रा.स्व.संघ ने किए कांग्रेस से चार सवाल
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रा.स्व.संघ ने किए कांग्रेस से चार सवाल

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Nov 4, 2004, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 04 Nov 2004 00:00:00

आज की कांग्रेस को खुद को स्वतंत्रता आंदोलन से पूर्व की कांग्रेस का उत्तराधिकारी बताने का क्या अधिकार है?कांग्रेस जिस “गांधी” के नेतृत्व में चल रही है उसका महात्मा गांधी से क्या संबंध है?क्या सोनिया गांधी ने देश से जुड़े किसी भी आंदोलन में कभी भाग लिया है?क्या कांग्रेस अपने हितैषी बने कम्युनिस्टों की भारत छोड़ो आंदोलन में भूमिका को जानती है?चुनावी आरोपों-प्रत्यारोपों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सदा से एक निश्चित दूरी पर ही रहा है। पार्टियां एक-दूसरे पर छींटाकशी करें, लांछन लगाएं, उससे संघ का न कभी कोई सरोकार रहा है, न ही कभी उसने अपनी ओर से कोई स्पष्टीकरण ही दिया है। परन्तु बीते दिनों जब कांग्रेस ने सभी मर्यादाओं का उल्लंघन करते हुए बेवजह संघ पर निशाना साधने की कोशिश की तो संघ चुप कैसे बैठता। कांग्रेस ने कहा था कि स्वतंत्रता संग्राम में संघ के किसी स्वयंसेवक का कोई योगदान नहीं रहा। यह कितना बेशर्म प्रदर्शन था इस बात का कि इतिहास की कितनी अल्प जानकारी है कांग्रेसियों को। कांग्रेस द्वारा हताशा में की गई इस शरारत पर संघ प्रवक्ता राम माधव ने कांग्रेस के प्रवक्ताओं को इतिहास और राष्ट्रीय अभिलेखागार में संग्रहित तथ्यों के अध्ययन की सलाह दी। श्री माधव ने 31 मार्च को नई दिल्ली में पत्रकार वार्ता में बताया कि संघ के आद्य सरसंघचालक डा. केशव बलिराम हेडगेवार विदर्भ क्षेत्र के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता रहे थे। उनका पूरा जीवन स्वतंत्रता संग्राम को समर्पित रहा था। डा. हेडगेवार केन्द्रीय प्रांत की कांग्रेस समिति से जुड़े रहे।संघ प्रवक्ता ने उन अनेक ऐतिहासिक अवसरों का तथ्यों सहित जिक्र किया जब डा. हेडगेवार ने प्रत्यक्ष रूप से स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया था। गांधी जी के साथ उन्होंने पूर्ण स्वराज पर विस्तार से विमर्श किया था। 1925 में डा. हेडगेवार ने संघ की स्थापना की थी। उन्होंने स्वयंसेवकों को कांग्रेस और हिन्दू महासभा सहित स्वतंत्रता संग्राम के सभी आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लेने को कहा था। केन्द्रीय प्रांत में साइमन कमीशन विरोधी आंदोलन वास्तव में संघ कार्यकर्ताओं के नेतृत्व में ही चला था। उस आंदोलन में केन्द्रीय प्रांत की कांग्रेस इकाई का नेतृत्व प्रांतीय समिति के महासचिव और संघ की वर्धा इकाई के संघचालक हरेकृष्ण (अप्पा जी) जोशी कर रहे थे। संघ ने 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पारित “पूर्ण स्वराज” के प्रस्ताव का समर्थन किया था। संघ ने अपनी तत्कालीन 37 शाखाओं को एक पत्रक के जरिए संदेश पहुंचाया था कि “कांग्रेस ने इस वर्ष प्रस्ताव पारित करके पूर्ण स्वराज को अपना लक्ष्य बताया है। कांग्रेस कार्यसमिति ने पूरे देश को 26 जनवरी, 1930 को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने को कहा है। संघ को स्वाभाविक रूप से आनंद हुआ है कि अखिल भारतीय कांग्रेस ने हमारे पूर्ण स्वतंत्रता के लक्ष्य का ही अनुमोदन किया है। हमारा कर्तव्य है कि जो भी संगठन इस लक्ष्य के लिए कार्य कर रहा है, हम उसे अपना पूरा सहयोग दें। अत: सभी स्वयंसेवक 26 जनवरी, 1930 को शाम 6 बजे संघ स्थान पर एकत्र हों। भगवा ध्वज को प्रणाम करने के बाद स्वतंत्रता और इसे आदर्श क्यों बनाया जाए, इस पर चर्चा हो। कार्यक्रम के अंत में पूर्ण स्वतंत्रता को आदर्श के रूप में स्वीकारने के लिए कांग्रेस को बधाई दें।”श्री राम माधव ने कहा कि कांग्रेस को किसने यह अधिकार दिया कि वह जब चाहे संघ पर आरोप लगाए? आखिर कांग्रेस को संघ स्वयंसेवकों के निकर पहनने से इतनी चिढ़ क्यों है? संघ ने तो कभी कांग्रेस सेवादल के कार्यकर्ताओं की गांधी टोपी का मजाक नहीं उड़ाया। श्री माधव ने कहा कि कोई विदेशी महिला, चाहे वह इटली की हो या कोलम्बिया की, भारत के किसी नागरिक से विवाह करे, इसमें किसी को आपत्ति नहीं है बल्कि उसका सम्मान ही किया जाएगा। परन्तु सोनिया गांधी में सिवाय राजीव गांधी की विवाहिता होने के वह कौन सी योग्यता है कि जिसके बल पर वे प्रधानमंत्री पद पर बैठना चाहती हैं? संघ प्रवक्ता ने कांग्रेस के सामने चार प्रश्न रखे और कहा कि कांग्रेसजन अपने दिलों में झांकें और उनका जवाब दें-आज की कांग्रेस को खुद को स्वतंत्रता आंदोलन से पूर्व की कांग्रेस का उत्तराधिकारी बताने का क्या अधिकार है? श्री माधव ने कहा कि आज की कांग्रेस “नकली कांग्रेस” है जिसका गांधी जी व अन्य नेताओं के नेतृत्व में चले स्वतंत्रता संग्राम से कोई लेना-देना नहीं है।कांग्रेस जिस “गांधी” को आगे रखकर (अध्यक्ष बनाकर) चल रही है, उसका महात्मा गांधी से क्या संबंध है?क्या सोनिया गांधी ने देश से जुड़े किसी भी आंदोलन में कभी भाग लिया है?श्री माधव ने ए. सूर्यप्रकाश की पुस्तक “सोनिया अंडर स्क्रूटिनी” से कुछ अंश पढ़ते हुए बताया कि सोनिया गांधी के पिता स्टीफानो माइनो इटली के तानाशाह मुसोलिनी के समर्थक थे।क्या कांग्रेस अपने हितैषी बने कम्युनिस्टों की भारत छोड़ो आंदोलन में भूमिका को जानती है?श्री माधव ने बताया कि चूंकि यह विषय कांग्रेस ने ही शुरू किया था अत: संघ स्वयंसेवक देशभर में इन प्रश्नों के प्रति जनता को जागरूक करने हेतु जनजागरण अभियान चला रहे हैं।-प्रतिनिधि36

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