भजन गायक अनूप जलोटा ने कहा-धर्म के साथ व्यावसायिकता का जुड़ना घातक नहींभजन गायन के क्षेत्र में अनूप ज
July 21, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

भजन गायक अनूप जलोटा ने कहा-धर्म के साथ व्यावसायिकता का जुड़ना घातक नहींभजन गायन के क्षेत्र में अनूप ज

by
Oct 10, 2004, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 10 Oct 2004 00:00:00

भजन गायक अनूप जलोटा ने कहा-धर्म के साथ व्यावसायिकता का जुड़ना घातक नहींभजन गायन के क्षेत्र में अनूप जलोटा एक प्रतिष्ठित नाम है। हमने उनसे भक्ति, भक्ति चैनलों और भक्ति के बढ़ते बाजार के बारे में बात की। यहां प्रस्तुत हैं उस बातचीत के मुख्य अंश-क्या आज के बदलते आधुनिक दौर में व्यक्ति के लिए धर्म का महत्व है?धर्म तो हमारे रोम-रोम में बसा है। और जो चीज जीवन से, हमारी आस्था से इतनी जुड़ी हो, उसे हम देखना-सुनना पसंद करते हैं। लोगों के मन में एक शिकायत थी कि टेलीविजन पर बाकी सब आता है लेकिन भक्ति का पहलू गायब है। उनकी चाहत थी कि सुबह जब सोकर उठें तो किसी संत के दर्शन हों, किसी तीर्थ के दर्शन हों, कानों में प्रभु का नाम सुनाई दे। गांव-गांव से यह मांग आनी शुरू हुई तो इस मांग पर ध्यान देते हुए लगभग दस साल पहले दूरदर्शन ने इस दिशा में कदम उठाया। उसके बाद निजी चैनल आ गए, उन सबने महसूस किया कि अगर सुबह धार्मिक कार्यक्रम नहीं दिखाए गए तो लोग सुबह टी.वी. देखेंगे ही नहीं। सुबह उठकर कोई भी दलेर मेहंदी या अदनान सामी को नहीं देखना चाहता। लोगों की मांग को देखते हुए 24 घंटे के चार-चार भक्ति चैनल शुरू हो गए और अभी और आने वाले हैं। इससे स्पष्ट हो जाता है कि भक्ति और आध्यात्म लोगों का प्रिय विषय बनता जा रहा है, तभी तो और चैनल आने वाले हैं। यह तो सभी जानते हैं कि चैनल चलाने के लिए कितनी बड़ी रकम चाहिए। उन्हें विश्वास है कि धार्मिक चैनल चलाकर वे उस खर्चे को ही पूरा नहीं करेंगे, उससे लाभ भी कमाएंगे।इस वातावरण देखकर क्या आपको लगता है कि व्यक्ति पुन: धर्मोन्मुख हुआ है?निश्चित रूप से इन भक्ति चैनलों के माध्यम से एक सकारात्मक आध्यात्मिक आंदोलन शुरू हुआ है। लोगों में आस्था पैदा हुई है। एक अच्छा इंसान बनने की इच्छा जन्मी है।आपके भजनों के कार्यक्रम बहुत पहले से होते रहे हैं और उनमें श्रोताओं की संख्या भी अच्छी-खासी रही है। क्या पहले से आज तक इस संख्या में कोई परिवर्तन हुआ?15-16 साल की उम्र से मैं भजन गाने लगा था। तब मेरे साथ-साथ मेरी उम्र के छात्र “पायो जी मैंने राम रतन…” और “ठुमुक चलत रामचन्द्र…” गाया करते थे। मेरे परिवार में भजन गायन की परम्परा रही है। मेरे पिता श्री पुरुषोत्तम दास जलोटा को इस साल भजन गायन के लिए पद्मश्री मिला है। पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी को भजन गायन के लिए पद्मश्री मिला। अब भजन गायन के लिए द्वार खुल गए। और भजन तो भारत में सर्वाधिक लोकप्रिय विधा है। मैंने अपने कार्यक्रम में भारत में एक लाख से ज्यादा दर्शकों की उपस्थिति देखी है। इंग्लैण्ड और अमरीका में भी 30 से 35 हजार लोग मेरे कार्यक्रमों में आए हैं।गायकी के लिए आपने भजन की विधा को ही क्यों चुना?गायन की सबसे प्रभावशाली विधा है भजन। इसमें हम शास्त्रीय संगीत के राग तो गाते ही हैं, संतों की वाणी भी गाते हैं। संतों की वाणी गाने से जीवन का संदेश लोगों तक पहुंचता है। भजन से ज्यादा उपयोगी और शाश्वत संगीत कोई और हो ही नहीं सकता।भजन गायकी का भविष्य आप कैसा देख रहे हैं?बहुत उज्ज्वल भविष्य है। और मैं ही नहीं, टेलीविजन चैनल व्यवसाय की दुनिया के लोग भी ऐसा ही मानते हैं।क्या इससे यह नहीं लगता कि धर्म के साथ व्यावसायिकता जुड़ती जा रही है?यह तो है ही। जब कोई भी चीज बहुत लोकप्रिय होती है तो समाज का एक वर्ग उसका व्यापार करने लगता है। जैसे रजनीश आश्रम बना तो उसके साथ-साथ एक व्यापारिक पहलू भी जुड़ गया। सत्य सार्इं बाबा की लोकप्रियता बढ़ी तो उनके सीडी, कैसेट और पुस्तक प्रकाशन का व्यवसाय भी जुड़ गया। और यह व्यापार बढ़ता जा रहा है।क्या धर्म के साथ इस तरह व्यावसायिकता का जुड़ना घातक नहीं है?बिल्कुल घातक नहीं है। क्योंकि एक वर्ग ऐसा है जो अपने पूज्य संतों, गुरुओं को देखना चाहता है, उनके प्रवचन सुनना चाहता है, आत्मिक संतुष्टि चाहता है। इससे लोकप्रियता और ज्यादा बढ़ती है, लोग और ज्यादा आकर्षित होते हैं।धर्म का प्रचार-प्रसार दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है, भक्ति चैनलों की स्वीकार्यता बढ़ी है, इसका मुख्य कारण क्या है?भक्ति चैनलों की स्वीकार्यता का एक बड़ा कारण है कि इन्होंने लोगों को धर्म का अर्थ बड़ी सरलता से समझाया। जरूरत है कि इन चैनलों पर सभी मत-पंथों के बारे में चर्चा हो, जिससे लोग उनको भी गहराई से समझ सकें।28

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

विश्व हिंदू परिषद बैठक 2025 : हिंदू समाज को विखंडित करने वाली शक्तियों को देंगे करारा जवाब – आलोक कुमार

पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा से सर्च अभियान में 14 IED और भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद

भारत-पाकिस्तान युद्धविराम 10 मई : ट्रंप के दावे को भारत और कसूरी ने किया खारिज

हरिद्वार कांवड़ यात्रा 2025 : 4 करोड़ शिवभक्त और 8000 करोड़ का कारोबार, समझिए Kanwar Yatra का पूरा अर्थचक्र

पुलिस टीम द्वारा गिरफ्तार बदमाश

इस्लामिया ग्राउंड में देर रात मुठभेड़ : ठगी करने वाले मोबिन और कलीम गिरफ्तार, राहगीरों को ब्रेनवॉश कर लूटते थे आरोपी

प्रधानमंत्री मोदी की यूके और मालदीव यात्रा : 23 से 26 जुलाई की इन यात्राओं से मिलेगी रणनीतिक मजबूती

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

विश्व हिंदू परिषद बैठक 2025 : हिंदू समाज को विखंडित करने वाली शक्तियों को देंगे करारा जवाब – आलोक कुमार

पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा से सर्च अभियान में 14 IED और भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद

भारत-पाकिस्तान युद्धविराम 10 मई : ट्रंप के दावे को भारत और कसूरी ने किया खारिज

हरिद्वार कांवड़ यात्रा 2025 : 4 करोड़ शिवभक्त और 8000 करोड़ का कारोबार, समझिए Kanwar Yatra का पूरा अर्थचक्र

पुलिस टीम द्वारा गिरफ्तार बदमाश

इस्लामिया ग्राउंड में देर रात मुठभेड़ : ठगी करने वाले मोबिन और कलीम गिरफ्तार, राहगीरों को ब्रेनवॉश कर लूटते थे आरोपी

प्रधानमंत्री मोदी की यूके और मालदीव यात्रा : 23 से 26 जुलाई की इन यात्राओं से मिलेगी रणनीतिक मजबूती

‘ऑपरेशन सिंदूर’ समेत सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार सरकार : सर्वदलीय बैठक 2025 में रिजिजू

मौलाना छांगुर का सहयोगी राजेश गिरफ्तार : CJM कोर्ट में रहकर करता था मदद, महाराष्ट्र प्रोजेक्ट में हिस्सेदार थी पत्नी

पंजाब : पाकिस्तानी घुसपैठिया गिरफ्तार, BSF ने फिरोजपुर में दबोचा

अब मलेरिया की खैर नहीं! : ICMR ने तैयार किया ‘EdFalciVax’ स्वदेशी टीका, जल्द शुरू होगा निर्माण

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies