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पाठकीय

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Sep 5, 2004, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 05 Sep 2004 00:00:00

पञ्चांग संवत् 2061 वि., वार ई. सन् 2004 ज्येष्ठ कृष्ण 5 रवि 9 मई ,, ,, 6 सोम 10 ,, ,, ,, 7 मंगल 11 ,, ,, 8 बुध 12 “” “” “” 9 गुरु 13 “” “” “” 10 शुक्र 14 “” “” “” 11 शनि 15 “” अंक-संदर्भ, 11 अप्रैल, 2004कुम्भ मेलाराष्ट्रीय एकता का आधारसिंहस्थ विशेषांक हर दृष्टि से संग्रहणीय है। स्वामी सत्यमित्रानंद जी द्वारा राष्ट्र को सिंह बनाने का आह्वान प्रेरणादायी है। उज्जैन के बारे में साहित्यिक, ऐतिहासिक, धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से भी काफी जानकारियां मिलीं।-दिवाकररेवा वसंतपुर, मुजफ्फरपुर (बिहार)यह बहुत महत्वपूर्ण है कि कुम्भ मेले का कोई विज्ञापन नहीं होता, फिर भी देशभर से न केवल साधु-संत बल्कि आम जनता भी लाखों की संख्या में स्वयमेव कुम्भ स्थल पर पहुंचती है। अनेक विवरणों के अनुसार 1857 की क्रांति की योजना भी हरिद्वार के कुम्भ में ही बनी थी। स्पष्ट है कि कुम्भ मेले राष्ट्र चिंतन का केन्द्र हुआ करते थे।-प्रदीप सिंह राठौड़मेडिकल कालेज, कानपुर (उ.प्र.)यह विशेषांक अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां समेटे हुए हैं। “मुशर्रफ ने क्रिकेट का “क” नहीं, कश्मीर का “क” दोहराया” शीर्षक से प्रकाशित आलेख आंखें खोलने वाला है। पाकिस्तान के साथ उदारता बरतने से कुछ मिलने वाला नहीं है। ऐसा लगता है कि दुष्टता उसके स्वभाव का हिस्सा बन चुकी है।-ठाकुर सूर्यप्रताप सिंहकांडरवासा, रतलाम (म.प्र.)कांग्रेस का नया चेहराश्री बालशंकर का आलेख “कांग्रेस और मुस्लिम लीग का माफिया चेहरा” पढ़ा। आश्चर्य होता है कि सेकुलरवाद और राष्ट्रभक्ति का ढोल पीटने वाली कांग्रेस का उस मुस्लिम लीग के साथ गठजोड़, है जिसने पाकिस्तान बनाने में भूमिका निभाई। जनता को यह बात समझ में आ जानी चाहिए कि अब वह कांग्रेस नहीं रही जिसके नेता सरदार पटेल, लाला लाजपत राय, लाल बहादुर शास्त्री जैसे प्रखर राष्ट्रभक्त हुआ करते थे।-शक्तिरमण कुमार प्रसादश्रीकृष्णनगर, पटना (बिहार)दोहरी मानसिकताकुछ दिन पहले चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन ने अपनी फिल्म “मीनाक्षी – ए टेल आफ थ्री सिटीज” को सिनेमाघरों से हटाने का फैसला किया है, क्योंकि इस फिल्म के एक गीत के शब्द कुरान से लिए गए हैं। कुरान से कुछ शब्द मात्र लेने पर कठमुल्लाओं ने हुसैन साहब के नाम फरमान जारी किया था कि इससे मुस्लिम समाज की भावनाएं आहत हुई हैं, इसलिए इस फिल्म को सिनेमाघरों से तुरंत हटाया जाए। कठमुल्लाओं की घुड़की के आगे घुटने टेकते हुए हुसैन साहब ने फिल्म को सिनेमाघरों से हटाने का फैसला किया। हुसैन साहब के इस फैसले से उनका दोहरापन प्रकट होता है। वे अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य के नाम पर हिन्दू देवी-देवताओं के नग्न चित्र बनाते रहे हैं जिस पर हिन्दू समाज ने नाराजगी व्यक्त की थी। परन्तु हिन्दू समाज के रोष एवं आक्रोश की उपेक्षा करते हुए उन्होंने माफी तक मांगना उचित नहीं समझा था। अब मीनाक्षी फिल्म का प्रदर्शन रोकने से उनकी दोहरी मानसिकता प्रकट हुई है।-विजय शर्मा रामगढ़, चम्बा (हि.प्र.)अंक-संदर्भ, 4 अप्रैल, 2004कांग्रेस का परिवारवादचुनाव-चर्चा में सटीक प्रश्न उठाए गए हैं। एक समय था जब कांग्रेस में महात्मा गांधी, सरदार पटेल, पं. नेहरू, राजगोपालाचार्य, गोविंद वल्लभ पंत जैसे राष्ट्रीय स्तर के नेता हुआ करते थे मगर आज वह नेहरू खानदान की गुलाम होकर रह गई है। इस कारण कांग्रेस के नेता और उसके मतदाता दोनों उसका साथ छोड़ने लगे हैं। वहां अब केवल जी हुजूरी करने वालों की जमात ही बची है।-अरविंद सिसौदियाराधाकृष्ण मंदिर मार्ग, डडवाड़ा, कोटा (राज.)आम चुनाव, 2004 में कांग्रेस नेहरू-गांधी परिवार के लिए वोट मांग रही है। यह जनता के साथ धोखा है। हिन्दू समाज में लड़की का विवाह होने के बाद उसकी पहचान ससुराल से ही होती है। इसलिए इस परिवार को नेहरू परिवार कहना गलत है। इसे फिरोज गांधी परिवार कह सकते हैं। लेकिन फिरोज गांधी के नाम पर इसे गांधी परिवार कहना भी उचित नहीं है, क्योंकि गांधी के नाम से लोगों को महात्मा गांधी ही याद आते हैं।-निरंजन लाल कानोडिया16 ए, चारु एवेन्यू, कोलकाता (प.बंगाल)लोकसभा चुनावों के लिए सभी दल तैयारियों में जुटे हैं। प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सफलतापूर्वक गठबंधन सरकार चलाकर यह सिद्ध कर दिया है कि सबसे बड़ा दल होने के बाद भी भाजपा से छोटे दलों को कोई खतरा नहीं है। अन्य दलों को यह विश्वास कांग्रेस पर नहीं है और इसलिए चाहकर भी गठबंधन बनाने में वह असफल हो रही है।-जगन्नाथ सिंघी14/2, ओल्ड चीना बाजार गली,कोलकाता (प. बंगाल)नहीं चाहिए सोनियाएक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण के अनुसार देश की अधिकांश जनता सोनिया गांधी की प्रधानमंत्री पद पर दावेदारी को देश की जनभावना का अपमान मानती है। यह निष्कर्ष सेंटर फार मीडिया एंड कल्चरल रिसर्च (सी.एम.सी.आर.) द्वारा किराए गए एक सर्वेक्षण का है। इसके अनुसार 82 प्रतिशत लोगों का मानना है कि किसी भी विदेशी मूल के व्यक्ति को देश का प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहिए। इस सर्वेक्षण में 15 फरवरी से 15 मार्च तक देशभर के चालीस स्थानों में सभी वर्गों के 12,835 लोगों से मत लिए गए थे।-पी.डी. शर्माबी/89, रमेश नगर, नई दिल्लीभावुकता से परे हों संबंधदिशादर्शन में “रिश्तों को भावुकता से परे होकर सींचें” आलेख अच्छा लगा। यह सच है कि पाकिस्तान में भारतीय क्रिकेट दल के अपूर्व स्वागत से भावुक नहीं होना चाहिए। अच्छे संबंध बनाए जाने चाहिए पर भावुकता या अति उत्साह में शीघ्रता करने से गलतियां हो सकती हैं, जिसके परिणाम बुरे भी हो सकते हैं।-अजय जैन “विकल्प”36-आई, गुमाश्ता नगर, इन्दौर (म.प्र.)पाञ्चजन्य के बिना सब अधूराअब तो मेरे लिए पाञ्चजन्य अनिवार्य मानसिक आहार-सा हो गया है। इसे पढ़े बिना मेरी स्थिति “जिय की जरन न जाय” जैसी हो जाती है। इसने मेरी विचारधारा और चिन्तन को पुष्ट एवं सुदृढ़ बनाया है। हर दृष्टि से मैं इसे सर्वश्रेष्ठ पत्रिका मानता हूं। सम्पूर्ण देश की गतिविधियों की जितनी जानकारियां पाञ्चजन्य से मिलती है तथा जिस निर्भीकता एवं निष्पक्षता से यह हिन्दुत्व का पक्ष उजागर करता है, कोई अन्य समाचारपत्र ऐसा करने में असमर्थ है। ज्ञानवर्धन की दृष्टि से भी यह अप्रतिम है। मैं पाञ्चजन्य परिवार के परिश्रम तथा सफल संपादन को बधाई देता हूं।इ.द्रऊ-महेश नारायण शुक्लपूर्व मुख्य न्यायाधीश, इलाहाबाद उच्च न्यायालय, 17 सरदार पटेल मार्ग, इलाहाबाद (उ.प्र.)जनता के अटल जीकिस चैनल की हम सुनें, कौन पढ़ें अखबारजिसको देखो गा रहा, राग जीत और हार।राग जीत और हार, रोज सर्वेक्षण आतेसभी ओर वे कांटे की टक्कर बतलाते।कह “प्रशांत” हमको तो लेकिन यह लगता हैखड़ी अटल जी के पाले में सब जनता है।।-प्रशांतसबकसीमा के उस पार आजमाहौल जरा सा बदला है,रच कर के इतिहास वहां परध्यान हमारा संभला है।क्रिकेट की यह जीत जुटायीबड़े जरूरी अवसर में,हमने भी मान लो मार दीसिक्स आखिरी ओवर में।चाहे रावलपिंडी होमुल्तान भी हो, ए पाकिस्तान,तुझे हराने उतरा हैमैदान में अब ये हिन्दुस्तान।पेशावर, लाहौर, कराचीसभी मोर्चे ढहा दिए,हिन्दुकुश के पत्थर लेकरगंगाजल में बहा दिए।खेल-खेल में सीख दिलायीअमन-चैन से रहें सभीबड़े भाई से बैर पालकरभला किसी का हुआ कभी?-कौंतेय प्रमोद देशपांडे, द. कोरियापुरस्कृत पत्रपुरस्कार या षडंत्रसूक्ष्मिकाअन्तरचुनाव के पहले,सीधी-सादी,गाय …।चुनाव के बाद,बैलों केपर्याय …।।-मुकेश त्रिपाठीखेरमाई के सामने, लखेरा, कटनी (म.प्र.)एक समाचार के अनुसार इस वर्ष नोबल पुरस्कार देने वाली समिति ने शांति पुरस्कारों की श्रेणी में पोप जान पाल को भी प्रमुख रूप से नामांकित किया है। विचारणीय यह है कि पोप ने ऐसा कौन-सा कार्य कर दिया जिससे विश्व में शान्ति स्थापित हुई।कहा जाता है कि मिशनरी ईसाई राष्ट्रों की चौथी सेना है। ईसाई जो दुनिया में अपने आपको सहिष्णु और बड़े दिल वाला बताते हैं, वस्तुत: बौद्धिक कट्टरपंथी हैं। ये लोग मुस्लिम आतंकवादियों की तरह बम धमाकों से किसी को नहीं मारते वरन् अपनी चौथी सेना के नायकों का जबरदस्त महिमामंडन कर उन्हें महान छवि प्रदान कर देते है। मदर टेरेसा इसका एक उदाहरण हैं जिन्हें सेवा कार्यों के बल पर ही न केवल नोबल पुरस्कार दिला दिया गया बल्कि उल्टे-सीधे चमत्कारों से संत भी बना दिया गया। इसी कूटनीति के तहत पोप को पहले वेटिकन एक का राष्ट्राध्यक्ष घोषित कर दिया गया जिससे वे कहीं भी जाएं तो पूरा सम्मान देना आवश्यक हो जाए। और अब पोप को नोबल पुरस्कार देने के लिए वातावरण बनाया जा रहा है ताकि ईसाई मिशनरी तथा पादरियों की करतूतों से दुनियाभर में फैल रही दुर्गंध को ढका जा सके।-संजय चतुर्वेदीपत्थर गली, आबू रोड (राज.)हर सप्ताह एक चुटीले, हृदयग्राही पत्र पर 100 रु. का पुरस्कार दिया जाएगा।सं.24

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