|
वि.सं.के., काशीकाशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित सरसुन्दरलाल अस्पताल में भर्तीघायल यात्रियों की सेवा -सुश्रुषा में जुटे स्वयंसेवक…और अब श्रमजीवी एक्सप्रेस में विस्फोट! 12 यात्री मौके पर ही अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए तो 100 के करीब घायलों को वाराणसी स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सर सुन्दरलाल अस्पताल और जौनपुर के जिला अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। 28 जुलाई की सायंकाल जैसे ही जोनपुर के सिंगरामऊ बाजार और हरिहरपुर ग्राम के पास हरपालगंज स्टेशन से आगे नई दिल्ली की ओर जाने वाली श्रमजीवी एक्सप्रेस गुजरी, एक भीषण विस्फोट ने आस-पास के इलाके को थर्रा दिया। विस्फोट इंजन से दूसरे, सामान्य यात्री वाले डिब्बे में हुआ था। धमाका इतना ताकतवर था कि डिब्बे की छत ही उड़ गयी। ट्रेन में विस्फोट की खबर जंगल में आग की तरह पूरे इलाके में फैल गयी। आस-पास के गांवों के सैकड़ों नागरिक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता तत्काल राहत कार्यों में जुट गए। स्वयंसेवकों ने राहत कार्यों में पुलिस और प्रशासन का पूरा सहयोग किया। घायलों के लिए पेयजल, दूध आदि की व्यवस्था के साथ-साथ अन्य यात्रियों को उनकी इच्छानुसार सुरक्षित स्थलों पर भेजने की भी व्यवस्था स्वयंसेवकों ने की। घायलों के प्राथमिक उपचार हेतु उन्हें बदलापुर प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र भेजने में भी स्वयंसेवक सक्रिय दिखे। राहत कार्य का नेतृत्व संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता श्री लक्ष्मी कान्त तिवारी, श्री टी.एन. सिंह (पूर्व प्राचार्य), श्री राम आसरे सेठ ने संभाला, वहीं जिला चिकित्सालय, जौनपुर में घायलों की देखभाल में नगर कार्यवाह श्री सुरेश सिंह अपने साथी स्वयंसेवकों के साथ जुट गए। प्रशासन ने जैसे ही गंभीर रूप से घायलों को काशी के सर सुन्दर लाल अस्पताल भेजने का निर्णय लिया, वाराणसी में भी स्वयंसेवकों ने घायलों की सेवा-सुश्रुषा का काम पूरी तत्परता से संभाल लिया।काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित सरसुन्दरलाल अस्पताल में भर्तीघायल यात्रियों की सेवा -सुश्रुषा में जुटे स्वयंसेवकअस्पताल में जब घायल यात्रियों का हाल-चाल लेने देर रात रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव और 29 जुलाई की प्रात: उ.प्र. के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव पहुंचे तो घायलों की सेवा में लगे संघ के स्वयंसेवकों को देखकर हैरान रह गए। यद्यपि इन नेताओं के आगमन के पूर्व पुलिस अधिकारियों ने स्वयंसेवकों को चिकित्सालय परिसर छोड़ने का आदेश सुना दिया था परन्तु अस्पताल की नर्सों व अन्य चिकित्साकर्मियों ने प्रशासन को टका-सा जवाब दे दिया, “ये स्वयंसेवक ही हैं जो शुरू से इन घायलों की सेवा में लगे हैं, आपको जो सुरक्षा करनी हो करिए, ये यहां से नहीं जाएंगे।”NEWS
टिप्पणियाँ