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हशू आडवाणी द्वारा ज्योतितदीपों की मालिका- पुरुषोत्तम हीरानंदानी (पी. हीरा)मुम्बई के प्रख्यात समाजसेवीजब मैं समाज में उन लोगों की ओर देखता हूं जो नि:स्वार्थ भाव से सेवा में रत हैं, तो मेरे सामने एक चेहरा बार-बार उभरता है, वह है स्वर्गीय हशू भाई आडवाणी का। सात-आठ वर्ष पूर्व जब हशू जी का निधन हुआ था तब लोगों ने उनके परिवार और धन-समृद्धि की चर्चा नहीं की बल्कि हशू जी अपने पीछे समाज सेवा में जुटी कितनी संस्थाएं छोड़ गए हैं, इसी पर चर्चा की। हशू जी न केवल स्वयं आत्मदीप रहे बल्कि उन्होंने इतने दीप प्रकाशित किए कि आज वे दीप समाज के अनेक वर्गों को रोशनी दे रहे हैं।हशू आडवाणी जी का जन्म सिन्ध में हुआ था और वे किशोरावस्था में ही रा.स्व. संघ के सम्पर्क में आ गए थे। बाद में संघ के प्रचारक भी रहे। उनका परिवार बहुत समृद्ध था और परिवार के कई सदस्य यूरोपीय देशों में थे, इसलिए विभाजन के समय उनका पूरा परिवार भी यूरोप चला गया। परन्तु उन्होंने यहीं रहकर देश और समाज की सेवा करना श्रेयस्कर समझा। उन्होंने तय कर लिया था कि वे अपना सम्पूर्ण जीवन मानव सेवा और संघ के सिद्धांतों पर चलते हुए बिताएंगे।उनके परिजन यूरोप से जो भी धन अध्ययन तथा जीवनयापन के लिए भेजते थे उसे वे जरूरतमंदों की मदद पर खर्च कर देते थे, और स्वयं नगर पालिका स्कूल के बरामदे में सोते थे। हशू जी ने अपने जीवन काल में 17-18 बड़ी तथा अनेक छोटी-छोटी संस्थाएं स्थापित कीं जो अनेक क्षेत्रों में देश व समाज की उन्नति के लिए प्रयत्नशील हैं। इनमें से एक प्रमुख संस्था है मुम्बई की स्वामी विवेकानन्द एजूकेशनल सोसाइटी। इस सोसाइटी द्वारा चलाए जा रहे बाल विद्यालयों से लेकर इंजीनियरिंग कालेजों में 18 हजार से अधिक छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। यहां से पढ़कर निकले छात्र अनेक संस्थानों में शीर्ष पदों पर कार्यरत हैं। इस संस्था के साथ अनेक लोग जुड़े हैं पर उनमें से केवल दो लोगों का नमोन्नलेख करना जरूरी है, एक हैं- झमटमल वाधवानी और दूसरे श्री किशन मच्छारमानी।इसी प्रकार एक संस्था है चेंबूर युवक मण्डल। योग प्रशिक्षण इत्यादि के माध्यम से लोगों को जोड़ने वाली इस संस्था का मुख्य कार्य है मुम्बई के मूक- बधिरों के लिए एक शिक्षण संस्थान चलाना। इस संस्थान में मूक और बधिरों को न केवल व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है बल्कि यह संस्था महाराष्ट्र की पहली, और संभवत: देश की भी ऐसी पहली संस्था है जहां मूक-बधिरों को शिक्षण देने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इस कार्य में भी अनेक लोग लगे हैं परन्तु उनमें से भी दो के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं, एक श्री श्रीकृष्ण छाबडिया और दूसरे श्री अमर आसरानी।महिलाओं के क्षेत्र में भी ऐसी ही एक संस्था है जो उल्लेखनीय कार्य कर रही है-भारतीय विद्या समिति। यह संस्था महिलाओं के शिक्षण और स्वावलंबन के लिए कार्य करती है। इसमें जो दो महिलाएं तन-मन से जुटीं है वे हैं सुश्री उज्ज्वला करमबेलकर और सुश्री शोभा वाधवा।ऐसे ही भिवंडी एजूकेशन सोसाइटी द्वारा चलाए जा रहे शिक्षण संस्थान भी काफी बड़ा कार्य कर रहे हैं। इस संस्था से भी 25-30 लोग जुड़े हैं, पर श्री पुण्डलीक नाईक का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है।हशू जी के मरणोपरान्त एक संस्था बनी हशू आडवाणी मेमोरियल फाउंडेशन। यह संस्था अनेक कार्य कर रही है। मेरी दृष्टि में हशू जी ऐसे दीप थे जिन्होंने अनेक दीपों को प्रज्ज्वलित किया।NEWS
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