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यह सरकार उखाड़ फेंकें-भागलपुर से कुमार हर्षभागलपुर में विशाल चुनाव सभा में (बाएं से) श्री अश्विनी चौबे,श्री अटल बिहारी वाजपेयी व श्री नीतिश कुमारबिहार में चुनावी सरगर्मी जोरों पर है। सभी दलों के वरिष्ठ नेता मतदाताओं को रिझाने में लगे हैं, जगह-जगह चुनाव सभाएं हो रही हैं। गत 27 जनवरी को पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी भागलपुर में थे। यहां उन्होंने एक विशाल चुनावी सभा को सम्बोधित करते हुए बिहार सरकार की जमकर खिंचाई की। राज्य में कानून-व्यवस्था की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यहां अपहरण और नरसंहार एक उद्योग बन चुका है। उन्होंने कहा कि राज्य में आए दिन स्कूली बच्चों और सरकारी अधिकारियों का अपहरण हो रहा है और सरकार अपनी कमजोरी छिपाने के लिए कहती है कि यह विपक्षियों का षड्यंत्र है। श्री वाजपेयी ने क्रोधित होते हुए पूछा कि यहां किसकी हुकूमत है? यह कैसा राज है जहां लोग अपनी सुरक्षा के लिए चिन्तित रहते हैं? उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि जो सरकार लोगों को सुरक्षा तक नहीं दे सकती है, उसे उखाड़ फेंकें। श्री वाजपेयी ने दो अपहृत स्कूली बच्चों- पटना के किसलय और भागलपुर के दीपक- के बारे में राज्य सरकार से सवाल किया- ये दोनों बच्चे कहां हैं? श्री वाजपेयी ने लोगों से पूछा- ऐसा कुशासन कब तक चलता रहेगा? उन्होंने आरोप लगाया कि यहां के सरकारी अधिकारी भी ईमानदारी से अपने कर्तव्य का पालन नहीं करते हैं। उन्होंने मतदाताओं का आह्वान किया कि अपने दिल की आवाज पर मतदान करें क्योंकि राज्य संकट में है। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व स्थानीय हवाईअड्डे पर प्रतीक्षारत स्कूली बच्चों से मिलते हुए उन्होंने कहा था, “धैर्य रखें, राम राज्य आएगा।”चुनाव सभा में श्री वाजपेयी ने मंच पर उपस्थित पूर्व रेल मंत्री और वरिष्ठ जद (यू) नेता श्री नीतिश कुमार की ओर इशारा करते हुए कहा कि एक पूर्व रेल मंत्री का काम आप लोगों ने देखा है और वर्तमान रेल मंत्री (लालू यादव) का काम आप लोग देख रहे हैं।सभा को सम्बोधित करते हुए श्री नीतिश कुमार ने कहा कि राज्य में सारे उद्योग बन्द हो चुके हैं, केवल अपहरण का उद्योग चल रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में पिछले 15 वर्षों से विकास के कार्य रुके हुए हैं लेकिन राज्य सरकार परिवारवाद में उलझी हुई है। उन्होंने कहा कि राज्य में बिजली, पानी और सड़क की स्थिति जर्जर है, पर सरकार अपने में ही व्यस्त है।सभा को स्थानीय सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री सुशील कुमार मोदी ने भी सम्बोधित किया। उन्होंने कहा, यह सरकार स-सु-रा-ल (साधु-सुभाष-राबड़ी-लालू) की होकर रह गई है। श्री मोदी ने कहा कि इस सरकार का जनता के विकास से कोई सरोकार नहीं रह गया है और केवल स-सु-रा-ल के विकास में लगी है। उन्होंने कमरतोड़ महंगाई की चर्चा करते हुए कहा, राजग के समय जो लालू यादव काल्पनिक महंगाई के लिए हंगामा करते थे उन्हें अब वास्तविक महंगाई भी रास आने लगी है।इस अवसर पर स्थानीय भाजपा विधायक श्री अश्विनी चौबे और जद (यू) नेता श्रीमती सुधा श्रीवास्तव ने भी जनता को सम्बोधित किया। सभा में इतनी बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे कि विरोधी पक्ष वाले भी बाद में कहते पाए गए कि बरसों बाद भागलपुर में ऐसी विशाल सभा दिखी है।लालू-राबड़ी राज में यूं हुआ बिहार बेहालकुछ तथ्यबिहार में लालू यादव की चुनावी जीत में राज्य के 16 प्रतिशत मुस्लिम मतों का खासा योगदान रहा है। हालांकि मुसलमानों की स्थिति में सुधार लाने के लिए लालू सरकार ने कभी कोई प्रयास नहीं किए। बिहार अल्पसंख्यक आयोग द्वारा तीन माह पहले तैयार की गई रपट अब तक जारी नहीं की गई है। क्यों? क्या चुनाव खत्म होने का इंतजार है? क्या है बिहार के मुसलमानों की वास्तविक स्थिति और क्या है कानून-व्यवस्था की असलियत। यहां प्रस्तुत हैं कुछ जानकारियां। -सं.बिहार के मुसलमान पिछड़ों में भी सबसे पिछड़े हैं।ग्रामीण बिहार में राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे कल्याणकारी कार्यक्रमों से केवल चार से पांच प्रतिशत मुस्लिम ही लाभान्वित हुए हैं।पंचायत या पालिका प्रशासन में दो प्रतिशत से भी कम मुस्लिम प्रतिनिधियों की भागीदारी है।मुस्लिमों की साक्षारता दर राज्य के औसत 44 प्रतिशत की तुलना में केवल 38 प्रतिशत ही है।गांवों में लगभग 50 प्रतिशत और शहरी इलाकों में 45 प्रतिशत मुस्लिम गरीबी रेखा से नीचे रह रहे हैं।पटना में 13 वर्ष पहले खोला गया था मौलाना मजरूल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय, पर आज तक इस विश्वविद्यालय में एक भी छात्र का दाखिला नहीं हुआ। आश्वासनों और सच्चाई के बीच के फासले का इससे बड़ा सबूत और क्या होगा?गोधरा की जांच आनन-फानन में, लेकिन दस साल पुराने दस अरब रुपए के चारा घोटाले में हजारों अड़ंगे।बिहार में सन् 2002 में देश भर में सबसे ज्यादा- 1289 डकैतियां।बिहार में अब तक दस में से केवल एक घर में बिजली।बिहार में सन् 2002 में देशभर में सबसे ज्यादा 3,712 हत्याएं। 48.1 प्रतिशत हत्याएं जातिवाद के कारण, 26.1 प्रतिशत हत्याएं जायदाद के कारण।बिहार में, सन् 2002 में देशभर में सबसे ज्यादा 8,675 दंगे।…फिर भी जारी है समर्थनबिहार में कांग्रेस पार्टी की स्थिति काफी हास्यास्पद है। एक ओर तो वह प्रान्त में राजद सरकार को समर्थन दे रही है तो दूसरी ओर केन्द्र की कांग्रेसनीत सरकार को राजद का समर्थन प्राप्त है। बिहार में अपराध की घटनाओं में बढ़ोत्तरी को लेकर वह चिन्तित तो दिखती है लेकिन इसे मुद्दा भी नहीं बनाना चाहती। स्कूली छात्रों, किसलय और रविकांत के अपहरण से चिन्तित है, फिर भी इसे राज्य सरकार की विफलता नहीं मानती। राजद सरकार के विरोध में मत मांग रही है, लेकिन राजद के साथ समझौते से इनकार भी नहीं करती। लोजपा से समर्थन भी प्राप्त है और उससे दोस्ताना संघर्ष को भी तैयार है। इस सिलसिले में जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रामजतन सिन्हा से बात करने की कोशिश की तो उनका सीधा सा जवाब था- हरिकेश जी जानें कि पार्टी कितनी सीटों पर लड़ेगी और किससे समझौता करेगी?जंगलराज की झलकअपराधों के संदर्भ में प्रदेश भाजपा ने राजद सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि गत पन्द्रह वर्षों में 15,739 हत्याएं, 37,877 डकैतियां, 3,222 अपहरण, 3,807 ट्रैन डकैतियां, 5,076 बलात्कार, 763 महिलाओं का अपहरण, 150 सरकारी पदाधिकारियों की हत्या और सामूहिक नरसंहार की 156 घटनाएं घटित हुईं, जिनमें 1,292 व्यक्तियों की मृत्यु हुई। इन पन्द्रह वर्षों में 2 आर.ए.एस. अधिकारी, 3 आर.पी.एस. अधिकारी, 32 बैंक अधिकारी, 1 आयकर एवं 6 उत्पाद अधिकारियों और भारत सरकार के 4 अभियंताओं की हत्या भी हुई। राज्य में 6,790 उद्योग, 62 कांच उद्योग, 19 पेट्रोल पम्पों एवं 90 दवाई की दुकानों को अपराधी तत्वों ने जबरन अपने नाम करवाया।अपराध को शहबिहार से सटे-नेपाल के 130 कि.मी. लम्बे सीमा क्षेत्र में 18 स्थानों पर तस्कर सक्रिय हैं। इन पर बिहार सरकार के ही किसी मंत्री, विधायक या सांसद के संरक्षण का आरोप भी लगता रहा है। ये तस्कर गिरोह जब आपस में लड़ते हैं तो इनका समझौता कराने वाला कोई और नहीं, बल्कि बिहार सरकार का कोई बड़ा मंत्री ही होता है।कांग्रेस पार्टी भी इस बात को मानती रही है कि यहां पर शांति और कानून-व्यवस्था नहीं है। कांग्रेस की सभाओं में इस बात पर प्रदेश के कुछ नेताओं का विशेष जोर भी रहता है।पटना से संजीव कुमारNEWS
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