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विजय चोपड़ासम्पादक, हिन्द समाचार पत्र समूहविधवाओं की सहायता का महायज्ञलुधियाना के जगदीश बजाज बने यजमानशायद 1996 के अक्तूबर की बात है, जब पंजाब में आतंकवाद के बाद कुछ शांति स्थापित हुई थी। मैं जालंधर के अपने आफिस में बैठा था। मेरे सामने एक सज्जन बैठे थे। लुधियाना की नगर पालिका परिषद् से सेवानिवृत्त इन सज्जन का नाम था श्री जगदीश बजाज। वे हिन्दू समाचार-पत्र समूह के संस्थापक, हमारे पूज्य लाला जगत नारायण जी की स्मृति में एक जागरण कराना चाहते थे। वे बता रहे थे कि वे माता रानी के इस जागरण पर 7-8 लाख रुपए खर्च करेंगे, जागरण कराने के लिए किसी सुविख्यात पार्टी को बुलाएंगे, किसी फिल्म अभिनेता को भी बुलाएंगे। वे चाहते थे कि इस जागरण में मैं मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होऊं। पर मेरी इच्छा बिल्कुल नहीं थी। मैंने बार-बार उन्हें टालना चाहा। मैंने समय न होने की बात कही तो मेरे हिसाब से कार्यक्रम बनाने की बात करने लगे। फिर मैंने कहा कि मैं सुरक्षा कारणों से देर रात्रि तक बाहर नहीं रह सकता, तब भी वे आग्रह करते रहे। इसी बीच कार्यालय में 3-4 विधवा महिलाएं आयीं, जिनके पति पंजाब में आतंकवादियों के शिकार हुए थे। हम लोग प्रतिमाह उनके गुजारे के लिए कुछ सामग्री देते थे। वे सज्जन तब भी वहां बैठे थे। आखिर मैंने उन्हें टालने के लिए कह दिया कि मैं जागरण में तो नहीं आ सकता, अगर वे आतंकवादियों के शिकार हुए परिवारों की मदद करें तो ऐसे किसी कार्यक्रम में मैं जरूर आऊंगा।जगदीश बजाज जी कुछ सोचते हुए चले गए, मैं भी भूल गया। सन् 1997 की जनवरी में वे फिर आए और उन्होंने बताया कि उन्होंने पंजाब के आतंकवाद से हुई विधवाओं को सहायता पहुंचाने का निर्णय लिया है। इसका प्रारंभ वे 51 विधवाओं को प्रतिमाह एक महीने की राशन सामग्री देकर करना चाहते हैं, और मुझे इस आयोजन का शुभारम्भ करना है। मैंने सहर्ष सहमति दी और वहां गया। तब वह जो छोटा-सा एक दीप जला था उसने आज इतनी रोशनी कर दी है कि पूरा लुधियाना उससे जगमगा रहा है। उन्होंने यह काम एक छोटे से मंदिर से शुरू किया था। आज श्री ज्ञान स्थल मंदिर समिति द्वारा 701 विधवाओं को प्रतिमाह एक महीने की राशन सामग्री दी जाती है। इसमें चीनी, चावल, दाल, आटा, तेल के अलावा अन्य जरूरतों का सामान भी दिया जाता है। सहायता सामग्री लेने वाली विधवाओं के सुझाव पर राशन में चीजों को अदल-बदल कर भी दिया जाता है। प्रत्येक परिवार के लिए वे प्रतिमाह 500-600 रुपए खर्च करते हैं। कभी-कभी इससे भी ज्यादा। हां, किसी को नकद राशि नहीं देते। इस प्रकार वे प्रतिमाह साढ़े तीन-चार लाख रुपए खर्च करते हैं। यानी वर्ष भर में 40-50 लाख रुपए।श्री जगदीश बजाज के जीवन का लक्ष्य ही विधवाओं की सेवा करना बन गया है। उनकी संस्था से लोग स्वेच्छा से जुड़ते जा रहे हैं, स्वयं निश्चित तिथि से पहले सहायता राशि देते हैं। लुधियाना में अन्य संस्थाओं ने भी विधवाओं को राहत सामग्री देने का क्रम शुरू किया है। वहां अब ऐसी 12-15 संस्थाएं हैं, जिनमें कोई 50 विधवाओं को मदद दे रहा है तो कोई 150 को।NEWS
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