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भाजपा हारी, पर वोट अधिक मिले-विशेष संवाददातादेश के अनेक राज्यों की तरह ही जम्मू-कश्मीर में हुए लोकसभा चुनावों में किसी भी एक पार्टी को मतदाताओं का जनादेश नहीं मिला। हालांकि कांग्रेस के गठबंधन को राज्य में कुल छ: स्थानों में से चार स्थान मिले। नेशनल कांफ्रेंस को सिर्फ दो स्थान मिले जबकि भाजपा को 1999 के लोकसभा चुनावों के मुकाबले मत तो अधिक मिले किन्तु स्थान एक भी नहीं मिला। 1999 में भाजपा ने जम्मू संभाग के दोनों स्थान जीते थे। इसमें से जम्मू-पुंछ संसदीय क्षेत्र भाजपा सांसद वैद्य विष्णु दत्त ने निधन के कारण खाली हो गया था और 2002 में हुए उप-चुनाव में भाजपा से यह स्थान उस समय सत्तारूढ़ नेशनल कांफ्रेंस ने छीन लिया था।इस बार कांग्रेस ने जम्मू संभाग के दोनों स्थान जीत लिए हैं। राज्य की गठबंधन सरकार की अगुवाई कर रही पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पी.डी.पी.) ने कश्मीर घाटी के अनंतनाग संसदीय क्षेत्र पर अपना वर्चस्व जमा लिया और लद्दाख का एकमात्र स्थान भी इसी गठबंधन के खाते में जाने वाला है। यद्यपि यह स्थान लद्दाख को केन्द्र शासित प्रदेश का दर्जा दिए जाने की मांग पर गठित “लद्दाख केन्द्रशासित प्रदेश संघ” के प्रत्याशी श्री थुप्स्तान छेवांग ने जीता है। श्री छेवांग सर्वदलीय उम्मीदवार के नाते चुनाव लड़े थे। केवल भाजपा ने उनके विरुद्ध अपना एक उम्मीदवार खड़ा किया था जिसे अत्यंत कम मत मिले।चुनाव विश्लेषणों से स्पष्ट है कि जम्मू-कश्मीर में सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार में शामिल दलों की स्थिति 2002 में हुए विधानसभा चुनाव के मुकाबले कमजोर हुई है। गठबंधन के कुल 58 विधानसभा सदस्यों के मुकाबले इस गठबंधन को इस बार केवल 47 विधानसभा क्षेत्रों में ही जीत प्राप्त हो सकी है। लगभग एक दर्जन विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस तथा पी.डी.पी. के मंत्रियों की भी हार हुई है। राज्य में सबसे अधिक धक्का नेशनल कांफ्रेंस को लगा है। इसे न केवल विधानसभा के कई क्षेत्रों में कम मत प्राप्त हुए हैं बल्कि जम्मू-संभाग में इसके 9 विधानसभा सदस्यों के क्षेत्रों में केवल दो ही स्थानों पर पार्टी को बढ़त मिली। हालांकि कश्मीर घाटी में इसकी स्थिति में सुधार हुआ है और 18 विधानसभा क्षेत्रों की बजाय इस बार 21 क्षेत्रों में पार्टी को अधिक मत मिले हैं।दूसरी तरफ भाजपा ने 1999 के लोकसभा चुनावों में कुल मिलाकर 4,95,000 मत प्राप्त किए थे जबकि इस बार मतों की यह संख्या 5.10 लाख से भी अधिक है। किन्तु इसकी पराजय का बड़ा कारण यह है कि जम्मू-संभाग में नेशनल कांफ्रेंस तथा बसपा के मतों में भारी कमी दर्ज की गई है। इस कारण कांग्रेस प्रत्याशी की विजय हुई। राज्य में भाजपा की पराजय का एक कारण यह भी रहा कि पहले दूर-दराज के क्षेत्रों में मतदान के दौरान जहां नेशनल कांफ्रेंस धांधली करती थी, वहीं इस बार कांग्रेस ने राज्य में सत्तारूढ़ होने का लाभ उठाया। कांग्रेस ने जातिवाद को भी खूब उछाला। इसके बावजूद भाजपा को इस बात का सन्तोष है कि अनेक कारणों के बावजूद पार्टी ने 2002 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार 15 विधानसभा क्षेत्रों में अधिक मत प्राप्त किए हैं और कुछ दूसरे क्षेत्रों में भी इसकी स्थिति सुधरी है। किन्तु 1999 के मुकाबले स्थिति अब भी कमजोर है। क्योंकि 1999 के लोकसभा चुनावों में पार्टी ने जम्मू-संभाग के कुल 37 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से 21 में अपना वर्चस्व स्थापित किया था। उस समय भाजपा मत की दृष्टि से सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और नेशनल कांफ्रेंस दूसरे और कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही थी।37
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