्थानीय कम्युनिस्ट शासन इस विद्रोह को दबाने में असमर्थ सिद्ध हुआ है। इसी कारण पेकिंग से भारी संख्या में ट्रक, टैंक तथा सेना इस क्षेत्र में भेजी गई है किन्तु विद्रोह का रूप इतना व्यापक तथा भीषण है कि अभी तक पहुंचाई गई सैनिक सहायता उसे दबाने में पूरी तरह असमर्थ है। विद्रोह का एकमात्र कारण यह बताया जाता है कि तिब्बत की जनता जिसे अपनी स्वतंत्रता से अधिक प्रेम है, कम्युनिस्ट शासन से बुरी तरह नाराज तथा परेशान है और इस कारण उसका जुआ तुरन्त अपने कंधों से उतार देना चाहती है। इधर कुछ दिनों से कम्युनिस्ट शासन ने अत्याचार और अनाचार के बल पर वहां की जनता का शोषण आरम्भ किया है उसके कारण इस असंतोष में और भी वृद्धि हुई है।*        *        *        *यूरोपीय शक्तियों के लिए हिन्दुमहासागर के द्वार बन्द किए जांए1947 में अंग्रेज भारत को तो छोड़ गए किन्तु हिन्दु महासागर पर पूर्ववत अपना आधिपत्य बनाए रहे। आज भी उन पर ब्रिटिश जल सेना का प्रभुत्व हैं। किन्तु आज की बदलती दुनिया में ब्रिटेन का यह प्रभुत्व किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र को कैसे सहन हो सकता है। परिणामत: आज इस प्रभुत्व को चारों ओर से चुनौतियां मिलने लगी हैं। यह चुनौती देने वाला कोई ऐसा प्रतिद्वंद्वी राष्ट्र नहीं है जिसके पास ब्रिटेन के समान शक्तिशाली जलसेना न हो, वरन अदन से सिंगापुर तक स्थित राष्ट्रों की जनता के अंत:करण में उठने वाली प्रबल राष्ट्रीयता की भावना है।1. भारत सरकार अविलम्ब जल सेना की ओर ध्यान दे। 2. इस सम्बंध में ब्रिटेन का मुंह ताकना अनुचित, 3. एशियाई राष्ट्रों की संगठित सुरक्षा योजना बने। 4. प्रतिद्वंद्विता छोड़कर मानवता के आधार पर कार्य हो।NEWS

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