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गर्मी का मौसम राजस्थान में अनिश्चितताओं भरा होता है। इतनी अनिश्चितता कि मौसम विज्ञानी भी पूर्वानुमानों की घोषणा करते हुए कतराते हैं। जगह-जगह उड़ते धूल के गुबार कब वातावरण में पानी के छींटे ले आएंगे या उमस बढ़ा देंगे, कोई नहीं जानता। लेकिन इसके उलट राजनीतिक परिदृश्य बिल्कुल स्पष्ट है। 5 मई को होने वाले लोकसभा चुनावों में भाजपा की बढ़त स्पष्ट रूप से आंकी जा रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी यह मानने लगे हैं कि कांग्रेस अपना पिछला प्रदर्शन भी बरकरार रख पाई तो उसके लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। स्थिति यह है कि कांग्रेस का राजस्थान में संगठनात्मक ढांचा भी बिखर गया है। कांग्रेस ने सिर्फ अपना चुनाव चिन्ह देकर इतिश्री कर ली है और उम्मीदवारों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। विधानसभा चुनावों में बुरी तरह पिट चुकी कांग्रेस वैसे ही मन से हारे बैठी थी, उस पर बीते चार महीनों में संगठनात्मक स्तर पर चली उठा-पटक ने नेताओं और कार्यकर्ताओं के मन के दुराव को गहरा कर दिया है। स्थिति यह है कि कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष नारायण सिंह को निष्प्रभावी होते देख पूर्व मंत्री व राज्यसभा सदस्य अबरार अहमद को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी अपने विश्वस्त के कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद ही जयपुर में जनसम्पर्क करने निकले।राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि कांग्रेस सिर्फ झुंझुनू, अलवर, सलूम्बर, जालौर और उदयपुर में ही चुनौती देने की स्थिति में दिखती है। राज्य के 25 लोकसभा क्षेत्रों में से 20 में उसके उम्मीदवार आत्मसमर्पण की मुद्रा में दिखते हैं। चारों तरफ से पराजित होती कांग्रेस पर रणवीर पहलवान के प्रहार से लगता है कांग्रेस का दम ही निकल गया है। जयपुर में जमीनों का कारोबार करने वाले इस हरियाणवी पहलवान ने रिश्वत लेते हुए पूर्व कांग्रेसी मंत्रियों की वीडियो सीडी जारी कर कांग्रेस को बहुत करारा झटका दिया है। इससे उत्साहित भाजपा अध्यक्ष श्री ललित किशोर चतुर्वेदी कहते हैं “सी.डी. प्रकरण में उजागर हुए संवादों से अशोक गहलोत व सोनिया गांधी भ्रष्टाचार के संरक्षक बनकर उभरे हैं।”जयपुर स्थित राजस्थान विश्वविद्यालय से हिन्दी में शोध कर रहे गौरव अग्रवाल की टिप्पणी गौर करने लायक है- “यह मजेदार है कि जिन प्रताप सिंह खाचरियावास ने अशोक गहलोत सरकार को भ्रष्टाचार का सिरमौर कहा तथा उस सरकार के खिलाफ “ब्लैक पेपर” निकाला। वही आज कांग्रेस के जयपुर से उम्मीदवार हैं। इसका अर्थ यह है कि कांग्रेस प्रताप सिंह के आरोपों से सहमत है।” वे कहते हैं कि जब चुनाव ही संस्थागत भ्रष्टाचार व राष्ट्रवाद के बीच हो तो मतदाता कांग्रेस को वोट डालने की सोच भी कैसे सकता है। जयपुर से सुरेन्द्र चतुर्वेदी33
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