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झारखंड में कोई नेता अपनी स्थिति कमजोर नहीं बताता। सबका बहुमत का दावा है, पर किसमें कितना दमखम है, यह अभी तक रहस्य ही बना हुआ है। यहां हम भाजपा और कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं के विचार प्रकाशित कर रहे हैं जो उन्होंने पाञ्चजन्य से बातचीत में व्यक्त किए। -सं.प्रस्तुति : अरुण कुमार सिंहहमारे सामने बिखरा और कमजोर विपक्ष-प्रदीप यादव,पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री, झारखण्डपिछले चार साल में हमारी सरकार ने काफी काम किए हैं पर काफी रह भी गए हैं। हम लोग जनता से कह रहे हैं कि जो कार्य अधूरे हैं, उन्हें पूरा करने के लिए एक और मौका दिया जाए। हमारे शासन में विकास के अनेक कार्य हुए हैं, विशेषकर गांवों और गरीबों के लिए। इस अल्प समय में ही हमारी सरकार ने लगभग 2000 पुल-पुलियों और 10,500 कि.मी. ग्रामीण सड़कों का निर्माण करवाया है। जबकि आजादी के बाद से झारखण्ड में 32 हजार गांवों के लिए केवल 46 हजार कि.मी. सड़कें बनी थीं। ये पुल उन सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में बने हैं जहां के लोग बरसात के दिनों में अपने गांव तक ही सीमित रह जाते थे। किसी के बीमार होने पर उसे अस्पताल तक ले जाना कठिन था। इसके अलावा 8 हजार विद्यालय भवनों का निर्माण भी किया गया है। नक्सलवाद की समस्या पर भी हम लोगों ने बहुत हद तक काबू पाया है। नक्सलियों के दर्जनों बंकर ढाए गए, जहां उनका एकछत्र राज चलता था, वह खत्म हुआ। नक्सलियों को बढ़ावा राजद सरकार के काल में मिला था, क्योंकि बंकर कोई एकाध दिन में नहीं बनता है। पर आश्चर्य की बात है कि केन्द्रीय कोयला मंत्री शिबू सोरेन, जो अपने को झारखंड का स्वयंभू नेता मानते हैं, कभी भी नक्सलियों के विरुद्ध बयान नहीं दिया है। चुनाव के वक्त नक्सलियों द्वारा विधायक महेन्द्र सिंह की हत्या के बाद शिबू सोरेन कह रहे हैं कि नक्सलियों पर काबू पाने के लिए सरकार ने कुछ नहीं किया है। इससे लोगों के मन में बैठा सन्देह दूर नहीं होता है। जहां तक इस चुनाव में हमारे विपक्ष की बात है, वह तो पहले ही हार चुका है। इन मौकापरस्तों को लोग जान चुके हैं। दिल्ली में साथ-साथ सरकार चलाने वालों के बीच यदि इतनी ही एकता है तो यहां साथ मिलकर क्यों नहीं चुनाव लड़ते? राजद से नाता टूटने के बाद कांग्रेस और झामुमो एक साथ हैं। पर इन दोनों में भी आपसी खींचातानी है। दोनों अपने को एक-दूसरे से अधिक ताकतवर मान रहे हैं। रही-सही कसर राजद ने अपने प्रत्याशी खड़े कर पूरी कर दी है। इसका लाभ भाजपा को अवश्य मिलेगा।अभी अलग हैं, पर बाद में साथ होंगे-सुशीला करकेट्टासांसद एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, झारखण्डझारखण्ड की जनता बदलाव चाहती है और कांग्रेस को विकल्प के रूप में देख रही है। इसलिए हम तो कहते हैं कि झारखण्ड में इस समय कांग्रेस सबसे ऊपर है। झारखंड मुक्ति मोर्चा का साथ मिलने से हम लोगों की ताकत में और वृद्धि हुई है। हालांकि कांग्रेस की इच्छा थी कि सभी सेकुलर दल मिलकर चुनाव लड़ें, पर ऐसा नहीं हो पाया। राजद अलग होकर चुनाव लड़ रहा है। पर मैं यहां कहना चाहूंगी कि भले ही राजद अभी साथ नहीं है, किन्तु चुनाव परिणाम आने के बाद वह हम लोगों के साथ ही आएगा। चूंकि झारखण्ड में राजद का कोई खास जनाधार नहीं है इसलिए उसके अलग लड़ने से भी कांग्रेस-झामुमो गठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। हम लोग मुंडा सरकार की कमजोरियों को जनता के सामने ले जा रहे हैं। जनता भी जानती है कि मुंडा सरकार में शासन चलाने की योग्यता का अभाव है, मंत्री भ्रष्टाचार में डूबे हैं, अपनी कोठियां बनवा रहे हैं और जनता त्रस्त है। इसलिए लोग विकल्प तलाश रहे हैं और वह विकल्प सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस ही दे सकती है।पिछली राजग सरकार की गलत नीतियों के कारण पेट्रोल, डीजल यहां तक कि मिट्टी तेल की कीमतें भी आसमान छू रही हैं। इन पदार्थों पर दी जाने वाल सब्सिडी हटाने से लोगों को भारी कठिनाई हो रही है। झारखंड जैसे वनवासी राज्य में, जहां मिट्टी का तेल जीवन रेखा के समान है, वहां भी लोगों को यह तेल नहीं मिलता है। संप्रग सरकार इसको ठीक करने का प्रयास कर रही है, पर इसमें समय तो लगेगा ही। हम यह बात लोगों को समझा रहे हैं और लोग समझ भी रहे हैं। इसलिए मेरा मानना है कि कांग्रेस के नेतृत्व में ही अगली सरकार बनेगी।NEWS
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