कही-अनकही
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

कही-अनकही

by
Nov 4, 2004, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 04 Nov 2004 00:00:00

दीनानाथ मिश्रकांग्रेस से लोकतंत्र घटाओ तो मिले सोनियापत्रकारों ने पूछा- “क्या प्रियंका गांधी भी लड़ेंगी? और लड़ेंगी तो कहां से लड़ेंगी?” कांग्रेस प्रवक्ता ने जवाब में कहा- “वह चुनाव लड़ेंगी या नहीं लड़ेंगी और लड़ेंगी तो कहां से लड़ेंगी, इसका फैसला वह स्वयं करेंगी।” क्यों भई, पार्टी में कोई संसदीय बोर्ड नहीं है क्या, जिसको टिकट देने या न देने का अधिकार है? भले ही औपचारिकता के लिए ही सही, कम से कम संसदीय बोर्ड का ढांचा तो होना चाहिए। प्रियंका गांधी को यह अधिकार कहां से मिल गया कि वह अपने टिकट का फैसला स्वयं कर ले? वह कांग्रेस की लगती क्या है? क्या वह कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य या पदाधिकारी है? फिर यह विशेषाधिकार कहां से मिला उसे? कितना बेकार-सा सवाल है? कांग्रेस में पार्टी के अन्दर लोकतंत्र की जरूरत ही क्या है? पार्टी है ही क्या? सिर्फ व्यक्तिगत जागीर? वोट जनता का, वोट पर दैवी अधिकार खानदान का।कभी संसार भर में राजाओं और सम्राटों का राज चलता था। राजा के बाद राजा का बेटा राजा होता था। एक से एक नाकाबिल और जुल्मी शासकों को संसार की जनता झेलती रहती थी। पागल बादशाहों से संसार का इतिहास भरा पड़ा है। बहुत बार जब राजा बूढ़ा हो जाता और युवराज को शासन नहीं सौंपता था तो बेटा बर्दाश्त नहीं कर पाता था। बेटे को “मजबूरन” उन्हें दुनिया से विदा करना पड़ता था। ऐसे लोगों में एक नाम औरंगजेब का भी है। वह “नरम” दिल इन्सान था। उसने सिर्फ भाइयों को संसार से विदा किया और पिता को कैदखाने में बंद कर दिया।राजशाही हो, सम्राटशाही हो, शेखशाही हो- सब के सब खानदानवाद को आगे बढ़ाने वाले होते थे। राजा के पसंदीदा लोगों का इतिहास चांदी ही चांदी काटने का रहा है। अलबत्ता भारत में गणराज्यों के भी उदाहरण हैं। हजारों साल से पंचायत की महिमा है। अभी भी जातीय पंचायतों का अच्छा या बुरा फैसला कहीं-कहीं पर चल जाता है।पिछले तीन-चार सौ वर्षों में किसी तरह लोकतंत्र का विकास हुआ। लोकतंत्र का एक अर्थ यह है कि कुछ लोगों के राजनीतिक विशेषाधिकारों का अन्त। भाई लोग तर्क देते हैं कि जब अभिनेता की सन्तान अभिनय क्षेत्र में आ सकती है, जब प्राध्यापक का बेटा प्राध्यापक बन सकता है, तब राजनेताओं की संतान को राजनीतिक उत्तराधिकार क्यों नहीं मिल सकता?जी हां, तर्क तो दुरुस्त है। लेकिन एक शल्य चिकित्सक का बेटा शल्य चिकित्सक बने तो यह उसकी मर्जी की बात है। अगर वह अच्छा शल्य चिकित्सक नहीं है तो कोई रोगी अपनी जान उसके हवाले नहीं करेगा। पायलट का बेटा पायलट बनना चाहे तो बन सकता है। मगर जहाज तो फिर उसे ही उड़ाना पड़ेगा। बाकी सब धन्धों में सब स्वतंत्र हैं। अपना-अपना धन्धा चुनने के मामले में। मगर राजनीति की बात अलग है। राजनीति में आने के लिए न्यूनतम योग्यता की कोई सीमा- रेखा नहीं। यहां तो रसोई घर से निकलकर कोई राबड़ी सीधे मुख्यमंत्री बन जाती है। एक नहीं, कई राज खानदान हैं। शेख अब्दुल्ला, फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला अर्थात् तीन पीढ़ियां। मगर लोकतंत्र ने उन्हें पराजित कर दिया।नेहरू-गांधी राज-खानदान की बात ही अलग है। एक तो उनकी दावेदारी देश के सबसे बड़े पद की है। पार्टी उनकी जागीरदारी है। उसके नम्बर एक, नम्बर दो, नम्बर तीन पद पर भी खानदान का ही व्यक्ति चाहिए। आज कांग्रेस में दूसरे, तीसरे नम्बर का नेता कौन है?” कोई नहीं बता सकता। बताएगा तो राहुल गांधी को बताएगा, प्रियंका गांधी को बताएगा। उसके बाद… दसवीं पायदान पर दो-चार नेता गिनाए जा सकते हैं। सारे फैसले सोनिया गांधी के मोहताज हैं। काम-काज ऐसे चलता है जैसे संसदीय बोर्ड की पार्टी को कोई जरूरत ही नहीं है। दल के अंतर्गत लोकतांत्रिक कामकाज नहीं, तो राजकाज में भी लोकतंत्र अपना अर्थ खो देता है। अब राहुल गांधी की बात लीजिए। मालूम नहीं उन्होंने उस कोलम्बियाई लड़की से शादी कर ली है या करने वाले हैं, जिसके साथ हाल ही में उन्होंने केरल के कुमारगम में कई हफ्ते एक साथ गुजारे। एक और विदेशी बहू के शुभागमन के लिए देश को तैयार होना है। अभी से उन्हें भावी प्रधानमंत्री के रूप में कुछ अखबारों ने देखना चालू कर दिया है। इसलिए यह व्यक्तिगत मामला नहीं है।23

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

स्वामी दीपांकर

भिक्षा यात्रा 1 करोड़ हिंदुओं को कर चुकी है एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने का संकल्प

पीले दांतों से ऐसे पाएं छुटकारा

इन घरेलू उपायों की मदद से पाएं पीले दांतों से छुटकारा

कभी भीख मांगता था हिंदुओं को मुस्लिम बनाने वाला ‘मौलाना छांगुर’

सनातन के पदचिह्न: थाईलैंड में जीवित है हिंदू संस्कृति की विरासत

कुमारी ए.आर. अनघा और कुमारी राजेश्वरी

अनघा और राजेश्वरी ने बढ़ाया कल्याण आश्रम का मान

ऑपरेशन कालनेमि का असर : उत्तराखंड में बंग्लादेशी सहित 25 ढोंगी गिरफ्तार

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

स्वामी दीपांकर

भिक्षा यात्रा 1 करोड़ हिंदुओं को कर चुकी है एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने का संकल्प

पीले दांतों से ऐसे पाएं छुटकारा

इन घरेलू उपायों की मदद से पाएं पीले दांतों से छुटकारा

कभी भीख मांगता था हिंदुओं को मुस्लिम बनाने वाला ‘मौलाना छांगुर’

सनातन के पदचिह्न: थाईलैंड में जीवित है हिंदू संस्कृति की विरासत

कुमारी ए.आर. अनघा और कुमारी राजेश्वरी

अनघा और राजेश्वरी ने बढ़ाया कल्याण आश्रम का मान

ऑपरेशन कालनेमि का असर : उत्तराखंड में बंग्लादेशी सहित 25 ढोंगी गिरफ्तार

Ajit Doval

अजीत डोभाल ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और पाकिस्तान के झूठे दावों की बताई सच्चाई

Pushkar Singh Dhami in BMS

कॉर्बेट पार्क में सीएम धामी की सफारी: जिप्सी फिटनेस मामले में ड्राइवर मोहम्मद उमर निलंबित

Uttarakhand Illegal Majars

हरिद्वार: टिहरी डैम प्रभावितों की सरकारी भूमि पर अवैध मजार, जांच शुरू

Pushkar Singh Dhami ped seva

सीएम धामी की ‘पेड़ सेवा’ मुहिम: वन्यजीवों के लिए फलदार पौधारोपण, सोशल मीडिया पर वायरल

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies