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संस्कृत का चमत्कारसंवादशाला में अध्ययनरत छात्रपूर्वी दिल्ली में नन्द नगरी क्षेत्र में एक स्थान है मण्डोली। यहां के विशाल दुर्गा मंदिर परिसर में संस्कृत भाषा का पठन-पाठन होता है। चूंकि यहां संवाद की भाषा संस्कृत है इसलिए इस स्थान को “संवादशाला” कहा जाता है। शायद यह भारत की एकमात्र ऐसी संवादशाला है, जहां निरन्तर संस्कृत का अध्ययन संस्कृत भाषा में ही होता है। संवादशाला का मुख्य उद्देश्य है संस्कृत को बोलचाल की भाषा के रूप स्थापित करना। यहां महीने में दो बार 14 दिवसीय शिविर लगाए जाते हैं। कोई भी व्यक्ति नाममात्र का शुल्क देकर कभी भी इन शिविरों से लाभ उठा सकता है। अब तक यहां 110 से अधिक शिविर लगे हैं और 3000 हजार से अधिक संस्कृत-प्रेमी संस्कृत को बोलचाल की भाषा के रूप में अपना चुके हैं। भारत के हर प्रान्त से लोग इस संवादशाला में आते हैं। इसके अलावा नेपाल, मलेशिया, थाईलैण्ड, आस्ट्रेलिया, इस्रायल, रूस, अमरीका, ब्रिाटेन आदि देशों से भी संस्कृत प्रेमी यहां आते हैं। इन दिनों रूस के एक छात्र गणाधिराज यहां संस्कृत का अध्ययन कर रहे हैं। कुछ समय पूर्व उनके कुछ मित्र यहां से पढ़कर रूस गए थे। उनको संस्कृत बोलते हुए देखकर उनकी भी इच्छा हुई कि हम भी संस्कृत पढ़ेंगे और वे भारत आ गए। मात्र एक महीने में वे अच्छी तरह संस्कृत बोल लेते हैं, जबकि उन्हें देवनागरी लिपि की पहले जानकारी भी नहीं थी। शिक्षार्थियों को भोजन, आवास, शिक्षा आदि सुविधाएं नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं।संवादशाला का संचालन संस्कृत भारती और झण्डेवाला देवी मंदिर, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में होता है। संवादशाला के प्रशिक्षण प्रमुख हैं श्री सुधीष्ट कुमार। श्री कुमार एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती मीनाक्षी संस्कृत भारती के पूर्णकालिक कार्यकर्ता हैं। दोनों पति-पत्नी दिन-रात इसी विचार में लगे रहते हैं कि प्रशिक्षणार्थियों को किस प्रकार अच्छे से अच्छा प्रशिक्षण दिया जाए।-प्रतिनिधिसम्पर्क पता -संवादशाला, दुर्गा मन्दिरसमीप सेवाधाम, मण्डोली चुंगी, दिल्ली-110093दूरभाष – 9818569967NEWS
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